Advertisement
माता बेर्नादेत्त को संत बनाने की प्रक्रिया चर्च ने शुरू की
रांची : रोमन कैथोलिक चर्च ने अपने इतिहास में पहली बार छोटनागपुर की एक आदिवासी महिला, संत अन्ना धर्म समाज की संस्थापिका माता मेरी बेर्नादेत्त प्रसाद किस्पोट्टा को संत बनाने की प्रक्रिया शुरू की है़ रविवार को कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने संत मरिया महागिरजाघर में इसकी घोषणा की़ उन्हें संत घोषणा के लिए संत […]
रांची : रोमन कैथोलिक चर्च ने अपने इतिहास में पहली बार छोटनागपुर की एक आदिवासी महिला, संत अन्ना धर्म समाज की संस्थापिका माता मेरी बेर्नादेत्त प्रसाद किस्पोट्टा को संत बनाने की प्रक्रिया शुरू की है़
रविवार को कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने संत मरिया महागिरजाघर में इसकी घोषणा की़ उन्हें संत घोषणा के लिए संत अन्ना धर्म समाज के निवेदन पर कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने झारखंड व अंडमान के 11 बिशपों से परामर्श के बाद वेटिकन से इसकी अनुशंसा की थी़ चर्च से एनओसी मिलने के साथ ही माता बेर्नादेत्त को सर्वेंट ऑफ गॉड (ईश सेविका) का दरजा मिल गया है़ छोटानागपुर के किसी अन्य आदिवासी स्त्री या पुरुष को यह दरजा नहीं मिला है़
कार्डिनल ने बताया कि पांच नवंबर को ट्रिब्यूनल का गठन किया जायेगा, जो माता बेर्नादेत्त के पवित्र जीवन से जुड़े दस्तावेज व साक्ष्य जुटायेगा तथा वेटिकन को अवगत करायेगा़
वेटिकन द्वारा इसे स्वीकार करने पर माता बेर्नादेत्त को वेरेनेबल (श्रद्धेय) का दरजा मिलेगा़ इसके बाद वेटिकन द्वारा उनके नाम पर एक चमत्कार होने की पुष्टि पर उन्हें ‘धन्य’ और इसके बाद एक अन्य चमत्कार की पुष्टि होने पर ‘संत’ का दरजा दिया जायेगा़
चर्च क्यों घोषित करता है संत: कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआइ) के महासचिव बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने कहा कि संत घोषणा के पीछे चर्च का मकसद है कि लोग उनका अनुसरण करें. उन्हें प्रार्थना के लिए एक मध्यस्थ मिले़
संवाददाता सम्मेलन में मदर जेनरल सिस्टर लिंडा मेरी वॉन, फादर काजीतन, सिस्टर लिली ग्रेस टोप्पो मौजूद थी़
छोटानागपुर में शुरू हुआ कांग्रीगेशन : संत अन्ना धर्म समाज की शुरुआत छोटानागपुर से हुई है.
यह देश के उन दस धर्म संघों में से एक है, जिनकी स्थापना भारत में हुई है़ माता बेर्नादेत्त ने तीन अन्य आदिवासी बहनें सिसिलिया, वेरोनिका व अन्ना मेरी के साथ 26 जुलाई 1897 को संत अन्ना धर्म समाज की स्थापना की थी़ इस कांग्रीगेशन की धर्म बहनें शिक्षा, समाज सेवा, चिकित्सा व सुसमाचार प्रचार के कार्यों से जुड़ी है़ं वर्तमान में भारत, जर्मनी व इटली में इसके 142 मठ है़ं इस धर्म समाज द्वारा तीन इंटर कॉलेज, 121 स्कूल, 87 डिस्पेंसरी, 17 समाज सेवा केंद्र व तीन स्वयं सहायता समूह चलाये जा रहे है़ धर्म बहनों की संख्या 1036 है़
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement