कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि शिफ्टिंग मशीन ली गयी अथवा नहीं? इस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि तीन दिनों के अंदर इस बात की जानकारी दी जाये कि शिफ्टिंग मशीन कब तक खरीद ली जायेगी?
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सड़क चाैड़ीकरण मामले की सुनवाई, बहुत जरूरी हो तभी काटें पेड़
रांची: खंडपीठ ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि साै साल से अधिक उम्र वाले पेड़ों को शिफ्टिंग कर बचाने की जरूरत है. झारखंड में पैसे की कोई कमी नहीं है, सिर्फ विल पावर व ड्राइव की कमी है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि शिफ्टिंग मशीन ली गयी अथवा नहीं? इस पर […]
रांची: खंडपीठ ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि साै साल से अधिक उम्र वाले पेड़ों को शिफ्टिंग कर बचाने की जरूरत है. झारखंड में पैसे की कोई कमी नहीं है, सिर्फ विल पावर व ड्राइव की कमी है.
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि शिफ्टिंग मशीन ली गयी अथवा नहीं? इस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि तीन दिनों के अंदर इस बात की जानकारी दी जाये कि शिफ्टिंग मशीन कब तक खरीद ली जायेगी?
सड़क योजनाओं में देरी पर कोर्ट नाराज : खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि सरकार के अधिकारियों के रवैये से सड़क योजनाएं अटकी हुई हैं. कोर्ट के आदेश का बहाना बना कर अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं. साल भर से विभाग सो रहा था. कोर्ट का आदेश योजनाअों को लागू करने में बाधक नहीं बनेगा. सरकार उदाहरण के ताैर पर किसी भी सड़क परियोजना के दो-तीन किमी की योजना रिपोर्ट प्रस्तुत करेें. इसमें बताया जाये कि चाैड़ीकरण में कितने पेड़ हटाये जायेंगे. उसमें कितने पेड़ शिफ्ट हो सकते हैं. रिपोर्ट पर कोर्ट विचार कर आदेश पारित करेगा. राष्ट्रीय राजमार्ग की समिति के निर्णय को भी बताने को कहा गया. खंडपीठ ने पूछा कि एक पेड़ काटते हैं, तो कितने पेड़ लगाये जाते हैं और कहां लगाये जाते हैं? खंडपीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
विभाग के प्रधान सचिव ने दिया सवालों के जवाब : अब इस मामले की अगली सुनवाई नाै अगस्त को होगी. सुनवाई के दाैरान वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह उपस्थित थे. उन्होंने खंडपीठ के सवालों के जवाब भी दिये. उन्होंने बताया कि पेड़ नहीं हटने के कारण कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. राज्य सरकार की अोर से राजकीय अधिवक्ता राजेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि सड़क चाैड़ीकरण के दाैरान पेड़ों को बचाने का प्रयास किया जाता है. सभी पेड़ों के शिफ्टिंग में असमर्थता जताते हुए कहा गया कि साइंटिफिक तरीके से यह संभव प्रतीत नहीं होता है. उन्होंने खंडपीठ से किस पेड़ को काटा जाये, किस पेड़ को बचाया जाये, संबंधी वर्गीकरण करने का भी आग्रह किया.
कोर्ट ने की सुखदेव सिंह के कार्यों की प्रशंसा : जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह के कार्यों की प्रशंसा की. कहा कि झारखंड में ऐसे ही अधिकारी की जरूरत है. पहला मौका था, जब किसी आइएएस स्तर के अधिकारी को कोर्ट में पक्ष रखने का मौका दिया गया. मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता दिलीप जेरथ ने भी श्री सिंह के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि श्री सिंह कोई भी कार्य ईमानदारी से करते हैं, लेकिन इनके निचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी कार्यों को लटकाने में लगे रहते हैं.
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