रांची: डॉक्यूमेंटरी फिल्मों के क्षेत्र में बीजू टोप्पो के बाद एक और झारखंडी प्रतिभा इन दिनों चर्चा में है. ये हैं निरंजन कुजूर. मूलत: बेड़ो प्रखंड के हुटार गांव के निवासी निरंजन ने बिशप वेस्टकॉट नामकुम से दसवीं की परीक्षा पास की. डीएवी हेहल से बाहरवीं किया. जिसके बाद सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की. लगभग एक साल तक इन्होंने डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता श्रीप्रकाश के साथ काम किया. फिलहाल ये सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटय़ूट कोलकाता में फाइनल इयर में हैं.
निरंजन ने कुछ समय पहले एक शार्ट डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनायी थी नाम था-‘पहाड़ा’. 11 मिनट की इस फिल्म को समीक्षकों ने काफी सराहा था. यह फिल्म नक्सल प्रभावित एक गांव के आठ साल के बच्चे के ईद-गिर्द घूमती है. मानवीय संवेदनाओं के बीच नक्सल समस्या को रेखांकित करती यह प्रभावशाली फिल्म है. एक और फिल्म आयी जिसे अंग्रेजी में ‘ड्राई फ्लावर बड’ का नाम दिया गया.
यह फिल्म झारखंड के गांवों से पलायन कर बाहर बसनेवाले लोगों की जिंदगी और उनकी आइडेंटिटी के सवाल पर बनी है. एक और फिल्म मदर के नाम से बनी है. यह फिल्म सत्यजीर रे फिल्म इंस्टीच्यूट और नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स (ताइवान) के द्वारा बनी है. निरंजन फिल्मों के जरिये झारखंडी सवालों को सामने रख रहे हैं.