बीपीएल से लेकर एपीएल तक को मिलेगा बीमा का लाभ
परिवार में मुखिया समेत पांच सदस्यों को ही मिलेगा लाभ
डॉ एक चौधरी बने कार्यकारी निदेशक
रांची : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना(आरएसबीवाइ) को झारखंड में नये तरीके से लागू करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गयी है. पूर्व में श्रम विभाग इसका संचालन करता था. अब स्वास्थ्य विभाग संचालन करेगा. विभाग द्वारा आरएसबीवाइ को झारखंड में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम दिया गया है. विभाग के निदेशक डॉ एके चौधरी को आरएसबीवाइ का कार्यकारी निदेशक बनाया गया है. वहीं, डॉ एके झा को संयुक्त निदेशक बनाया गया है. नामकुम आरसीएच में इसका मुख्यालय होगा.
श्रम विभाग के आरएसबीआइ कोषांग के पदाधिकारियों को स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है. विभाग द्वारा योजना के संचालन के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति की जायेगी. इसके लिए विभिन्न एजेंसियों से आवेदन मंगाया गया है. बताया गया कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर ही बीमा कंपनियों के चयन के लिए निविदा आदि की प्रक्रिया को
संचालित करेंगे.
बीपीएल से लेकर एपीएल तक कवर होंगे
राज्य सरकार द्वारा नये सिरे से योजना बनायी गयी है. इसमें 2.50 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा होगा. 50 हजार रुपये का बीमा सामान्य बीमारी के लिए और 2.50 लाख रुपये का बीमा गंभीर बीमारी के लिए होगा. इस योजना का लाभ बीपीएल से लेकर एपीएल तक को मिलेगा. लगभग दो हजार प्रकार की बीमारियों को इस बीमा के दायरे में रखा जायेगा. बताया गया कि इस बीमा योजना के तहत पूर्व में शामिल बीपीएल,
मनरेगा कर्मी, घरेलू कामगार, बीड़ी मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, स्वच्छता कर्मचारी, खान मजदूर, अॉटो व टैक्सी चालक, रिक्शा चालक, रेग पीकर को उसी तरह शामिल किया गया है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इनके बीमा के प्रीमियम की 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार वहन करेगी. राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आनेवाले तमाम लोगों को बीमा का लाभ देने का फैसला किया है.
इनका सारा प्रीमियम राज्य सरकार वहन करेगी. 72 हजार रुपये तक के सालाना आय वर्ग वालों को भी बीमा के दायरे में रखा गया है. इनका भी प्रीमियम राज्य सरकार वहन करेगी. सरकार ने एपीएल को भी बीमा योजना का लाभ देने का फैसला किया है. इसमें एपीएल को प्रीमियम की राशि का भुगतान करना होगा, पर सरकार द्वारा चयन की गयी एजेंसी द्वारा निर्धारित प्रीमियम ही उन्हें देनी होगा, जो बाजार दर से कम होगा.
दो से तीन माह समय और लगेगा : विभागीय सूत्रों ने बताया कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति हो जाने के बाद दो से तीन माह में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर बीमा कंपनियों का चयन कर लिया जायेगा. इन सारी प्रक्रियाओं में दो से तीन माह का समय लग सकता है. सरकार इसे हर हाल में 15 नवंबर तक लागू करना चाहती है.