रांची: झारखंड में रेडी-टू-इट पोषाहार पैकेट वितरण के लिए दिलचस्पी दिखलानेवाली कंपनी मिल्कोज इंडिया लिमिटेड विवादों से घिरी रही है. उत्तर प्रदेश में निजी कंपनियों की ओर से पूरक पोषाहार की आपूर्ति में व्यापक गड़बड़ियां हुई हैं. यहां पर कांटिनेंटल मिल्कोज इंडिया, क्रिश्ती फ्राइड ग्राम्स और अन्य कंपनियां पोंटी चड्ढा की कंपनी ग्रेट वैल्यू के साथ मिल कर आपूर्ति कर रही हैं.
गड़बड़ी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल भी गठित की थी. जांच दल में आयुक्त डॉ एनसी सक्सेना और विशेष आयुक्त हर्ष मंदर शामिल थे. जांच दल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ओड़िशा और केरल में स्थानीय महिला ग्रुप की मदद से पोषाहार बेहतर ढंग से आपूर्ति किया जा रहा है, जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और गुजरात में चयनित कंपनियों ने व्यापक गड़बड़ियां की हैं. डॉ सक्सेना और हर्ष मांदर ने बिहार और झारखंड में प्रशासनिक अक्षमता को लेकर कहा था कि यहां पर पोषाहार कार्यक्रम को लेकर काफी दवाब है. झारखंड सरकार चाहती है कि पोषाहार कार्यक्रम के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था लागू हो.
इधर, कल्याण सचिव राजीव अरुण एक्का ने कहा है कि योजना में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी. ज्ञात हो कि यह योजना 150 करोड़ रुपये की है.
11 लाख बच्चों और माताओं को होगा फायदा
11 लाख बच्चों, गर्भवती माताओं और दूध पिलानेवाली माताओं को सरकार प्रोटीन फूड रेडी-टू-इट पैकेट प्रदान करायेगी. इसके लिए आमंत्रित की गयी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के तहत किसी भी कंपनी ने आवेदन नहीं दिया है. इसमें कंपनियों से 30 जनवरी तक आवेदन मांगा गया है.18 जनवरी को निविदा को लेकर कंपनियों की प्री बिड मीटिंग हुई थी. इसमें कुल 19 कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे, जिसमें बिहारी जी एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नोएडा, कांटिनेंटल मिल्कोज इंडिया लिमिटेड, रायसीना उद्योग लिमिटेड कोलकाता, क्रिश्ती फ्राइड ग्राम इंडस्ट्रीज, मुरलीवाला एग्रोटेक कंपनियां भी शामिल थीं. इसमें से बिहारी जी एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, कांटिनेंटल मिल्कोज और एक अन्य कंपनी का संबंध ग्रेट वैल्यू फूड के साथ रहा है.