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छह हजार बच्चों को खाने के पैसे नहीं दे रही सरकार
संजय रांची : राज्य के करीब छह हजार बच्चों को खाने-पीने के लाले हैं. ये बच्चे राज्य भर के पालना घर में दिन भर रहते हैं, पर समाज कल्याण विभाग (समाज कल्याण बोर्ड) के तहत संचालित कुल 228 पालना घर को सरकार गत डेढ़ वर्ष से पैसे नहीं दे रही है. इनमें रांची के भी […]
संजय
रांची : राज्य के करीब छह हजार बच्चों को खाने-पीने के लाले हैं. ये बच्चे राज्य भर के पालना घर में दिन भर रहते हैं, पर समाज कल्याण विभाग (समाज कल्याण बोर्ड) के तहत संचालित कुल 228 पालना घर को सरकार गत डेढ़ वर्ष से पैसे नहीं दे रही है. इनमें रांची के भी 49 पालना घर शामिल हैं.
इससे इन बच्चों को दोपहर का भोजन तथा दो वक्त का अल्पाहार किसी तरह दिया जा रहा है, जो इनके लिए पर्याप्त नहीं है. पालना घर में वैसे बच्चे रहते हैं, जिनके मां-बाप दोनों कामकाजी हैं या फिर उन्हें दिन भर घर से बाहर रहने की मजबूरी होती है. गैर सरकारी संस्थाअों द्वारा संचालित इन पालना घरों में छह माह से छह वर्ष तक के ऐसे ही बच्चों को रखा जाता है. एक पालना घर में बच्चों की संख्या कम से कम 25 होनी चाहिए.
क्यों नहीं मिल रहा पैसा : पालना घर की योजना राज्य समाज कल्याण बोर्ड के तहत संचालित है. बोर्ड की निवर्तमान अध्यक्ष प्रतिभा पांडेय का कार्यकाल पांच अक्तूबर 2015 को समाप्त हो गया.
इसके पहले भी वह पालना घरों के लिए फंड का आवंटन नहीं कर पायी थीं. वहीं अक्तूबर से अब तक फंड इसलिए जारी नहीं हो पा रहा है, क्योंकि पैसे जारी करने के लिए सिग्नेटरी (अध्यक्ष) नहीं है. गौरतलब है कि बोर्ड के पैसे इसके अध्यक्ष व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से निकलते हैं. पैसे नहीं मिलने की समस्या से निवर्तमान सचिव (विनय चौबे) तथा वर्तमान सचिव (एमएस भाटिया) को अवगत कराया गया, जो बोर्ड के प्रभारी भी हैं, पर समाधान नहीं निकला है.
क्या हो रही है समस्या : पालना घरों को फंड नहीं मिलने से इसका संचालन कर रही गैर सरकारी संस्थाएं बच्चों के भोजन के लिए राशन तथा नाश्ते के लिए बिस्कुट तथा खाने-पीने की अन्य चीजों का प्रबंध नहीं कर पा रही है. इससे बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा. वहीं पालना घरों में कार्यरत सहायिका व सेविका को मिलनेवाला मानदेय (एक हजार रु प्रति माह) भी नहीं मिल रहा. ऐसे में सहायिका व सेविका सिर्फ आश्वासन पर काम कर रही हैं.
पैसे बढ़े : सरकार ने बच्चों के आहार के लिए मिलनेवाली राशि तथा सहायिका व सेविका का मानदेय दोनों बढ़ा दिया है. बढ़ी राशि व मानदेय अप्रैल 2016 से लागू होगा. अब एक बच्चे के लिए प्रति दिन दो रुपये आठ पैसे के बजाय 12 रुपये मिलेंगे. वहीं, सेविका को एक हजार के बदले तीन हजार तथा सहायिका को एक के बदले डेढ़ हजार रुपये प्रति माह मानदेय मिलेगा.
संचालकों ने कहा : कांटाटोली क्षेत्र में पांच पालना घर चला रही संस्था हेल्थ एंड वेलफेयर सोसाइटी की शिवानी सिंह ने कहा कि प्रति पालना घर राशन पर तीन हजार रुपये खर्च होते हैं.
इस तरह मेरा मासिक खर्च 15 हजार रुपये है. गत डेढ़ वर्ष से मैं यह खर्च वहन कर रही हूं, इस उम्मीद पर कि पैसा मिलेगा. श्रीमती सिंह के ही मौलाना आजाद कॉलोनी, कांटाटोली स्थित पालना घर की सहायिका फातिमा शाहीन ने कहा कि मुझे ईद में भी पैसे नहीं मिले. उधर, बाइपास रोड पर स्थित कटहल कोचा में पालना घर चलानेवाली संस्था प्रज्वलित विहार के आरआर मेहता ने कहा कि सामाजिक काम समझ कर इसे चला रहे हैं. एक तो प्रति बच्चा सरकार सिर्फ दो रुपये आठ पैसे देती है, पर वह भी नहीं मिल रहा है.
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