कई छात्रावासों का निर्माण तो 10 वर्ष पहले शुरू हुआ था. प्रति छात्रावास अौसत निर्माण लागत 70 लाख रुपये है. इस तरह करीब 34 हजार बेड वाले सभी 509 छात्रावासों के निर्माण पर सरकार के 356 करोड़ रुपये खर्च हुए या हो रहे हैं. कई मामले में तो यह भी नहीं देखा गया कि जो छात्रावास बनाये जा रहे हैं, उसकी उपयोगिता है भी या नहीं. पर सौ करोड़ के लंबित 135 छात्रावासों तथा बन कर अनुपयोगी छात्रावासों के लिए किसी को न तो जवाबदेह बनाया गया है अौर न ही किसी कार्रवाई की सूचना है.
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10 साल से राज्य में बन ही रहे 135 छात्रावास
रांची: पहले से निर्मित छात्रावासों के अलावा कल्याण विभाग ने नये छात्रावासों का निर्माण शुरू किया था. राज्य गठन के बाद एससी, एसटी व अोबीसी के लिए कुल 514 छात्रावास (पांच रद्द होने के बाद 509) बनने शुरू हुए थे. इनमें से 135 छात्रावासों का निर्माण गत तीन वर्ष से लेकर 10 वर्षों तक से […]
रांची: पहले से निर्मित छात्रावासों के अलावा कल्याण विभाग ने नये छात्रावासों का निर्माण शुरू किया था. राज्य गठन के बाद एससी, एसटी व अोबीसी के लिए कुल 514 छात्रावास (पांच रद्द होने के बाद 509) बनने शुरू हुए थे. इनमें से 135 छात्रावासों का निर्माण गत तीन वर्ष से लेकर 10 वर्षों तक से लंबित हैं.
उदाहरण के लिए अनगड़ा प्रखंड में जोन्हा के पास बरवादाग में 55 लाख की लागत से आदिम जनजातीय (पीटीजी) छात्रावास बना है. करीब चार साल के विलंब के बाद बिरहोर छात्रों के लिए यह छात्रावास बन तो गया, लेकिन गत दो वर्षों से यह अनुपयोगी है. दरअसल राज्य गठन के बाद केंद्र प्रायोजित, राज्य योजना मद, अार्टिकल 275 (1) तथा समेकित जनजातीय विकास कार्यक्रम (आइटीडीपी) के फंड से इन छात्रावासों को निर्माण शुरू हुआ. अकेले रांची जिले में 63 छात्रावास बनने शुरू हुए. छात्रावासों का निर्माण जिला कल्याण पदाधिकारी (डीडब्ल्यूअो), मेसो, एनपीसीसी व एआइपीएल के जरिये हो रहा है. पर ज्यादातर काम विभाग के डीडब्ल्यूअो तथा मेसो ने किया या कर रहे हैं.
पांच छात्रावासों का निर्माण रद्द
विभाग ने पांच नये छात्रावासों का निर्माण रद्द कर दिया है. इन छात्रावासों का निर्माण शुरू होने के बाद ऐसा किया है. रद्द होनेवाले छात्रावासों में महिला कॉलेज रांची (300 बेड), कोल्हान इंटर कॉलेज राजनगर (100 बेड), सिद्धो-कान्हो शिक्षा निकेतन मानगो (100 बेड), आइटीअाइ रांची (50 बेड) तथा ग्राम जलवाबाद कोडरमा (50 बेड) शामिल हैं.
अब हो रहा सर्वे
वर्षों से बन रहे छात्रावासों में से जो बन गये, उनका उपयोग हो रहा है या नहीं या उसकी स्थिति कैसी है. इसकी पक्की जानकारी विभाग को भी नहीं है. करीब चार वर्ष पूर्व विभाग के सभी छात्रावासों का सर्वे कर इनका डाटा बेस बनना था. पर यह काम नहीं हो सका. अब विभागीय सचिव राजीव अरुण एक्का ने संचालित छात्रावासों का सर्वे शुरू कराया है. इसकी रिपोर्ट आने पर छात्रावासों की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा.
लंबे समय से लंबित छात्रावास
नाम कब से लंबित
एसबीएस एसटी कॉलेज, पत्थरगामा 2005-06
विनोबा भावे यूनिवर्सिटी कैंपस, हजारीबाग 2006-07
एसएस उच्च विद्यालय, खूंटी 2007-08
टीटीसी , फूदी (खूंटी) 2007-08
संत अन्ना हाइस्कूल, तोरपा 2007-08
मदरसा दिनिया रसिदिया, किस्को 2008-09
निर्मल हाइस्कूल, बसिया 2008-09
जीआइटी इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट, रंका 2007-08
बोकारो स्टील माइंस कॉलेज, भवनाथपुर 2008-09
एसएस स्कूल, खड़गडिहा गिरिडीह 2008-09
घाघरा इंटर कॉलेज, बगोदर 2008-09
(इनके अलावा विभिन्न जिलों में वित्तीय वर्ष 2010-11, 2011-12 तथा वर्ष 2012-13 से बन रहे सौ से अधिक छात्रावास भी लंबित हैं)
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