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नेत्रदान आज, दर्शन देंगे भगवान

रातू: आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया बुधवार को रातू में लगनेवाले ऐतिहासिक रथ मेला की व्यापक तैयारी की जा रही है. मेला में श्रृंगार प्रसाधन, मिठाई, घरेलू उपकरण की दुकानों के अलावे झूला लगाने की तैयारी की जा रही है. मंगलवार को एक पखवारे से गर्भगृह में रहने के बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई […]

रातू: आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया बुधवार को रातू में लगनेवाले ऐतिहासिक रथ मेला की व्यापक तैयारी की जा रही है. मेला में श्रृंगार प्रसाधन, मिठाई, घरेलू उपकरण की दुकानों के अलावे झूला लगाने की तैयारी की जा रही है.

मंगलवार को एक पखवारे से गर्भगृह में रहने के बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलराम को पुरोहित कामदेव नाथ मिश्र, पुजारी करुणा मिश्रा द्वारा अनुष्ठान व पूजा-अर्चना कर नेत्रदान किया जायेगा. इसके बाद आम लोगों के लिए भगवान सर्वसुलभ हो जायेंगे. रात में विशेष भोग लगा कर प्रसाद का वितरण किया जायेगा. बुधवार को सुबह महाआरती व पूजा-अर्चना कर मंदिर का पट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जायेगा. सायं चार बजे रथयात्रा निकाली जायेगी.

रथयात्रा का इतिहास : नागवंशियों द्वारा जगन्नाथ स्वामी व अन्य विग्रहों की पूजा लगभग 1900 से अधिक वर्षों से किये जाने का अनुमान है. नागवंशी के प्रथम महाराजा फणिमुकुट राय का विक्रम संवत 121 से 215 तक 94 वर्षों तक का रहा. उन्होंने अपने शासन काल विशेष दूत को जगन्नाथपुरी, ओड़िशा भेज कर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र की प्रतिमा मंगायी. उसी समय से रथयात्रा का शुभारंभ हुआ. जिसे 62वें महाराजा चिंतामणि शरणनाथ शाहदेव ने भी कायम रखा है. उनके निधन के उपरांत उनके वंशज प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं.
इटकी में रथयात्रा की तैयारी जोरों पर
इटकी में छह जुलाई को लगनेवाले रथयात्रा मेला की तैयारी जोरों पर है. मंगलवार को भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा व भाई बलराम सहित अन्य विग्रहों का नेत्रदान किया जायेगा. इसके बाद 15 दिनों से बंद मंदिर का पट आमलोगों के दर्शनार्थ खोल दिया जायेगा. नेत्रदान से पूर्व विग्रहों की रंगाई-पोताई कर श्रृंगार किया जायेगा. स्थानीय मूर्तिकार हरिनंदन लोहार के नेतृत्व में विग्रहों की रंगाई-पोताई का कार्य अंतिम चरण पर है. राजेंद्र मिस्त्री के नेतृत्व में रथ की मरम्मत का कार्य जारी है. मंदिर के पुजारी सुंदर श्याम तिवारी के अनुसार छह जुलाई को मंदिर का पट आम लाेगों के दर्शनार्थ प्रात: सात बजे खोल दिया जायेगा. दोपहर 12 बजे भोग लगने के दौरान भगवान का दर्शन कार्य थोड़ी देर के लिए बंद रहेगा. अपराह्न 4.30 बजे भगवान जगन्नाथ सहित अन्य विग्रहों व प्रतिमाओं को रथ पर आरुढ़ कराया जायेगा. महाआरती के बाद अपराह्न पांच बजे मौसीबाड़ी के लिए रथयात्रा आरंभ होगी.

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