रांची: पटना से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 63135 नक्शे झारखंड लाये जायेंगे. नक्शे के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो, इसको देखते हुए यह व्यवस्था की जा रही है. फिलहाल नक्शे का बंडल पटना के गुलजार बाग प्रेस में बनाया जा रहा है. इसके लिए झारखंड के कुछ कर्मी भी वहां जमे हुए हैं.
हालांकि इसके लिए बनी टीम पूरा बंडल बन जाने के बाद ही वहां फिर से जायेगी. इसके बाद पहले चरण में तय नक्शे को यहां लाया जायेगा. वहीं, दूसरे चरण में 18994 नक्शे लाने की तैयारी होगी. बिहार सरकार की सहमति पर दूसरे चरण के नक्शे झारखंड को मिलेंगे. ये नक्शे भी जल्द ही झारखंड को मिलने जा रहे हैं.
नक्शा मिलने पर क्या होगा लाभ
झारखंड में आधा-अधूरा नक्शा है. अधिकतर जगहों के नक्शे फटे हैं या गायब हैं. ऐसे में जमीन की वास्तविक पहचान व वास्तविक क्षेत्रफल के बारे में पता नहीं चल पाता है. कुछ जगहों के नक्शे तो हैं, जिससे काम चलाया जा रहा है, लेकिन जहां का नक्शा नहीं है, वहां जमीन के बारे में ठीक से पता करने में परेशानी होती रही है. सबसे दिलचस्प बात है कि पुराने रैयतों से जमीन का नक्शा लेकर सरकारी कर्मचारी भी काम चलाते रहे हैं. अॉरिजनल नक्शा नहीं होने से सरकारी कार्य में भी बाधा हो रही है. खास कर विवाद होने पर जब नक्शा की तलाश होती है, तो पता चलता है कि नक्शा गायब है. ऐसे में मामला फंसा रह जाता है. संबंधित अफसरों का कहना है कि कई जगहों पर नक्शा नहीं होने का लाभ जमीन माफिया या दलाल उठाते हैं. वे फरजी नक्शा बनवा कर अनुचित लाभ लेने का प्रयास करते हैं. इसके साथ ही भू दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन का काम भी मूल नक्शा के बगैर नहीं हो पा रहा था. अब नक्शा मिल जाने से सारे विवाद का निबटारा होगा़ डिजिटलाइजेशन का काम भी हो सकेगा. जमीन की वास्तविक पहचान हो सकेगी.