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फुल लोड आपूर्ति के बाद भी बिजली संकट

परेशानी. बिजली विभाग लोड शेडिंग की बात से इनकार करता है, जबकि वास्तविकता कुछ और है रांची : झारखंड में पर्याप्त बिजली आपूर्ति के बाद भी लोग बिजली की समस्या से परेशान हैं. राज्य के शहरों को फुल लोड (सामान्य तौर पर फुल लोड बिजली का मतलब 22 से 23 घंटे) बिजली मिल भी रही […]

परेशानी. बिजली विभाग लोड शेडिंग की बात से इनकार करता है, जबकि वास्तविकता कुछ और है
रांची : झारखंड में पर्याप्त बिजली आपूर्ति के बाद भी लोग बिजली की समस्या से परेशान हैं. राज्य के शहरों को फुल लोड (सामान्य तौर पर फुल लोड बिजली का मतलब 22 से 23 घंटे) बिजली मिल भी रही है, फिर भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोगों को सामान्य रूप से बिजली नहीं मिल पा रही है. लोग घंटों लोड शेडिंग से परेशान हैं. हालांकि बिजली विभाग लोड शेडिंग की बात से इनकार करता है. अधिकारियों का दावा है कि ग्रामीण इलाकों में लोड शेडिंग के तहत दो-तीन घंटे और शहर में एक से डेढ़ घंटे ही बिजली काटी जाती है, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है.
लोगों का कहना है कि रोजाना दाे से पांच घंटे बिजली नहीं मिलना आम है. शिकायत लेकर जब बिजली ऑफिस जाते हैं, तो अधिकारी लोकल फॉल्ट की बात बताते हैं. कई बार फाॅल्ट का पता लगाने में हो रही देर को घंटों बिजली नहीं रहने का कारण बताते हैं.
मिल रही अतिरिक्त बिजली : राज्य गठन के बाद लगी इनलैंड पावर कंपनी से 55 मेगावाट व आधुनिक पावर से 122 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्य को मिल रही है. पीटीपीएस की स्थिति जस की तस है. रघुवर दास सरकार ने एनटीपीसी के हाथों पीटीपीएस का संचालन सौंप दिया है. एनटीपीसी वहां चार हजार मेगावाट का पावर प्लांट लगायेगा और पीटीपीएस के वर्तमान प्लांट से उत्पादन 325 मेगावाट तक बढ़ायेगा. हालांकि, इसमें समय लगेगा. अभी पीटीपीएस की सभी 10 यूनिट से 70 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. राज्य में बिजली की निर्भरता टीवीएनएल पर है. यहां से लगभग 380 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन अतिरिक्त लोड बढ़ते ही टीवीएनएल की एक यूनिट बैठ जाती है. पिछले तीन माह से टीवीएनएल की केवल एक यूनिट काम कर रही है.
सिकिदिरी हाइडल की स्थिति सामान्य नहीं है. केवल बारिश के मौसम में ही यह यूनिट चालू होती है. इससे पीक आवर में 120 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.
क्यों है बिजली की बदतर स्थिति : बिजली विभाग द्वारा लगाये जाने वाले ट्रांसफारमर में तीन अर्थ दिये जाते हैं. अर्थिंग करने के लिए ट्रांसफरमर के पास 10 फीट की बोरिंग की जानी है, लेकिन कर्मचारियों द्वारा बोरिंग करने में कोताही बरती जाती है. इसके अलावा शहर में पानी का लेयर भी 10 फीट पर नहीं मिलता है. अर्थिंग नहीं मिलने से लो वोल्टेज और फ्यूज उड़ने की समस्या आती है. लो वोल्टेज या फ्यूजउड़ने पर उसे बनाने में बिजली विभाग काफी समय लेता है.गरमी के मौसम में तो स्थिति और भी बदहाल हो जाती है.
ट्रांसफारमर और तार की क्षमता इतनी नहीं है कि गरमी में बिजली की फुल लोड आपूर्ति की जा सके. बिजली कटने की एक बड़ी वजह पोल पर लगे पुराने तार और सड़क किनारे लगे वैसे पेड़ भी हैं, जिनकी शाखाओं की छंटाई नहीं की जाती है. इस कारण हल्की हवा चलने पर भी तार टूट जाते हैं. कई बार सड़क किनारे लगे पेड़ों की टहनियां तार पर गिरने से भी बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. शहर में बारिश के दौरान ग्रिड फेल हो जाते हैं. इसके अलावा बिजली विभाग द्वारा मेंटनेंस की वजह से भी बिजली की कटौती की जाती है. विभाग के पास कर्मचारियों की भी कमी है. इस कारण फॉल्ट ठीक करने में काफी समय लग जाता है.
विधानसभा सब स्टेशन से आज बिजली बंद रहेगी : रांची. विधान सभा सब स्टेशन से रविवार को दिन के 10 से शाम पांच बजे तक बिजली बंद रहेगी. इस अवधि में सुधा डेयरी, टेलीफोन एक्सचेंज, सेक्टर थ्री, क्रिकेट स्टेडियम व आसपास के इलाके, इंद्रप्रस्थ पेट्रोलपंप व उसके आसपास के इलाके में बिजली नहीं मिलेगी.
चार घंटे शुक्ला कॉलोनी में बिजली बंद रहेगी : रांची. मेकन सब स्टेशन के बिरसा फीडर के शुक्ला कॉलोनी इलाके में सुबह आठ से दिन के 12 बजे तक बिजली बंद रहेगी. इस अवधि में दो क्षतिग्रस्त ट्यूबलर पोल को बदलने का काम किया जायेगा.

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