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दुमका के नीलोत्पल को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

वसीम अकरमदिल्ली ब्यूरो: देश की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2016 की घोषणा कर दी है. अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में इंफाल में संपन्न हुई बैठक में विभिन्न भाषाओं की कुल 24 पुस्तकों को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार देने की घोषणा की गयी. पुरस्कार स्वरूप एक […]

वसीम अकरम
दिल्ली ब्यूरो: देश की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2016 की घोषणा कर दी है. अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में इंफाल में संपन्न हुई बैठक में विभिन्न भाषाओं की कुल 24 पुस्तकों को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार देने की घोषणा की गयी. पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्र फलक और 50 हजार रुपये की राशि दी जायेगी.
हिंदी भाषा में इस पुरस्कार के लिए नीलोत्पल मृणाल के उपन्यास ‘डार्क हॉर्स-एक अनकही दास्तां’ का चयन किया गया है. गौरतलब है कि यह किताब नीलोत्पल मृणाल की पहली कृति है और यह एक नये प्रकाशन ‘शब्दारंभ प्रकाशन’ की भी पहली किताब है. नीलोत्पल मृणाल झारखंड के दुमका जिले के नोनीहाट गांव के निवासी हैं. फिलहाल वे दिल्ली में रह कर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. नीलोत्पल की शुरुआती शिक्षा नोनीहाट में ही हुई. उन्होंने रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक किया. उनके पिता झारखंड प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं और माता गृहिणी हैं. नीलोत्पल मृणाल इतिहास के छात्र हैं, लेकिन उनकी साहित्य में गहरी रुचि है. नीलोत्पल लोकगीतों के उभरते गायक भी हैं. प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने साहित्य अकादमी की निर्णायक मंडली के प्रति आभार प्रकट करते हुए भविष्य में भी जिम्मेवारी से लिखते रहने का भरोसा दिलाया. उनका अगला उपन्यास ग्रामीण जीवन की जटिलताओं पर आधारित है.

नीलोत्पल मृणाल का ‘डार्क हॉर्स’ उन सभी छात्रों की संवेदना को व्यक्त करता है, जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांवों से निकल कर सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए शहर की ओर जाते हैं. वे इस ठसक के साथ एक जद्दोजहद भरी जिंदगी में कदम रखते हैं कि अब अगर बोरिया–बिस्तर उठा, तो उनके नन्हें हाथों में एक कुशल प्रशासक बनने का प्रमाणपत्र होगा तथा उनके छोटे कंधों पर शिद्दत से आस लगाये मां–बाप की आंखों में पल रहे कुछ खूबसूरत ख्वाबों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी होगी. यह ठसक यहीं नहीं रूकती, बल्कि और भी आगे बढ़ती है और घर–परिवार, रिश्ते-नाते, गांव-जवार, जनपद-क्षेत्र आदि को शानो–शौकत से नवाजती हुई अगली कई पीढ़ियों को तारने तक पहुंचती है. इस ऐतबार से ‘डार्क हॉर्स’ महज एक उपन्यास भर नहीं है, बल्कि छात्र जीवन की अनगिनत अनकही कहानियों का दस्तावेज है.

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