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वारंटी निर्मला को लाकर विपक्ष ने मारा मास्टर स्ट्रोक, क्रॉस वोटिंग से हार गये
पुलिस देखती रह गयी और निर्मला देवी पहुंच गयीं विधानसभा. इसके बाद सत्ता पक्ष में सनसनी फैल गयी. लेकिन विपक्ष को इसका फायदा नहीं मिल सका और क्रॉस वोटिंग होने के चलते आखिरकार भाजपा दोनों ही सीट पर कब्जा जमाने में सफल हो गयी. रांची : वारंटी निर्मला देवी को लाकर विपक्ष ने राज्यसभा चुनाव […]
पुलिस देखती रह गयी और निर्मला देवी पहुंच गयीं विधानसभा. इसके बाद सत्ता पक्ष में सनसनी फैल गयी. लेकिन विपक्ष को इसका फायदा नहीं मिल सका और क्रॉस वोटिंग होने के चलते आखिरकार भाजपा दोनों ही सीट पर कब्जा जमाने में सफल हो गयी.
रांची : वारंटी निर्मला देवी को लाकर विपक्ष ने राज्यसभा चुनाव में मास्टर स्ट्रोक मारा था़ निर्मला देवी की मजबूत घेराबंदी की गयी थी़ सत्ता पक्ष के लोग उनके नजदीकी लोगों से संपर्क में थे़
निर्मला देवी एक दिन पूर्व ही बड़कागांव से रांची पहुंच गयी थी़ कांग्रेस के एक कद्दावर नेता के संपर्क में थी़ कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी रांची पहुंचे थे़
कांग्रेस प्रदेश के कद्दावर नेता के घर इनकी बैठक हुई़ इसमें निर्मला देवी और पांकी के विधायक बिट्टू सिंह भी शामिल थे़ इस बैठक में इन नेताओं को वोट के लिए तैयार किया गया था़ कांग्रेस के नेता रात भर जागे रहे, इनके लिए अगले दिन वोटिंग का प्लॉट तैयार करते रहे़
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के एचइसी स्थित आवास से इन विधायकों को दूसरी जगह रखा गया, लेकिन कांग्रेस के नेता टच में थे़ अचानक विधानसभा में सूचना मिली कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं हो पायी, तो इन दोनों विधायकों को लाने की तैयारी हुई़
हेमंत सोरेन के कारकेड से निर्मला देवी विधानसभा पहुंची़ पुलिस भी चौकस थी, लेकिन पुलिस को भनक नहीं लगी़ कारकेड की गाड़ी वीआइपी गेट से घुस गयी़ निर्मला देवी के आते ही सत्ता पक्ष में सनसनी फैल गयी़ वहीं दूसरी आेर विपक्ष के लोगों ने राहत की सांस ली़ कांग्रेस के डॉ अजय, सुखदेव भगत, राजेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ सरफराज अहमद सहित दूसरे नेताओं की बेचैनी कम हुई़ झामुमो का खेमा भी जीत को लेकर आश्वसत हो गया़ निर्मला देवी को विपक्ष लेकर पहुंचा, लेकिन दो क्रॉस वोटिंग से सारा खेल बिगड़ गया़
गेट को किया गया जाम : सत्ता पक्ष की रणनीति मुख्यमंत्री रघुवर दास के कक्ष में बन रही थी. अचानक भाजपा के कार्यकर्ता बाहर निकले. उन्होंने दोनों गेट पर वाहन लगाकर गेट को जाम कर दिया. इसके बाद न तो कोई बाहर निकल पा रहा था और न ही कोई अंदर जा रहा था. यहां तक कि कोई वाहन भी आ रहा था, तो भाजपा के कार्यकर्ता उसे चेक करते. इसके बाद ही उन्हें जाने दे रहे थे. पुलिस के अधिकारी भी गेट पर तैनात हो गये. एक-एक वाहन की तलाशी ली जा रही थी. भाजपा कार्यकर्ताओं को आशंका थी कि कहीं देवेंद्र सिंह भी वोट देने न आ जाये. शाम चार बजे तक कार्यकर्ता डटे रहे. रिजल्ट जारी होने के बाद ही सभी वहां से हटे.
हेमंत सोरेन के साथ पहुंची विधानसभा
सत्ता पक्ष की रणनीति थी कि कांग्रेस की निर्मला देवी और देवेंद्र सिंह वोट देने न आ सकें. इनके खिलाफ वारंट भी जारी था. दिन के दो बजे के करीब विपक्ष खेमा से अचानक नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन निकले. उनके साथ एस्कार्ट गाड़ी भी थी. करीब 15 मिनट बाद ही वह लौटे.
विधानसभा की पिछली गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने रोकना चाहा, पर एस्कार्ट वाहन ने हटने का इशारा किया और कहा कि नेता प्रतिपक्ष हैं. हेमंत सीधे विधानसभा परिसर में प्रवेश कर गये. वह निर्मला देवी को साथ लेकर सीधे अपने कक्ष में चले गये. इसके बाद सुखदेव भगत उन्हें लेकर वोट दिलाने गये. इधर, निर्मला देवी कैसे आ गयी, इसे लेकर सत्ता पक्ष में बेचैनी बढ़ गयी
पांकी विधायक बिट्टू सिंह का देखते रहे रास्ता
पांकी विधायक बिट्टू सिंह वोट देने नहीं पहुंचे़ पूरा विपक्ष पांकी के नये विधायक का रास्ता देखता रहा़ उनके नजदीकी लोगों से संपर्क किया जा रहा था़ बिट्टू सिंह एक दिन पहले कांग्रेस के जिस कद्दावर नेता के घर पर थे, उनके लोग भी परेशान दिखे़ पांकी से लेकर रांची तक सब जगह खंगाला गया, लेकिन कहीं भी सूचना नहीं मिली़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत भी परेशान थे़
भानू, गीता, एनोस और शिवपूजन ने दिया भाजपा को वोट
रांची : अपने-अपने दलों के अकेले विधायक भानू प्रताप शाही, गीता कोड़ा, एनोस एक्का और शिवपूजन मेहता ने भाजपा को ही वोट दिया. गीता कोड़ा लगातार एनडीए की बैठक में शामिल होती रही हैं. वहीं भानू प्रताप शाही ने कहा कि उन्होंने भाजपा को वोट दिया है. राज्य में विकास चाहिए.
अभी भाजपा की सरकार है, तो यह जरूरीहै किविकास के साथ ही वह जायें. उन्होंने उम्मीद भी जतायी थी कि शिवपूजन भी भाजपा को ही वोट करेंगे.
शिवपूजन को खोजते रहे दोनों खेमे के लोग
शिवपूजन मेहता बसपा के विधायक हैं. वह विधानसभा परिसर में 12 बजे के करीब आये थे. फिर अचानक गायब हो गये. इसके बाद तो सत्ता पक्ष और विपक्ष खेमे में खलबली मच गयी. दोनों खेमे के लोग उन्हें तलाश कर रहे थे. करीब 2.30 बजे वह आये. उनके साथ कांग्रेस नेता धीरज साहू भी थे. शिवपूजन वोट देने गये. वोट देने के बाद मीडिया से बात करते हुए शिवपूजन ने कहा कि वह लोकतांत्रिक दलों के साथ हैं. जब उनसे कहा गया कि उनके साथी भानू प्रताप ने भाजपा को वोट दिया है. तब शिवपूजन ने कहा कि भानू जिसके साथ हैं, वह भी उसी के साथ हैं.
इधर, झापा के विधायक एनोस एक्का एंबुलेंस से विधानसभा परिसर पहुंचे. रिम्स के एंबुलेंस से वह स्ट्रेचर पर आये. वोट देने के बाद मीडिया से उन्होंने बात नहीं की. सिर्फ इतना ही कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है. अभी वह बात नहीं कर सकते. इसके बाद सहारा लेकर वह विधानसभा परिसर में बने मुख्यमंत्री रघुवर दास के कक्ष में चले गये. झामुमो खेमे के लोगों ने कहा कि एनोस ने भाजपा को ही वोट कर दिया है.
भाजपा ने तैयार किया था जीत का प्लॉट, कारगर रही रणनीति
रांची. राज्यसभा चुनाव में दोनों सीट पर जीत दर्ज करने को लेकर भाजपा की ओर से पूरा प्लॉट तैयार किया गया था. इसको लेकर पिछले तीन दिनों से लगातार बैठकों का दौर जारी था. मुख्यमंत्री रघुवर दास केंद्रीय नेताओं के साथ मिल कर खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे.
चर्चा है कि दोनों सीट पर जीत दर्ज करने के लिए कई विधायकों से संपर्क भी साधा गया था. वारंट होने के कारण कई विधायकों के अनुपस्थित रहने को आधार बनाते हुए रणनीति बनायी गयी थी. अगर तीन विधायक अनुपस्थित रहते हैं, तो गणित क्या होगा. कैसे द्वितीय वरीयता के वोट का लाभ उठाया जा सकता है. इसके अलावा पार्टी की ओर से तीन दिनों तक बैठक कर वोट डालने की पद्धति बतायी गयी, ताकि एक वोट भी बरबाद नहीं हो सके. प्रोजेक्ट भवन में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के तहत जानकारी दी गयी. इसके अलावा कौन-कौन विधायक किस उम्मीदवार को वोट डालेगा. इसकी सूची तैयार की गयी थी.
पहले चरण में मुख्तार अब्बास नकवी के पक्ष में 27 विधायकों को वोट डालने की रणनीति बनायी गयी. इसकी जिम्मेवारी प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी को सौंपी गयी. वहीं शेष विधायकों का नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री कर रहे थे. रणनीति के तहत मुख्यमंत्री रघुवर दास और नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के वोट को रिजर्व रखा गया. अंतिम समय में रणनीति के तहत ही मुख्यमंत्री रघुवर दास, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह और विधायक अनंत ओझा ने द्वितीय वरीयता का वोट डाला. इस वोट का फायदा महेश पोद्दार को मिला और वे 0.66 मत से जीते. कुल मिला कर भाजपा की रणनीति कारगर साबित हुई.
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