पहले उनका कार्यक्रम 24 मई को प्रस्तावित था. फिर यह तारीख 30 मई हुई तथा अब संभवत: छह जून तय हुई है. गौरतलब है कि इससे पहले वित्तीय वर्ष 2004-05 तथा 2005-06 में एनआरएचएम के तहत करीब 30 करोड़ की लागत से 751 वाहन खरीदे गये थे. इनमें से 606 विभाग के विभिन्न कार्यालयों तथा 145 एनजीअो को दिये गये थे. इन्हें एंबुलेंस की तरह सस्ते दरों पर चलाना था. पर वाहन बांट कर विभाग भूल गया कि उनका कहां व कैसा इस्तेमाल हो रहा है.
वहीं पीएचसी, सीएचसी व रेफरल अस्पतालों को मिले करीब 240 वाहन बाद में वहीं खड़े जंग खाते रहे थे, कयोंकि इनके लिए ड्रावइर व ईंधन की व्यवस्था नहीं हो सकी थी. खरीदे गये वाहनों में 14 ट्रक व बस भी शामिल थे, जिन्हें किसी तरह जहां-तहां खड़ा कर दिया गया था. कुष्ठ नियंत्रण निदेशालय को भी एक ट्रक व एक बस दे दिया गया था, जो अारसीएच परिसर में ही खड़े जंग खाते रहे थे. कुल वाहनों में से 68 अधिकारियों के बीच बंटे थे. वितरित वाहनों में स्वराज माजदा एंबुलेंस, आइशर एंबुलेंस, आइशर ट्रूप कैरियर, ट्रक, बस, एंबेसडर, टोयोटा क्वालिस, मारुति जिप्सी, इंडिगो मारिना, मारुति वैन, महिंद्रा मार्शल, टाटा स्पेशियो, टाटा सूमो, टाटा सूमो विक्टा, बजाज मैक्स, महिंद्रा बोलेरो व ओमिनी एंबुलेंस शामिल थे.