कांग्रेस के दावेदारों की केंद्रीय नेतृत्व ने नहीं सुनी़ कांग्रेस के अंदर वर्तमान सांसद धीरज साहू, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और राजेंद्र सिंह दावेदार थे़ पहले कांग्रेस नेताओं ने झामुमो से समर्थन हासिल करने के लिए अपने-अपने स्तर पर जोर लगाया़ झामुमो ने इन नेताओं को कोई आश्वासन नहीं दिया़ झामुमो ने दावं चलते हुए कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी दावेदारी पेश कर दी़ विधानसभा में संख्या बल कांग्रेस के पक्ष में कमजोर थी़ ऐसे हालात में कांग्रेस भी आसानी से झामुमो के पक्ष में राजी हो गयी़.
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राज्यसभा चुनाव : कांग्रेस ने अपने दावेदारों की नहीं सुनी, झामुमो की चली
रांची : राज्यसभा चुनाव को लेकर यूपीए के अंदर की तसवीर भी साफ हो रही है़ राज्यसभा की एक सीट पर यूपीए फोल्डर की दावेदारी है़ कांग्रेस बैकफुट पर है़ अब तक मिली सूचना के अनुसार कांग्रेस ने झामुमो के लिए राज्यसभा का रास्ता साफ कर दिया है़ . कांग्रेस के दावेदारों की केंद्रीय नेतृत्व […]
रांची : राज्यसभा चुनाव को लेकर यूपीए के अंदर की तसवीर भी साफ हो रही है़ राज्यसभा की एक सीट पर यूपीए फोल्डर की दावेदारी है़ कांग्रेस बैकफुट पर है़ अब तक मिली सूचना के अनुसार कांग्रेस ने झामुमो के लिए राज्यसभा का रास्ता साफ कर दिया है़ .
इधर, झामुमो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसंत सोरेन का नाम तेजी से बढ़ा दिया है़ सोमवार को पार्टी ने विधायक दल की बैठक बुलायी है़ बैठक के बाद बसंत सोरेन के नाम की घोषणा हो सकती है़ बैठक में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी रहेंगे़ विधायकों के बीच सर्वसम्मति बनायी जायेगी़. इधर, कांग्रेस ने भी विधायक दल की बैठक बुलायी है़ बैठक में विधायकों को झामुमो के पक्ष में मतदान करने का फरमान सुनाया जा सकता है़.
झामुमो को झाविमो सहित
छोटे दलों का लेना होगा समर्थन
कांग्रेस के समर्थन के बावजूद झामुमो झाविमो और छोटे दलों के समर्थन के बाद ही आंकड़ा पूरा कर सकेगा़ चुनाव में झामुमो को 28 विधायकों के समर्थन की जरूरत हाेगी़ झाविमो साथ आ गया, तो कोई परेशानी नहीं होगी़ कांग्रेस, झामुमो और झाविमो के साथ आंकड़ा 28 पहुंच जायेगा़ मासस के अरूप चटर्जी, एनोस एक्का, बसपा और माले के समर्थन के लिए भी कोशिश करेंगे़ यूपीए-एनडीए से एक-एक उम्मीदवार रहे, तो वोटिंग की आवश्यकता नहीं पड़ेगी़.
प्रदेश अध्यक्ष ने बनायी दूरी, नहीं लगाया जोर
राज्यसभा चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने दूरी बना कर रखी़ पार्टी के अंदर दावेदारों को देखते हुए अपने को अलग कर लिया़ केंद्रीय नेतृत्व के पास राज्यसभा की दावेदारी नहीं की़ इधर, पार्टी में राज्यसभा की सरगरमी तेज थी, पार्टी के अंदर लॉबिंग चल रही थी़ उधर श्री भगत राज्य से बाहर रहे़ पार्टी के दावेदार अपने-अपने स्तर से लगे रहे़ झामुमो के लिए ऐसी परिस्थिति में रास्ता आसान बन गया़
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