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ट्रेनिंग के नाम पर फरजी ढंग से निकाले 10 करोड़

रांची : पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि जेएसएसडीआइ (झारखंड सोसाइटी फॉर स्किल डेवलपमेंट इनिसिएटिव स्कीम) के अधिकारियों ने राज्य के युवाओं को ट्रेनिंग देने के नाम पर फरजी तरीके से 10 करोड़ की निकासी की. इसके अलावा युवाओं को गलत ट्रेनिंग दी थी. पुलिस के अनुसार, इस गड़बड़ी के लिए जेएसएसडीआइ के […]

रांची : पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि जेएसएसडीआइ (झारखंड सोसाइटी फॉर स्किल डेवलपमेंट इनिसिएटिव स्कीम) के अधिकारियों ने राज्य के युवाओं को ट्रेनिंग देने के नाम पर फरजी तरीके से 10 करोड़ की निकासी की. इसके अलावा युवाओं को गलत ट्रेनिंग दी थी. पुलिस के अनुसार, इस गड़बड़ी के लिए जेएसएसडीआइ के तत्कालीन कोषाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद (वर्तमान में सहायक निदेशक), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान धनबाद में पदस्थापित तत्कालीन लिपिक बलदेव सिंह और दुमका में पदस्थापित उप निदेशक प्रशिक्षण शशि भूषण प्रसाद जिम्मेदार हैं.

पुलिस को मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर आमिर सोहैल की संलिप्तता के भी साक्ष्य मिले हैं. जेएसएसडीआइ झारखंड सरकार के श्रम नियाेजन प्रशिक्षण व कौशल विकास विभाग से संबंधित है. योगेंद्र प्रसाद वर्तमान में हेहल में पदस्थापित हैं. बलदेव सिंह 30 मार्च 2012 से 16 जनवरी 2015 तक जेएसएसडीआइ में रोकड़पाल के रूप में भी पदस्थापित रहे थे. वहीं, शशि भूषण प्रसाद सात अगस्त 2014 से लेकर 15 नवंबर, 2015 तक कोषाध्यक्ष के प्रभार में थे.

बिना कैश बुक में लिखे किया भुगतान : पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि जेएसएसडीआइ के इन अधिकारियों ने विभिन्न वोकेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम (वीटीपी ) और एसेसिंग बॉडी को संचालित प्रशिक्षण के मद में लगभग 10 करोड़ का भुगतान कैश बुक में बिना लिखे ही दे दिया, जो नियम के अनुसार गलत है. यह रकम राज्य के बेरोजगार युवकों के प्रशिक्षण के लिए आवंटित थी.
कैसे की गड़बड़ी : युवाओं को गलत ट्रेनिंग देने संबंधी मामले की जांच में पुलिस ने पाया कि योगेंद्र प्रसाद जेएसएसडीआइ के गठन से लेकर छह अगस्त 2014 तक कोषाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित थे. माे आमिर सोहैल कंप्यूटर ऑपरेटर था. इस दौरान मो आमिर वीटीपी के ऑनलाइन पोर्टल के काम के लिए अधिकृत थे. वीटीपी के गोपनीय पासवर्ड केंद्र सरकार ने सीधे जेएसएसडीआइ के तत्कालीन कोषाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद को दिया था. वीटीपी के रजिस्ट्रेशन से संबंधित सारी जवाबदेही योगेंद्र प्रसाद और मो आमिर के पास थी. वीटीपी मूल्यांकन कमेटी ने कोटने प्रशासनिक मैनेजमेंट कॉलेज, धनबाद के लिए ट्रेनिंग कोर्ड एसएस 202 की अनुशंसा की थी. पर योगेंद्र प्रसाद और मो आमिर ने जालसाजी के तहत कोर्ड एसएस 202 की जगह एसएस 102 का रजिस्ट्रेशन फरजी तरीके से करा लिया. ट्रेनिंग कोर्ड एमएएम 104 और बीएसी 104 की जगह फरजी तरीके से गलत नंबर जारी कर दिया.
18 मार्च को दर्ज हुई थी शिकायत : नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के अवर सचिव सुदेश कुमार वर्मा ने डोरंडा थाने में 10 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी और गलत ट्रेनिंग कोर्स में रजिस्ट्रेशन कराये जाने को लेकर 18 मार्च को दो अलग-अलग शिकायत की थी. जांच की जिम्मेवारी डाेरंडा थाने के दारोगा सतीश कुमार को सौंपी गयी थी. हटिया एएसपी प्रशांत आनंद ने जांचकर्त्ता को कुछ अन्य बिंदुओं पर भी जांच का आदेश दिया है. अंतिम जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी.

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