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मेघा बनीं रांची की टॉपर, मिला 32वां स्थान

यूपीएससी : यूपीएससी परीक्षा में रांची के विद्यार्थियों का शानदार प्रदर्शन, कई को मिली सफलता रांची : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा मंगलवार को सिविल सेवा का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. रांची की मेघा भारद्वाज को 32वां रैंक मिला है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार मेघा राजधानी की टॉपर रहीं हैं. […]

यूपीएससी : यूपीएससी परीक्षा में रांची के विद्यार्थियों का शानदार प्रदर्शन, कई को मिली सफलता
रांची : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा मंगलवार को सिविल सेवा का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. रांची की मेघा भारद्वाज को 32वां रैंक मिला है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार मेघा राजधानी की टॉपर रहीं हैं. इसके बाद रांची के ही कुमार आशीर्वाद को 35वां रैंक मिला है. जबकि रांची सर्कुलर रोड निवासी ईशा प्रिया को 75वां रैंक मिला है. डोरंडा के सुमंत सहाय को 89वां रैंक मिला है. कांके रोड निवासी अंकित जालान को 592वां रैंक मिला है. अरगोड़ा के रहनेवाले सिद्धार्थ कुमार को 675वां रैंक मिला है.
संत जेवियर्स की छात्रा रही हैं मेघा
कडरू की मेघा भारद्वाज को सिविल सेवा परीक्षा 2015 में 32वां स्थान मिला है़ मेघा ने दूसरे प्रयास में सफलता पायी है़ उसने विशप वेस्टकॉट से 10वीं, डीएवी कपिलदेव से 12वीं पास की है़
वहीं संत जेवियर कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से जूलॉजी में ही एमए किया है़ पढ़ने में मेधावी मेघा ने वर्ष 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में पहले प्रयास में 546वां रैंक लाया था़ वहीं साल 2014 में इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेस में दूसरे प्रयास में छठा रैंक प्राप्त किया था़ मेघा के पिता मोहनजी दूबे विजया बैंक में कार्यरत हैं. जबकि मां माधुरी दूबे गृहिणी हैं. मेघा फिलवक्त देहरादून में प्रशिक्षण ले रही हैं.
सच्चा व ईमानदार अधिकारी बनना चाहता हूं : करण सत्यार्थी
सिंदरी के लाल ने यूपीएससी में नौवीं रैंक पाकर झारखंड में लहराया परचम
धनबाद : सिंदरी निवासी करण सत्यार्थी ने यूपीएससी में नौवीं रैंक लाकर झारखंड का मान बढ़ाया है. करण ने आइआइटी खड़गपुर से बी टेक किया है. इससे पहले भी उसने इस परीक्षा के लिए एक और एटेम्ट लिया था, लेकिन 19 मार्क्स से पीछे रह जाने के कारण सफलता हाथ नहीं लगी. लेकिन करण को अपनी प्रतिभा व मेहनत पर पूरा विश्वास था.
दोबारा कोशिश में उसे अपेक्षा से अधिक सफलता मिली. करण ने बताया कि दूसरी बार जब परीक्षा में बैठा, तो विश्वास था कि सौ तक रैंक हासिल हो जायेगा, लेकिन नौवीं रैंक मिलेगी, इसकी उम्मीद नही थी. कर्ण अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व बड़ी बहन को देते हैं.
करण के पिता प्रफुल्ल शर्मा बीआइटी सिंदरी में सिविल ब्रांच में प्रोफेसर हैं. वहीं कर्ण की मां तनुजा शर्मा हाउस वाइफ हैं. उन्होंने कहा कि बेटे की सफलता से दुनिया की सबसे बड़ी खुशी पा ली हूं. बचपन से कर्ण ने मेहनत व लगन के साथ पढ़ाई की है. करण ने बताया कि उसने डि-नोबिली स्कूल डिगवाडीह से 10वीं तक की पढ़ाई की, जबकि 12वीं 2009 में सिंदरी के लॉयंस पब्लिक स्कूल से किया. इसके बाद आइआइटी खड़गपुर में 2010 में स्नातक में दाखिला लिया.
करण ने बताया कि उसने तैयारी को लेकर कभी कोचिंग नहीं की. घर में ही रह कर नियमित पढ़ाई की. नियमित पढ़ाई करने से कम समय की पढ़ाई से भी आप बेहतर सफलता पा सकते हैं. करण ने बताया कि उसे पढ़ाई के साथ-साथ उपन्यास पढ़ना तथा फिल्म पसंद है. पढ़ाई के बाद बचा समय इसी में गुजरता है. यह पूछे जाने पर आगे क्या सोच रखा है. उसने बताया कि देखता हूं कौन सा स्टेट मिलता है, चाहे जो भी मिले पापा-मम्मी की सोच पर खरा उतरते हुए एक सच्चा व ईमानदार अधिकारी के रूप में दिखना चाहता हूं.
पहली कोशिश में ही ईशा को मिला 75वां रैंक
रांची : यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में शहर की ईशा प्रिया को 75वां रैंक मिला है़ वीमेंस कॉलेज के समीप प्रशांतम अपार्टमेंट में रहनेवाली ईशा को पहले प्रयास में सफलता मिली है़ उन्होंने बताया कि दिल्ली में एलएनटी कंपनी में बतौर सीनियर इंजीनियर काम करते हुए उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की़
ईशा ने अपनी 10वीं की पढ़ाई सेक्रेट हर्ट से की है़ जबकि 12वीं की पढ़ाई जेवीएम श्यामली से करने के बाद कोच्चि स्थित क्यूसेट से बीटेक की़ ईशा प्रिया के पिता सुधांशु कुमार बुंडू कॉलेज में बॉटनी विभाग के प्राध्यापक हैं, जबकि मां वंदना कुमारी भी बुंडू कॉलेज में ही प्राध्यापिका हैं.
चौथे प्रयास में डोरंडा के सुमंत को 89वां रैंक
रांची : सुमंत सहाय काे सिविल सेवा परीक्षा में देश भर में 89वां रैंक मिला है़ सुमंत को यह सफलता चौथे प्रयास में मिला है़ सुमंत ने बताया कि 10वीं की परीक्षा उसने लाला लाजपत राय स्कूल से पास की थी. 10वीं में उसे 87.8 फीसदी अंक मिला था़ इंटर की पढ़ाई संत जेवियर कॉलेज से की. इंटर में सुमंत को 69.2 फीसदी अंक मिला था़
शास्त्रा विवि तमिलनाडु से इलेक्ट्रिकल एंड इलोक्ट्रोनिक्स में स्नातक किया़ सिविल सेवा में सुमंत का विषय इतिहास था़ सुमंत मूल रूप से दुमका का रहनेवाला है़ उसके पिता चंदमोहन सहाय सहकारिता विभाग से सेक्शन ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए है़ं सुमंत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है़ उसने बताया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है़ यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने के लिए अंक की कोई बाध्यता नहीं है, इसलिए कम अंक वाले विद्यार्थी भी मेहनत कर परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
देश के लिए काम करने का है जज्बा : अंकित
रांची : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 592 रैंक लानेवाले रांची के अंकित जालान ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से पूरी की है. बीकॉम के छात्र रहे अंकित के पिता रमेश जालान सिल्ली में व्यवसायी हैं. अंकित अपनी सफलता से काफी खुश हैं अौर देश के लिए काम करने का जज्बा रखते हैं.
वे कहते हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनके मामा कमल सिंघानियां, विमल सिघांनियां व प्रदीप सिंघानियां की अहम भूमिका है. अंकित का कहना है कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ अपनी तैयारी में इंटरनेट की काफी मदद ली. मेहनत से कुछ भी हासिल हो सकता है. काम करने से कभी भी पीछे नहीं हटे. वर्ष 2014 में इन्होंने सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के लिए चयनित हुए थे. वर्तमान में वे दिल्ली से एलएलबी कर रहे हैं.
मां की है पीडीएस दुकान, बेटे सिद्धार्थ कुमार की ऊंची उड़ान
रांची. अरगोड़ा स्थित शिवदयाल नगर के रहनेवाले व नोटरी पब्लिक अमृत राम साहू व पीडीएस दुकान चलानेवाली सुनीता साहू के पुत्र सिद्धार्थ कुमार ने इस बार संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 675वां रैंक प्राप्त किया है. सिद्धार्थ अपनी सफलता के पीछे कड़ी मेहनत, माता-पिता का आशीर्वाद व गुरु की कृपा बताते हैं. इसने डीएवी कपिलदेव से 93 प्रतिशत अंक लाकर 10वीं की परीक्षा पास की. डीपीएस रांची से 92 प्रतिशत अंक के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद बीआइटी मेसरा से डिस्टिंग्शन के साथ इंजीनियरिंग की. दिल्ली में तैयारी करने के बाद पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिली है.
साहिबगंज के अभिनव को 347 वां स्थान
साहिबगंज के चौधरी कॉलोनी के रहनेवाले अभिनव कुमार को सिविल सेवा परीक्षा में 347 वां रैंक मिला है. इनके पिता संजय कुमार प्रदूषण विभाग, रांची में कार्यरत हैं. मां रजनी देवी गृहिणी है. प्राथमिक शिक्षा भागलपुर से करने के बाद राम कृष्ण मिशन देवघर से अभिनव ने दसवीं पास की.. अभिनव ने बीआइटी व आइआइटी की परीक्षा भी पास की है. सिविल सेवा में चयनित अभिनव कुमार ने दूरभाष पर कहा कि उसका पहला लक्ष्य आइएएस बनना था. काफी मेहनत करने के बाद मुझे सफलता मिली है.
भुरकुंडा के प्रिंस को मिला 554 वां रैंक
भुरकुंडा सौंदा डी के प्रिंस विक्रम को यूपीएससी की परीक्षा में देश भर में 554 वां रैंक मिला है. प्रिंस के पिता पीके रामदास सेंट्रल सौंदा में मैनेजर हैं. मां पूनम देवी गृहिणी हैं. हैदराबाद में बैंक में पीअो के पद पर कार्यरत प्रिंस की बहन पूजा भी भाई की इस सफलता से काफी खुश है. प्रिंस ने मैट्रिक की परीक्षा 2005 में डीएवी बरकाकाना, इंटर की परीक्षा कोटा से पास की. इसके बाद 2013 में बीएचयू से आइआइटी की परीक्षा में सफलता मिली. 2014 से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुटे गये.
मधुपुर की कनिका को 787वां रैंक
मधुपुर की कनिका शर्मा को यूपीएससी की परीक्षा में 787वां रैंक मिला है. उसे संभवत: इंडियन रेल सेवा मिल सकती है. शहर के बावनबीघा निवासी राम प्रवेश शर्मा उर्फ झूलन व रागिनी शर्मा की पुत्री कनिका फिलहाल दिल्ली के जेएनयू से पीजी कर रही है. साथ ही पिछले दो साल से वह खुफिया एजेंसी रॉ के लिए भी काम कर रही थी. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा प्रभु दयाल शर्मा व माता-पिता को दिया है. कनक ने मैट्रिक तक की पढ़ाई मदर्स इंटरनेशनल मधुपुर से की है. गिरिडीह से इंटरमीडिएट व पटना महिला कॉलेज से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण की है.
चाईबासा के हर्ष को 100वां रैंक, तीसरी बार में हुए सफल
चाईबासा : यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षा में चाईबासा के हर्ष चिरानियां ने देश में 100वां स्थान प्राप्त किया है. चाईबासा के छोटा नीमडीह निवासी बजरंगलाल चिरानियां के बड़े बेटे हर्ष ने यह सफलता तीसरे प्रयास में पायी है. हर्ष ने बीटेक बेंगलुरु से किया है. अपनी इस सफलता का श्रेय हर्ष ने अपने माता-पिता, शिक्षकों के साथ-साथ दोस्तों को दिया है. अपनी सफलता को लेकर हर्ष ने प्रभात खबर से विस्तृत बातचीत की.
कितने बार की कोशिश में आपको सफलता मिली?
यह मेरा तीसरा प्रयास था. पहली बार इंटरव्यू में पहुंच कर छंट गया था. दूसरी बार सही से पढ़ाई नहीं हो पायी. तीसरी बार मैंने सफलता हासिल की.
मुख्य परीक्षा में आपका वैकल्पिक विषय क्या था?
मुख्य परीक्षा में मेरा वैकल्पिक विषय सोशियोलॉजी था. मैं दिल्ली में रहकर तैयारी करता था. तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान का सहारा लिया.
अपनी तैयारी किस तरह से की?
बीटेक करने के दौरान ही मेरा रुझान सिविल सेवा की तरफ चला गया था. इसकी बुनियादी बातों पर मैंने बीटेक करने के दौरान ही ध्यान देना शुरू कर दिया था. फिर जब बीटेक स्नातक पूरा कर लिया, तब अपना पूरा ध्यान यूपीएएसी तैयारी करने में लगा दिया.
सफलता के लिए प्रतिदिन आपने कितने घंटे पढ़ाई की?
मेरे पढ़ने का कोई फिक्स समय नहीं था. सुबह उठ कर सबसे पहले अखबार पढ़ता था. फिर दो-तीन घंटे की पढ़ाई के बाद खाना खाकर कुछ देर आराम करता था. फिर पढ़ाई करने में जुट जाता था. रात में लगभग तीन बजे तक पढ़ाई करता था. सुबह दस बजे तक उठ जाता था. इसका मतलब यह नहीं हुआ कि ज्यादा देर तक पढ़ने से ही सफलता मिलती है. कितना पढ़ना और क्या पढ़ना है, यह खुद तय करना पड़ता है.
सिविल सेवा में सफलता का मूल मंत्र क्या है?
सबसे पहले आपको संवेदनशील और लोगों की समस्याओं की समझ होनी बहुत जरूरी है. जब, यह समझ पैदा हो जायेगी, तब आप सिविल सेवा की तैयारी के लिए पूरी तरह से तैयार हो जायेंगे. यही समझ और परख आपको सफलता दिलाती है.
विनीत अग्रवाल को 128 वां रैंक
किरीबुरु : राजगांगपुर (ओड़िशा) के छात्र विनीत अग्रवाल ने यूपीएससी की परीक्षा में 128वां रैंक हासिल कर शहर का नाम रौशन किया है. विनीत अग्रवाल के पिता साजन अग्रवाल कपड़ा व्यवसायी हैं एवं विनीत ने प्रारंभिक शिक्षा डालमिया विद्यालय (राजगांगपुर) से हासिल की है. बीटेक की पढ़ाई भुवनेश्वर के आइटीइआर विद्यालय से पूरी की. इसके बाद दिल्ली जाकर यूपीएसइ की तैयारी की. विनीत की इस सफलता से घर समेत आसपास के लोगों में खुशी का माहौल है.
गोला के केतन को मिला यूपीएससी में 860 रैंक
गोला के कोरांबे गांव निवासी नलिन प्रसाद के पुत्र केतन ने सिविल सेवा की परीक्षा में 860 वीं रैंक हासिल की है. इनके पिता हजारीबाग बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में कार्यरत हैं. केतन की पढ़ाई-लिखाई हजारीबाग में ही हुई. केतन विद्यालय से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहा है. कोटा से आइआइटी की तैयारी करने के बाद वे संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी में जुट गये. केतन के परिवार के कृष्ण प्रसाद एवं इनके भाई वेद प्रकाश पूर्व में ही आइपीएस बन चुके हैं. कृष्णा प्रसाद महाराष्ट्र में एवं वेद प्रकाश दिल्ली में आइपीएस के रूप में कार्यरत हैं.

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