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आधे शहर को हो रही गंदे पानी की आपूर्ति
रांची: रांची शहर के आधे से अधिक क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति करनेवाला बूटी जलागार लोगों को गंदा पानी पिला रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि जिस टंकी से पानी की आपूर्ति की जा रही है उसकी हालत यह बयां कर रही है. 15 लाख गैलन क्षमता की एक टंकी के कोने […]
रांची: रांची शहर के आधे से अधिक क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति करनेवाला बूटी जलागार लोगों को गंदा पानी पिला रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि जिस टंकी से पानी की आपूर्ति की जा रही है उसकी हालत यह बयां कर रही है. 15 लाख गैलन क्षमता की एक टंकी के कोने का पूरा हिस्सा टूट कर अंदर चला गया है. एक साल से इस टंकी की हालत ऐसी बनी हुई है.
अब तक बनाया नहीं जा सका है
बूटी मोड़ से कुछ दूरी पर स्थित पहाड़ पर पूरे शहर को पेयजलापूर्ति करने के लिए दो बड़ी टंकी बनी हुई है. इसकी क्षमता 15-15 लाख गैलन की है. इससे पूरे शहर की 80 फीसदी आबादी को आपूर्ति की जाती है. इन दोनों टंकी में रूक्का डैम से पानी चढ़ाया जाता है. यहां बनी एक टंकी का एक कोना लगभग एक साल पहले धंस कर नीचे गिर चुका है, लेकिन इसे अभी तक ठीक नहीं किया जा सका़ अगर इसे शीघ्र दुरुस्त नहीं किया गया, तो आनेवाले दिनों में पूरी टंकी की छत गिर सकती है़.
साफ पानी हो रहा है गंदा : रूक्का से पानी को साफ करके बूटी पीएचडी ऑफिस के सामने बने तीन संप में जमा किया जाता है. यहां भी पानी को साफ किया जाता है. इसके बाद पानी को पहाड़ पर बनी टंकी में चढ़ाया जाता है और वहां से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन टंकी का एक हिस्सा टूटा होने के कारण जो पानी दो बाद साफ होकर आता है वह भी गंदा हो रहा है. बारिश के पानी के साथ पूरे छत की गंदगी इस जगह से टंकी में जा रही है. यही नहीं, अगर कोई पंछी उसमें मर कर गिर जाता है, तो इसे भी देखनेवाला कोई नहीं है. एक टंकी से हर दिन डेढ़ से दो लाख लोगों को पानी की आपूर्ति की जाती है. वहीं विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टूटे हिस्से को ढंक कर रखा है़ इसमें किसी भी तरह की गंदगी नहीं जा सकती है़ वहीं तसवीर से साफ पता चलता है कि टूटे हुए हिस्से को ढंका नहीं गया है.
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