उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि कंपनी को निर्माण कार्य के लिए जरूरी स्वायल टेस्ट (मिट्टी की जांच), रॉक टेस्ट (पत्थरों की जांच) और जिओलॉजिकल सर्वे (भूगर्भ अध्ययन) की रिपोर्ट नहीं दी गयी है. संरचना निर्माण के लिए तैयार डिजाइन सुरक्षा व स्थायित्व के लिहाज से सही हो सकते हैं, पर पहाड़ी पर मिट्टी और पत्थरों से छेड़-छाड़ के प्रतिकूल परिणाम भी हो सकते हैं. बिना मिट्टी और पत्थरों की जांच किये पहाड़ी मंदिर पर निर्माण खतरनाक साबित हो सकता है. पत्र में उन्होंने पुणे के मलिन गांव की घटना का जिक्र किया है. कहा है कि वहां पूरा पहाड़ रात में गिर गया था. सैकड़ों लोगों की जान गयी थी.
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निर्माण जारी रहा, तो ढह सकती है रांची पहाड़ी
रांची : पहाड़ी मंदिर का जीर्णोद्धार कर रही कंपनी उर्मिला आरसीपी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने काम रोक दिया है. कंपनी के सीएमडी दीपक भरथुआर ने पहाड़ी मंदिर समिति को पत्र लिख कर आगे काम करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि कंपनी को निर्माण कार्य के लिए जरूरी स्वायल […]
रांची : पहाड़ी मंदिर का जीर्णोद्धार कर रही कंपनी उर्मिला आरसीपी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने काम रोक दिया है. कंपनी के सीएमडी दीपक भरथुआर ने पहाड़ी मंदिर समिति को पत्र लिख कर आगे काम करने से इनकार कर दिया है.
बिना जांच किये बनाया गया डिजाइन : कंपनी की ओर से कहा गया है कि तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह और पहाड़ी के पत्थर व मिट्टी की समुचित जांच के बिना ही निर्माण का डिजाइन तैयार किया गया है. बारिश के दौरान भूस्खलन एक सामान्य प्रक्रिया है. सावन में तेज बारिश से पहाड़ों पर भूस्खलन आम है. पहाड़ी मंदिर के पिछले हिस्से में फाॅसिल स्वायल होने की वजह से भूस्खलन आम है. ऐसे में तकनीकी पहलुओं की अनदेखी भारी पड़ सकती है. पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना तैयार करते हुए महत्वपूर्ण सक्षम तकनीकी सहयोग की उपेक्षा की है. ऐसे में पहाड़ी पर किसी तरह के निर्माण की शुरुआत करना सही नहीं है.
पदाधिकारियों ने की अनदेखी िवशेषज्ञों से परामर्श जरूरी
कंपनी के सीएमडी दीपक भरथुआर ने पहाड़ी मंदिर पर बिना समुचित तैयारी के निर्माण कार्य शुरू कराने को लेकर सक्षम पदाधिकारियों पर अनदेखी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है : पत्र के माध्यम से पहाड़ी मंदिर विकास समिति के अलावा सरकार के अन्य सक्षम पदाधिकारियों को पहले ही जानकारी दी जा चुकी है. मौजूदा परिस्थितियों में पहाड़ी मंदिर में निर्माण कार्य करना उचित नहीं है. पहाड़ी वेदरड कोंडालाइट पहाड़ी की श्रेणी में आती है. वहां मेगा प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उच्चस्तर के तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श जरूरी है. बावजूद इसके अब तक किसी ने मामले पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी है.
पुणे के मलिन में ढह गयी थी पहाड़ी, गयी थी सैकड़ों की जान
महाराष्ट्र में पुणे के समीप देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक भीमाशंकर है. भीमाशंकर से 10 किमी की दूरी पर सहयाद्री पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा था मलिन गांव. जुलाई 2014 में हुई भीषण बारिश में पूरा मलिन गांव गायब हो गया. मलिन गांव जिस पहाड़ की तलहटी पर बसा था, वह रात में अचानक ढह गया. सैकड़ों लोग मारे गये. पहाड़ पर पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों को धता बताते हुए गलत तरीके से निर्माण किया गया था. रास्ते बनाये गये थे. जंगल काट कर प्लाटिंग की गयी थी. मिट्टी और पत्थरों की जांच के बगैर हुए निर्माण की वजह से कमजोर हो गया पहाड़ बारिश की मार नहीं झेल सका.
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