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झारखंड कैबिनेट: खत्म हुआ आदिवासी जमीन के कंपनसेशन का प्रावधान
सरकार ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन करने का फैसला लिया है़ सीएनटी एक्ट की धारा 21, 49, 71 और एसपीटी की धारा 13 में संशोधन के टीएसी के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. इससे आदिवासियों की जमीन अब मुआवजे के माध्यम से गैर आदिवासियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी. रांची : […]
सरकार ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन करने का फैसला लिया है़ सीएनटी एक्ट की धारा 21, 49, 71 और एसपीटी की धारा 13 में संशोधन के टीएसी के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. इससे आदिवासियों की जमीन अब मुआवजे के माध्यम से गैर आदिवासियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी.
रांची : सरकार ने सीएनटी एक्ट की धारा 21, 49, 71 और एसपीटी की धारा 13 में संशोधन करने का फैसला लिया है. सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए की उपधारा-2 को समाप्त करने का फैसला किया. इससे अब कंपनसेशन (मुआवजा) के सहारे आदिवासी जमीन का हस्तांतरण गैर आदिवासी को नहीं किया जा सकेगा. हालांकि आधारभूत संरचना के लिए उनकी जमीन ली जा सकेगी. सीएनटी और एसपीटी एक्ट के अंतर्गत आनेवाली जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार भी भू-स्वामी को मिलेगा. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला किया गया.
एसएआर कोर्ट में दायर होंगे आदिवासी जमीन वापसी के मुकदमे : सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए की उपधारा-2 को समाप्त करने के बाद भी एसएआर की अदालतें चलेंगी. एसएआर कोर्ट में आदिवासियों की जमीन वापसी से संबंधित मुकदमे दायर किये जायेंगे. कैबिनेट ने आदिवासी जमीन की वापसी से संबंधित मुकदमों के निबटारे के लिए छह माह का समय निर्धारित किया है. पहले इसके लिए छह माह से दो वर्ष तक का समय तय था.
किस-किस धारा में संशोधन
सीएनटी एक्ट की धारा 49
क्या था पहले : इस धारा के तहत सरकार की ओर से सिर्फ उद्योग और खनन कार्यों के लिए ही जमीन ली जा सकती थी
अब क्या होगा : अब इसमें संशोधन करते हुए आधारभूत संरचना, रेल परियोजना, कॉलेज, ट्रांसमिशन लाइन आदि कार्यों को जोड़ दिया गया है. अर्थात, सरकार अब विकास कार्यों के लिए भी जमीन ले सकेगी. जमीन का उपयोग पांच साल के अंदर नहीं करने पर मालिक को वापस कर दी जायेगी. साथ ही उसे दी गयी मुआवजे की रकम वापस नहीं ली जायेगी.
सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए (2)
क्या था पहले : इस धारा के तहत एसएआर कोर्ट से कंपनसेशन के सहारे आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित की जाती थी.
अब क्या होगा : इस धारा को समाप्त कर देने से कंपनसेशन के सहारे आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी.
सीएनटी एक्ट की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13
क्या था पहले : मालिक को जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार नहीं था. अर्थात, जमीन की प्रकृति अगर कृषि है, तो मालिक उसका इस्तेमाल कृषि कार्य के अलावा किसी अन्य कार्य में नहीं कर सकता था.
अब क्या होगा : कैबिनेट ने इन धाराओं में संशोधन करते हुए मालिक को जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार देने का निर्णय लिया है. इससे अब कोई जमीन मालिक अपनी कृषि योग्य जमीन का व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा. उस जमीन पर मकान, दुकान आदि का निर्माण कर सकेगा.
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