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दामोदर नदी की धारा रोके जाने से उबाल, पानी संकट

रांची, उरीमारी: जहां रेलवे ने कच्चा बांध बनाया है, वहां करीब 10-12 फीट पानी है. इस बाबत रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि दामोदर से पानी लेने के बदले में रेलवे डीवीसी को पैसा चुकाता है. नदी को रोकने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि लगभग दो हजार […]

रांची, उरीमारी: जहां रेलवे ने कच्चा बांध बनाया है, वहां करीब 10-12 फीट पानी है. इस बाबत रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि दामोदर से पानी लेने के बदले में रेलवे डीवीसी को पैसा चुकाता है. नदी को रोकने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि लगभग दो हजार क्वार्टरों में बसे पतरातू डीजल व स्टीम कॉलोनी के लोगों को पानी उपलब्ध कराने के लिए यह कदम उठाया गया है. प्रतिदिन यहां से चार लाख गैलेन पानी आपूर्ति के लिए मोटर पंप के माध्यम से ओवरटैंक में भेजा जाता है. इसके अलावा प्रति लोको के लिए 15 सौ लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. यहां कई लोकोमोटिव है.
सीसीएल हरकत में आया : रेलवे द्वारा नदी के ऊपरी हिस्से में पानी रोके जाने के मामले को सीसीएल ने भी गंभीरता से लिया है. उरीमारी के पीओ प्रशांत वाजपेयी ने कहा कि कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा जायेगा. उन्हाेंने कहा कि उरीमारी परियोजना को दामोदर से ही पानी की आपूर्ति होती है. पानी रोक दिये जाने के कारण उरीमारी के चेक पोस्ट कॉलोनी के पास डोजर लगा कर नदी में चोभा बनाने की जरूरत पड़ गयी है. लगभग यही हाल सयाल का भी है. सीसीएल प्रबंधन ने मामले की शिकायत मौखिक रूप से पतरातू बीडीओ से भी की है.
10 दिनों बाद हमलोग तोड़ देंगे बांध : प्रमुख : बड़कागांव प्रमुख राजमुनी देवी ने कहा कि नदी को बांधने का अधिकार किसी को नहीं है. नदी पर सभी का बराबर का हक है. यदि 10 दिनों के अंदर रेलवे ने क्लोजर नहीं हटाया, तो हम लोग स्वयं बांध को तोड़ कर नदी की धार को मुक्त करा देंगे. जिप सदस्य अर्चना ने भी रिवर क्लोजर
अनुचित बताया. कहा कि पानी सभी को मिलना चाहिए.
कोई नहीं रोक सकता नदी की धार : बीडीओ
इस बाबत बड़कागांव के बीडीओ को जब जानकारी दी गयी कि तो उन्होंने कहा कि रेलवे द्वारा नदी में बांध बना कर पानी रोकना गंभीर मामला है. किसी को भी नदी की धार को रोकने का अधिकार नहीं है. नदी का चरित्र है बहते रहना. उन्होंने कहा कि मैं इस मामले को देखूंगा. वरीय अधिकारियों से कार्रवाई की अनुमति लूंगा.
नदी की धार रोकना मौलिक अधिकार का हनन : वकील
रिवर क्लोजर के मामले पर सीनियर एडवोकेट सुनील कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला मौलिक अधिकार के हनन का है. इससे न्यूसेंस क्रियेट हो सकता है. इसलिए आरोपी पर सीआरपीसी की धारा 133 व 147 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. वहीं यदि इससे जीव-जंतु के जान-माल की हानि हुई, तो इसमें धारा 304 भी जुड़ जायेगा.

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