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मदरसा से आठवीं बोर्ड की परीक्षा समाप्त होगी

रांची: मदरसा परीक्षा से आठवीं बोर्ड (वस्तानिया) की परीक्षा समाप्त होगी़ मदरसा में आठवीं स्तर पर बोर्ड परीक्षा होती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इस आशय का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को भेजा है़. झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड से प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गयी है़ विभाग से की गयी अनुशंसा में कहा गया […]

रांची: मदरसा परीक्षा से आठवीं बोर्ड (वस्तानिया) की परीक्षा समाप्त होगी़ मदरसा में आठवीं स्तर पर बोर्ड परीक्षा होती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इस आशय का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को भेजा है़.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड से प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गयी है़ विभाग से की गयी अनुशंसा में कहा गया है कि राज्य में प्रभावी शिक्षा व्यवस्था में आठवीं स्तर पर बोर्ड परीक्षा का प्रावधान नहीं है़ स्कूली शिक्षा के अलावा मध्यमा स्तर पर भी अाठवीं स्तर पर बोर्ड की परीक्षा नहीं होती है़ राज्य में केवल मदरसा में ही आठवीं स्तर पर बोर्ड की परीक्षा होती है. ऐसे में मदरसा में भी आठवीं स्तर पर बोर्ड परीक्षा की आवश्यकता नहीं है़ प्रतियोगी परीक्षा व आगे की पढ़ाई में नामांकन में इसका कोई विशेष महत्व नहीं है़ .
उल्लेखनीय है कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल मदरसा की कक्षा आठवीं से लेकर स्नातकोत्तर तक की परीक्षा लेती है़ जैक ने मदरसा में राष्ट्रीय मापदंड के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य करने का अनुराेध किया है़ राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का शिक्षक पात्रता परीक्षा पास हाेना अनिवार्य किया गया है़ इसके अलावा मदरसा शिक्षकों के लिए भी शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का अनुरोध सरकार से किया गया है.
विश्वविद्यालय स्तर से होनी चाहिए परीक्षा
झारखंड एकेडमिक काउंसिल से आलिम व फाजिल की परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से कराने की अनुशंसा स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से की है़ जैक द्वारा भेजे गये प्रस्ताव में कहा गया है कि काउंसिल स्कूली शिक्षा में प्लस टू(इंटर) स्तर तक की परीक्षा लेने के लिए अधिकृत है़, जबकि आलिम व फाजिल की पढ़ाई स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर की है़ दोनों पढ़ाई विश्वविद्यालय स्तर की है़ ऐसे में दोनों परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से ही होनी चाहिए.
प्रमाण पत्र को नहीं मिलती है मान्यता
झारखंड एकेडमिक काउंसिल स्तर से आलिम व फाजिल की परीक्षा होने के कारण दोनों परीक्षा के प्रमाण पत्रों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलती़ केंद्रीय व झारखंड के बाहर के राज्यों की प्रतियोगी परीक्षा में प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं दी जाती है़ ऐसे में विद्यार्थी को परेशानी होती है़ यह मामला विधानसभा में भी उठा था़ इसके बाद सरकार द्वारा वर्ष 2014 में तत्कालीन उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था़ कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में आलिम व फाजिल की परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से आयोजित कराने की अनुशंसा की थी, पर इस पर आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका़

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