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शौचालय निर्माण व ईमानदारी ने दिलायी सफलता
अन्य जन प्रतिनिधियों की तरह पंचायत प्रतिनिधियों पर भी जनसमस्याअों से विमुख होने के आरोप लगते रहते हैं. मुखिया बनने को कमाने-खाने का जरिया भर मान लेने की मानसिकता आम है. पर पंचायती राज व्यवस्था में उम्मीद जगानेवाले लोग भी हैं. सरकार ने भी ऐसे 85 पंचायत प्रतिनिधियों को चिह्नित कर उन्हें सम्मानित किया है. […]
अन्य जन प्रतिनिधियों की तरह पंचायत प्रतिनिधियों पर भी जनसमस्याअों से विमुख होने के आरोप लगते रहते हैं. मुखिया बनने को कमाने-खाने का जरिया भर मान लेने की मानसिकता आम है. पर पंचायती राज व्यवस्था में उम्मीद जगानेवाले लोग भी हैं. सरकार ने भी ऐसे 85 पंचायत प्रतिनिधियों को चिह्नित कर उन्हें सम्मानित किया है. दो तरह के मुखिया सम्मानित व पुरस्कृत हुए हैं. एक वो, जिन्होंने अपनी पंचायत को खुले में शौच से मुक्त कर दिया है. दूसरे वो, जो निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. ऐसे ही दो मुखिया पर पेश है संजय की रिपोर्ट.
तोरपा पूर्वी की मुखिया विनिता नाग
रांची. विनीता नाग रांची जिले के तोरपा पूर्वी पंचायत की मुखिया हैं. विनीता को 2010 के बाद 2015 के पंचायत चुनाव में भी सफलता मिली है. विनीता की मानें, तो दूसरी बार मिली सफलता में विकास के अन्य कार्यों के अलावा शौचालय का भी बड़ा योगदान रहा है. दरअसल विनीता का पंचायत खुले में शौच से मुक्त पंचायत बन गया है. एक अप्रैल को सरकार ने उन्हें इस उपलब्धि के लिए दो लाख रु का पुरस्कार भी दिया है. यह रकम पंचायत में लाइब्रेरी व अन्य जरूरी कार्य के लिए दी गयी है. विनीता की पहल से तोरपा पूर्वी तथा इसके विभिन्न टोलों में कुल 274 शौचालय बनाये गये हैं. खुले में शौच के आदि लोगों को घर में शौचालय निर्माण के लिए तैयार करना आसान न था. बकौल विनीता सबको बोलना-समझाना पड़ता था, लेकिन कस्बाई क्षेत्र होने के कारण इस काम में सफलता मिल गयी. पर जन प्रतिनिधि के लिए अपने लोगों से जुड़ना तथा उनके दुख-सुख का सहभागी बनना भी जरूरी है. विनीता को इसका अहसास है. यही वजह है कि वह जमीन विवाद तथा अन्य समस्याअों को सहमति से निबटाने सहित जरूरतमंद की सहायता के लिए तत्पर रहती हैं.
ईमानदार छवि व विश्वसनीयता ने बनाया मुखिया
रांची. रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड का एक पंचायत है सारले. गोपी मुंडा मुखिया हैं. गोपी की ईमानदार छवि व विश्वसनीयता के कारण पंचायत के लोगों ने उन्हें निर्विरोध मुखिया चुना है. पिछले पंचायत चुनाव में मुखिया रही सुमन मुंडरी ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा. इधर, गोपी के अलावा छह अन्य लोग भी मुखिया का चुनाव लड़ना चाहते थे, पर पंचायत के लोगों ने आपसी सहमति से यह तय किया कि गोपी अकेले मुखिया प्रत्याशी होंगे. गोपी पेशे से बढ़ई का काम करते हैं. पंचायत में ही कमाते-खाते रहे हैं. लोग उन्हें बखूबी जानते हैं. करीब 15 वर्षों तक ग्राम शिक्षा समिति के सदस्य रहे गोपी ने कहा कि मेरे पास पैसा नहीं है, पर ईमान है. एक अप्रैल को सरकार ने गोपी के पंचायत को एक लाख रुपये देकर पुरस्कृत किया है. निर्विरोध निर्वाचित होने के लिए उनका चयन किया गया. गोपी ने कहा कि पुरस्कार की खबर छपने के बाद लोग बधाई दे रहे हैं. कह रहे हैं कि आप तो गदगद हो गये. मैं उन्हें समझा रहा हूं कि यह पैसा मुझे नहीं, पंचायत को मिला है. गोपी ने कहा कि वह अपने पंचायत में आने वाले एक-एक रुपये का हिसाब सबको बुलाकर देंगे. हर वार्ड के लिए काम निर्धारित होगा.
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