नक्सली जोनल कमांडर राम मोहन मुंडा को रिमांड में पूछताछ के बाद पुलिस ने गुरुवार को वापस जेल भेज दिया. जेल जाने से पहले उसने विस्तार से अपने छात्र जीवन से लेकर नक्सली बनने की कहानी पुलिस को सुनायी.
रांची: राममोहन मुंडा ने बताया कि वह मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया था. इसके बाद उसे फिर से पढ़ाई करने या खेतीबारी में मन नहीं लगा. उसने एक युवक के साथ मिल कर बुंडू में होटल खोला. यहां पुलिस वाले भी चाय पीने और नाश्ता करने आते थे. इस बात की जानकारी कुंदन पाहन को किसी ने दी. कुंदन पाहन समझने लगा कि वह पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करता है. इस कारण एक बार कुंदन पाहन उसे अन्य नक्सलियों के सहयोग से उठा कर पहाड़ पर ले गया. जहां उसे जम कर मारा-पीटा गया. वह इस दौरान बेहोश हो गया था. नक्सली उसे मृत समझ कर वहीं छोड़ चले गये.
जब वह होश में आया, तब उसे पता चला कि उसे पीटने के बाद जब नक्सली जा रहे थे, उस समय पुलिस के साथ उनकी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक नक्सली मारा गया था. पुलिस का भी एक जवान शहीद हुआ था. होश में आने के बाद जब वह अपने घर पहुंचा, तब फिर से उसे नक्सली उठा कर ले गये. यह कहते हुए फिर से पीटने लगे कि तुमने ही नक्सलियों के बारे में पुलिस को सूचना दी थी. उसने किसी तरह कुंदन पाहन को विश्वास दिलाया कि वह तो बेहोश था. वह पुलिस को कैसे सूचना दे सकता है. इसके बाद कुंदन पाहन ने उसे छोड़ दिया. कुंदन पाहन ने उसे समझाया कि हमारे संगठन के लिए काम करो.
इसके बाद वह नक्सलियों के लिए स्थानीय स्तर पर काम करने लगा. वह शुरुआत में नक्सली घटनाओं काे अंजाम देने में शामिल नहीं रहता था. धीरे-धीरे उसे पता चला कि कुंदन पाहन जो नक्सली घटनाओं को अंजाम देता था और पुलिस घटना को लेकर जो केस दर्ज करती थी, उसमें उसका भी नाम शामिल रहता था. इस वजह से राम मोहन मुंडा नक्सली बन गया और बाद में घटनाओं को अंजाम देने लगा. जेल भेजने से पहले पुलिस ने राम मोहन का बयान विस्तार से रिकॉर्ड किया है, लेकिन उसके द्वारा दी गयी कई महत्वपूर्ण जानकारी भी रिकॉर्ड में नहीं लायी गयी है. रिकॉर्ड में केवल राम मोहन के नक्सली बनने की कहानी, उसके परिवार की संपत्ति और सदस्य और कौन- कौन नक्सली वर्तमान में केस क्षेत्र में सक्रिय हैं, इसके अलावा सिर्फ विभिन्न घटनाओं का उल्लेख रिकॉर्ड में दर्ज है.
हत्या हो जाने के डर से नहीं किया सरेंडर
जेल भेजने से पुलिस पहले ने जब राम मोहन से पूछा कि तुम्हारे पुराने सहयोगियों से तुम्हें सरेंडर करने के लिए समझाया था, लेकिन तुमने सरेंडर क्यों नहीं किया. पुलिस से संपर्क करने का प्रयास तक नहीं किया. तब उसने बताया कि मुझे इस बात का डर था कि सरेंडर करने के लिए पुलिस के पास जाने पर पुलिस मार देगी.
मां से 500 रुपये लेने से किया इनकार
राम मोहन के जेल जाने से पहले उसकी मां भी उससे मिलने पहुंची. मां उसे 500 रुपये देना चाहती थी. राम मोहन ने यह कहते हुए रुपये लेने की बात से इनकार कर दिया कि उसने काफी रुपये लेवी से एकत्र किये, लेकिन पूरे रुपये संगठन के पीछे खर्च कर दिये. उसने कभी मां को रुपये नहीं दिये. इसलिए मां से रुपये लेने का अधिकार उसे नहीं है.