सुरजीत सिंह
झारखंड पुलिस के जवान सिर्फ नक्सलियों से नहीं लड़ रहे हैं. बंजर व पथरीली जमीन को हरा-भरा बनाने और जलस्तर (वाटर लेबल) को बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं. वर्ष 2014 में जहां बोरिंग सूख गयी थी, उसी बोरिंग से आज शहर में हर रोज नौ हजार लीटर पानी भेजा जा रहा है. जवानों ने 10 चेकडैम तैयार किये हैं. इनमें से दो में अब भी छह से आठ फीट पानी है. चार में कम पानी है. आसपास के कुएं का जलस्तर भी पहले से ऊपर आ गया है.
झारखंड जगुआर को वर्ष 2013 में सरकार ने रातू के टेंडर ग्राम में 130 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी थी. वर्ष 2014 की शुरुआत में जवान वहां रहने पहुंचे. तब वहां पानी की व्यवस्था नहीं थी. चारों तरफ पत्थर व झाड़ियां थीं. जवान टेंट लगाकर रहने लगे. बोरिंग करायी गयी. गरमी आते ही बोरिंग सूख गयी. पानी की समस्या होने लगी. तब विभाग की ओर से टैंकर के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा.
बरसात आया और उसका पानी बह गया. इसी दौरान झारखंड जगुआर में एसपी साकेत सिंह (अब झारखंड जगुआर के डीआइजी) की पोस्टिंग हुई. साकेत सिंह समेत अन्य सीनियर अधिकारियों ने वहां पर पानी के स्तर को ऊपर करने की बात सोची. कैंपस में ही एक जगह नहरनुमा रास्ता है, जिससे बरसात का पानी बह जाता था. बरसात के पानी को रोकने के लिए जगुआर के जवानों ने उस नहरनुमा रास्ते में चार जगहों पर मिट्टी भर कर ऊंचा किया. जिसके बाद बरसात का पानी जमा होने लगा. यहां पांच चेकडैम बन गये. इसी तरह कैंपस के दूसरे हिस्से में भी एक जगह तीन और एक जगह दो चेकडैम बनाये गये. इन चेकडैमों में पानी जमा होने के कारण अब जलस्तर ऊपर आ गया है. वर्ष 2014 में जो बोरिंग सूख गये थे, इस बार नहीं सूखे हैं. उप कमांडेंट जिआउल हक बताते हैं, जो चेकडैम सूख गये हैं, उसे बरसात से पहले गहरा किया जायेगा. पानी रोकने के लिए बने मेड़ को और ऊंचा किया जायेगा.
आम की गुठली चुन कर लगायी
पौधे कम पड़ गये थे, तब आम की गुठली को चुन कर लगाया गया था, जो अब बड़े हो रहे हैं. जवान पौधे की देखरेख का काम हर दिन करते हैं. यहां आम, अमरूद, शीशम, गुलर, नीम, करंज, पीपल, पाकड़, बरगद, गुलमोहर आदि के पौधे लगाये गये हैं. वर्ष 2014 और वर्ष 2015 में झारखंड जगुआर के कैंपस में कुल 12 हजार पौधे लगाये गये. चेक डैम के आसपास भी पौधे लगाये गये हैं.
साकेत िसंह, डीआइजी, झारखंड जगुआर
पौधे बड़े हुए, तो तापमान में आने लगी है कमी
झारखंड जगुआर के जवान बताते हैं कि शुरुआत में यहां का तापमान ज्यादा था, पर जैसे-जैसे पौधे बड़े हो रहे हैं, तापमान में कमी आने लगी है. शुरूआत में शाम में भी गर्म हवा चलती थी, लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं है. जवान हर दिन पौधों में पानी डालते हैं. इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि कोई भी पौधा पानी के बिना न सूखे.
एक पहाड़ी को बना रहे हरा-भरा
झारखंड जगुआर कैंपस में 30-35 फीट ऊंची छोटी पहाड़ी है. पिछले साल इस पहाड़ी पर कोई पौधा नहीं था, लेकिन जगुआर के जवानों ने इस साल पहाड़ी के ऊपर चबूतरा बनाया है. चबूतरे के आसपास मिट्टी डाल कर पौधे लगाये गये हैं. डीजीपी डीके पांडेय, आइजी आरके मल्लिक समेत कई अधिकारियों ने पहाड़ी पर पौधे लगाये हैं.
पानी की कमी के कारण नहीं बन पाया था ग्रेटर रांची
जिस स्थान पर अभी झारखंड जगुआर संचालित हो रहा है, वहां राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने ग्रेटर रांची बनाने का निर्णय लिया था. 2001 में इसका शिलान्यास तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने किया था, लेकिन इस स्थान पर पानी नहीं होने का जिक्र किया गया था. इस कारण इस प्रपोजल पर विचार नहीं किया गया. बाद में यहां कई संस्थान खोल दिये गये हैं. उसी स्थान को झारखंड जगुआर ने हरा-भरा कर दिया है.