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ऊर्जा सचिव विमल कीर्ति वीआरएस लेंगे

रांची: ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव विमल कीर्ति सिंह वीआरएस लेंगे. 15 जनवरी को इसके लिए राज्य सरकार को आवेदन देंगे. इसके साथ ही वह राज्य के आइएएस व आइपीएस अधिकारियों में पांचवें अधिकारी होंगे, जो वीआरएस ले रहे हैं. श्री सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह सही है कि वह वीआरएस […]

रांची: ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव विमल कीर्ति सिंह वीआरएस लेंगे. 15 जनवरी को इसके लिए राज्य सरकार को आवेदन देंगे. इसके साथ ही वह राज्य के आइएएस व आइपीएस अधिकारियों में पांचवें अधिकारी होंगे, जो वीआरएस ले रहे हैं. श्री सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह सही है कि वह वीआरएस ले रहे हैं. खरमास समाप्त होने के बाद 15 जनवरी को इसके लिए आवेदन देंगे.

1986 बैच के आइएएस अधिकारी विमल कीर्ति सिंह मूल रूप से सीवान के रहनेवाले हैं. उनके रिटायरमेंट में अब छह वर्ष शेष है. इसके बावजूद रिटायरमेंट लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह काफी पहले नौकरी छोड़ना चाहते थे, पर जिम्मेवारियों की वजह से ऐसा नहीं कर पा रहे थे. अब उन्होंने अंतिम फैसला ले लिया है कि 15 जनवरी को वीआरएस के लिए आवेदन दें देंगे. उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में एक लॉ फर्म शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें गरीब लोगों को विधि सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. इस लॉ फर्म में लॉ विशेषज्ञों की टीम काम करेगी. गौरतलब है कि श्री सिंह 1985 में दिल्ली बार काउंसिल में निबंधित थे. आइएएस अधिकारी बनने के बाद उनका निबंधन अभी निलंबित रखा गया है. श्री सिंह ने कहा कि दोबारा ज्वाइन करते ही उनके निबंधन से निलंबन हट जायेगा और वह आसानी से काम कर सकते हैं.

राजनीति से परहेज नहीं: चर्चा है कि आप राजनीति में जायेंगे और महाराजगंज सीट से चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि अब तक ऐसा कुछ तय नहीं किया है, पर यह भी सच है कि राजनीति से उन्हें परहेज भी नहीं है. इन दिनों लगातार ब्यूरोक्रेट्स में राजनीति में जाने की होड़ लगी है. कहीं वह भी इस होड़ में तो नहीं, इस सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, पर उनकी निजी राय है कि राजनीति में प्रोफेशनल्स को आना चाहिए. चाहे वह डॉक्टर हो, इंजीनियर हो, प्रोफेसर हो, आइएएस हो या आइपीएस, ऐसे लोग राजनीति में आकर अपने क्षेत्र में बेहतर काम कर सकते हैं. राजनीति को एक दशा और दिशा दे सकते हैं. विकसित देशों में भी प्रोफेशनल्स राजनीति में आते रहे हैं. कोई शिक्षक वहां राजनीति में आता है, फिर वह दोबारा शिक्षण क्षेत्र में लौट जाता है.

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