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पॉलिथीन में खाना यानी मौत

रांची: पॉलिथीन में खाद्य सामग्री रखना ऐसा है, जैसे आप जहर सुरक्षित रख रहे हों. फूड प्वाइजनिंग व पेट संबंधी बीमारियों का बड़ा कारण पॉलिथीन हो सकता है. पॉलिथीन मोनोमर (सरल अणुओं) को तोड़ कर बनता है. एल्कीन व इथेन के बहुलक (पॉली-इथलीन) लगातार काफी मात्र में जहरीली गैसें उत्सजिर्त करते हैं, जो खाद्य सामग्री […]

रांची: पॉलिथीन में खाद्य सामग्री रखना ऐसा है, जैसे आप जहर सुरक्षित रख रहे हों. फूड प्वाइजनिंग व पेट संबंधी बीमारियों का बड़ा कारण पॉलिथीन हो सकता है. पॉलिथीन मोनोमर (सरल अणुओं) को तोड़ कर बनता है. एल्कीन व इथेन के बहुलक (पॉली-इथलीन) लगातार काफी मात्र में जहरीली गैसें उत्सजिर्त करते हैं, जो खाद्य सामग्री को विषाक्त बना देती हैं. दुनिया में फूड प्वाइजनिंग के 70} मामले पॉलिथीन में बंद खाद्य सामग्रियों के सेवन से होते हैं. काला व गुलाबी पॉलिथीन दोगुणा घातक है. इससे विषैली गैसें ज्यादा निकलती हैं.

घंटे भर में जूस विषैला
पॉलिथीन या प्लास्टिक की बोतल में जूस रखने से घंटे भर में ही जूस विषाक्त हो जाता है. ऐसा पॉलिथीन से उत्सजिर्त होनेवाली विषैली गैसों के कारण होता है. यह जूस पीने पर फूड प्वाइजनिंग भी हो सकती है. कटे फलों एवं सब्जियों को भी पॉलिथीन में नहीं रखना चाहिए.

फ्रीज में रखा पॉलिथीन और घातक
फ्रीज में खाद्य सामग्रियों को पॉलिथीन में बंद कर रखना काफी खतरनाक साबित हो सकता है. पॉलिथीन से लगातार उत्सजिर्त होनेवाली विषैली गैसें फ्रीज में रखी अन्य खाद्य सामग्रियों को भी विषाक्त कर देती है. ऐसे खाद्य पदार्थो को खाने से दस्त, पेट दर्द, उल्टी या पेट में अकड़न जैसी तकलीफ आम बात है. इतना ही नहीं पॉलिथीन में रखी गयी खाद्य सामग्रियों के निरंतर उपभोग से कैंसर का खतरा 80 गुणा ज्यादा बढ़ जाता है.

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