सिटी एसपी ने बताया कि मंजीत सिंह ट्रांसपोर्ट का काम करता था. वह खलारी में दो हाइवा चलवाता था, जिसकी देखरेख की जिम्मेवारी उनके मामा राम सिंह के पास थी. बहुत दिनों से राम सिंह ने हाइवा चलाने से आये रुपये का हिसाब भी नहीं दिया था. इस वजह से मंजीत सिंह के घर की आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी. राम सिंह ने रंजीत से कहा, तुम अपने भाई मंजीत सिंह को रास्ते से हटा दो. मैं तुम्हें उसकी संपत्ति का मालिक बना दूंगा, नहीं तो तुम्हें घर से पॉकेट खर्च भी नहीं मिलेगा. इसी योजना के तहत रंजीत सिंह अपने भाई मंजीत सिंह उर्फ हेप्पी सिंह को कार की पीछे वाली सीट में बैठा कर आइस्क्रीम खिलाने के बहाने अलबर्ट एक्का चौक पहुंचा. वहां दुकान बंद मिलने पर दोनों कार से पुरूलिया रोड स्थित खालसा फूड स्ट्रीट के मालिक अरविंदर सिंह के पास पहुंचे.
वहां पांच-सात मिनट रहने के बाद दोनों बहुबाजार होते हुए बंसल प्लाजा के समीप पशुपालन विभाग के ऑफिस के समीप पहुंचे, जहां पहले से राम सिंह दोनों के पहुंचने का इंतजार कर रहा था. वहां राम सिंह ने कार के अंदर बैठे मंजीत सिंह की कनपटी में गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गयी. घटना के दौरान राम सिंह और मंजीत सिंह के बीच छीना-झपटी भी हुई थी.
हत्या के बाद राम सिंह ने रंजीत को धमकी भी दी थी कि अगर उसने किसी को सच्चाई बतायी, तो उसका भी यही हाल कर देंगे. रंजीत ने राम सिंह के कहने पर त्याकांड में शूटरों के हाथ होने और नयी-नयी कहानी गढ़ कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया था. सिटी एसपी ने बताया कि हत्याकांड सुनियोजित था. इसलिए मामले में अन्य की संलिप्तता की जांच चल रही है. जांच के बाद आगे भी कुछ लोगों पर कार्रवाई हो सकती है.