रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वन प्रमंडल में ‘ग्रिनिंग ऑफ हिल्स’ योजना के तहत वर्ष 2010-15 के बीच पौधरोपण के काम को चारों चरण में पूरा दिखाया गया है. नमूना जांच के लिए 2010-11 में पौधरोपण के 12 में से छह, 2012-13 के छह में से तीन और 2013-14 के चार में एक स्थान को चुना गया. वन प्रमंडल के वर्क प्लान और स्थल के ब्योरे के मिलान के बाद पाया गया कि वर्क प्लान में 625 हेक्टेयर में पौधरोपण की योजना स्वीकृत है.
जबकि पौधरोपण के लिए वास्तव में 471.46 हेक्टेयर जमीन ही उपलब्ध है. इस तरह इस वन प्रमंडल ने बिना जमीन के ही 153.54 हेक्टेयर जमीन पर पौधरोपण का काम दिखाया. नमूना जांच में पाया गया कि वर्ष 2010-11 में 125 हेक्टेयर में पौधरोपण की योजना क्रियान्वित की गयी,जबकि वास्तव में 80.37 हेक्टेयर जमीन ही उपलब्ध थी.
2012-13 में पौधरोपण के लिए उपलब्ध 2196.09 हेक्टेयर के बदले 275 हेक्टेयर में पौधरोपण दिखाया गया. वित्तीय वर्ष 2013-14 में भी यही स्थिति रही. इस वर्ष 225 हेक्टेयर में पौधरोपण की योजना स्वीकृत करायी गयी थी, हालांकि जमीन सिर्फ 175 हेक्टेयर ही उपलब्ध थी. रिपोर्ट में 2014-15 की योजना की चर्चा करते हुए कहा गया है कि कैंपा की योजना के लिए रेंज ऑफिसर के 4.53 करोड़ रुपये अग्रिम दिये गये. सितंबर 2014 के मार्च 2015 के बीच चेक जारी किया गया. हालांकि ऑडिट की अवधि (जुलाई 2015)तक रेंज ऑफिसर ने इसका हिसाब नहीं दिया.