राज्य पोषण मिशन की निदेशक मृदुला सिन्हा ने बताया कि राज्य में अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट में बच्चों के कुपोषित होने से संबंधित आंकड़ा उपलब्ध है. भारत सरकार के बाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्रालय द्वारा कराये गये सर्वे (2013-14) के अनुसार राज्य में पांच से 59 माह के 3.7 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. आंकड़ों के हिसाब से एेसे बच्चों की संख्या 1.46 लाख है. सरकारी आंकड़ों में इन बच्चों का विस्तृत ब्योरा नहीं है. इसलिए सबसे पहले ऐसे बच्चों को चिह्नित किया जा रहा है, ताकि सही से इलाज हो सके.ऐसे बच्चों का एक डाटा बेस भी तैयार किया जा रहा है.
इसमें बच्चों की जन्म तिथि, माता-पिता का नाम, पता सहित अन्य ब्योरा दर्ज होगा. डाटा बेस तैयार करने के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रपत्र उपलब्ध करा दिया गया है. कुपोषण का पता लगाने के लिए बच्चों का वजन लेने के बदले उनकी बाहों की गोलाई नापने की प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए संबंधित लोगों को प्रशिण दिया गया है़ गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का उपचार सी-मैम प्रणाली (कम्युनिटी बेस्ड मैनेजमेंट ऑफ एक्यूट मालन्यूट्रिशन) से किया जायेगा. इसमें बच्चों की मां के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों की अहम भूमिका होगी. कुपोषण से निबटने की इस योजना में समाज कल्याण, स्वास्थ्य, पेयजल व स्वच्छता विभाग की मदद ली जा रही है.