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मजदूर बने निशाना: पुलिस की वरदी में पहुंचे, मुख्य पथ को किया था बंद, उग्रवादियों ने बरसायीं गोलियां

गुमला में वर्ष 2016 की सबसे बड़ी उग्रवादी घटना हुई. 15 मिनट तक अंधाधुंध गोलियां बरसायी गयीं. इस दौरान एक मुंशी व तीन मजदूरों की मौत हो गयी. बेकसूर मजदूरों को उग्रवादियों ने निशाना बनाया. इस घटना से डाचूटोली गांव में मातम छाया हुआ है. इलाके के लोग डरे हुए हैं. गुमला/बसिया घटना स्थल : […]

गुमला में वर्ष 2016 की सबसे बड़ी उग्रवादी घटना हुई. 15 मिनट तक अंधाधुंध गोलियां बरसायी गयीं. इस दौरान एक मुंशी व तीन मजदूरों की मौत हो गयी. बेकसूर मजदूरों को उग्रवादियों ने निशाना बनाया. इस घटना से डाचूटोली गांव में मातम छाया हुआ है. इलाके के लोग डरे हुए हैं.
गुमला/बसिया
घटना स्थल : बसिया प्रखंड के गुड़ाम मसरीबेड़ा. पूरा इलाका सुनसान. बगल में पहाड़ है. घना जंगल भी है. समय : दिन के 11 बजे. सड़क का काम हो रहा था. 25 मजदूर अपने कामों में लगे हुए थे. इसमें 15 महिला मजदूर थीं. सभी सड़क पर बोल्डर पत्थर बिछा रहे थे. तभी पुलिस की वरदी में हथियारबंद उग्रवादी पहुंचे. सड़क के दोनों छोर से उग्रवादी पैदल आये थे. मजदूरों ने बताया कि एक उग्रवादी ने मुंशी रामपति को पकड़ लिया. उनसे पूछा कि किसने काम शुरू करने के लिए कहा है और गोलियों से उन्हें भून दिया. इसके बाद अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इसमें अजय की सड़क निर्माण स्थल पर ही गोली लगने से मौत हो गयी. ललित व रविशंकर खेत के मेढ़ में जाकर छिप गये. उग्रवादियों ने दोनों को खेत में ही जाकर गोलियों से भून दिया.

इधर, जब उग्रवादी अंधाधुंध फायरिंग की, तो अन्य 21 मजदूर वहां से भागने लगे. जिसे जहां मौका मिला, वे वहीं छिप गये. सुरक्षित बचे मजदूरों के अनुसार उग्रवादी 15 मिनट तक रुके थे. जब उग्रवादी चले गये, तो मजदूर वहां पहुंचे. देखा कि चार लोगों की जान चली गयी है. किसी का सिर उड़ गया, तो किसी का हाथ गायब हो गया. इधर, घटना की जिम्मेवारी लेते हुए पीएलएफआइ के एरिया कमांडर बादल ने बताया कि मेरे नेतृत्व में 15 उग्रवादी साथी गये थे. हमलोगों ने पहाड़ी चीता गिरोह के सदस्यों को मारा है. बेकसूर लोगों को कुछ नहीं किया है. हमला करने से पहले सुकरूड़ा व गुड़ाम के रास्ते को बंद कर दिया था. लोगों की आवाजाही बंद कर सड़क निर्माण स्थल पर हमला कर चार लोगों को मारा है. बादल ने यह भी कहा कि वह अपने दस्ते के साथ चार एके-47, दो एसएलआर, एक इंसास, दो सिमी बंदूक से हमला किया था.
विकास के काम में लगी कंपनियों पर 65 दिन में 21 हमले
रांची: झारखंड में सड़क निर्माण करने में लगी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेवी की मांग को लेकर नक्सली-उग्रवादी कंपनियों के कार्य स्थल पर लगातार हमले कर रहे हैं. इस साल 65 दिन (11 जनवरी से 17 मार्च तक) में नक्सलियों-उग्रवादियों ने कम से कम 21 बार कंपनियों के कार्यस्थल पर हमला किया है. इसमें 22 से अधिक वाहनों को फूंक दिया गया. मजदूरों के साथ मारपीट की गयी. गुमला में सड़क निर्माण में लगे चार मजदूरों की हत्या कर दी गयी. इस वजह से कंपनियों के मालिकों में दहशत है.
इस साल की घटनाएं
11 जनवरी : कुजू में जेपीसी उग्रवादियों ने सड़क का निर्माण कार्य रोका. मजदूरों की पिटाई की.
12 जनवरी : चाईबासा में नक्सलियों ने रामकृपाल सिंह कंपनी से 50 लाख की लेवी मांगी.
12 जनवरी : लातेहार के चंदवा में जेपीसी के उग्रवादियों ने मजदूरों को पीटा. पुल निर्माण बंद कराया.
13 जनवरी : लोहरदगा के कुजरा में नक्सलियों ने पॉलिटेक्निक कॉलेज निर्माण काम को बंद कराया.
19 जनवरी : गुमला के पालकोट में उग्रवादियों ने शिवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्लांट पर मशीन व एक गाड़ी फूंकी. इंजीनियर समेत पांच को पीटा.
20 जनवरी : नक्सलियों ने चाईबासा में सड़क बना रही कंपनियों का काम रोका. 10 प्रतिशत लेवी मांगी. 80 करोड़ की लागत से बन रही सड़क का काम रुका.
25 जनवरी : हजारीबाग के केरेडारी क्षेत्र में टीपीसी के उग्रवादियों ने ठेकेदार को पीटा.
31 जनवरी : चाईबासा के किरीबुरु में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे आठ वाहन फूंके.
31 जनवरी : चतरा के हंटरगंज में उग्रवादियों ने हाइटेंशन टावर का निर्माण कार्य रोका.
11 फरवरी : दुमका के गोपीकांदर क्षेत्र में सड़क बना रही कंपनी की पांच जेसीबी मशीन में नक्सलियों ने आग लगा दी.
11 फरवरी : लोहरदगा में टीपीसी के उग्रवादियों ने 11 ट्रकों को खाई में धकेला.
12 फरवरी : टीपीसी के उग्रवादियों ने रामगढ़ के चैनपुर एनआर साइडिंग का काम रोका. कर्मियों को बंधक बनाया.
16 फरवरी : नक्सलियों ने रांची जमशेदपुर रोड में एक ट्रक को फूंक दिया.
16 फरवरी : हजारीबाग के कटकमसांडी में किसी उग्रवादी संगठन ने एनटीपीसी के कोल गैलरी वार्ड निर्माण रोका.
16 फरवरी : नक्सलियों ने मैकलुस्कीगंज में दो ट्रैक्टर फूंके
05 मार्च : चतरा में टीपीसी के उग्रवादियों ने जसपुर-बेंगोकलाखुर्द रोड निर्माण को रोका. मुंशी व मजदूर के साथ मारपीट की.
10 मार्च : लातेहार के चंदवा में जेएसजेएमएम के उग्रवादियों ने जेसीबी मशीन तोड़ी.
11 मार्च : टीपीसी के उग्रवादियों ने कोडरमा के डोमचांच के 19 क्रशर मालिकों को धमकी दी. कहा काम शुरू करने से पहले बात करें.
11 मार्च : उग्रवादियों ने चाईबासा के सोनुआ में जेसीबी मशीन फूंकी.
17 मार्च : रांची के राहे थाना क्षेत्र में सोसो में नक्सलियों ने एक जेसीबी व एक रोलर को फूंक दिया.
17 मार्च : गुमला के बसिया में पीएलएफआइ ने सड़क निर्माण कर रहे चार मजदूरों की हत्या कर दी.

सिलादोन में हुई शांति सभा की बैठक, 90 गांवों के लोग जुटे, उग्रवाद खत्म करने का लिया संकल्प
वक्ताओं ने कहा : जब तक अपराध के खात्मे के लिए जनता जागरूक नहीं होगी, परिणाम उसे ही भोगना पड़ेगा
खूंटी. खूंटी थाना क्षेत्र के सिलादोन में गुरुवार को 90 गांवों के महिला-पुरुषों ने शांति सभा की. इसका उद्देश्य क्षेत्र से नक्सलवाद व उग्रवाद के खात्मे की पहल व समाज के भटके युवाअों को मुख्य धारा में शामिल किया जाना है. सुबह आठ बजे से ही सिपादोन, हातुदामी, गुटवा, पोसेया, कुमकुन, तारो, जिकी, मयारूध, सरजोमा, देवगामा, कुजराम, दिगड़ी, तिलमा, हुरलूंग सहित कुल 90 गांवों के लोग सिलादोन पहुंचने लगे. झुंड के झुंड स्त्री-पुरुष उग्रवाद एवं नक्सलवाद के खात्मे के संकल्प को लेकर संबंधित गीत गाते हुए सिलादोन की ओर जाते दिखे. दोपहर एक बजे के करीब शांति सभा शुरू हुई. शांति सभा के सदस्यों ने कहा कि उग्रवाद एवं नक्सलवाद के कारण क्षेत्र में विकास प्रभावित हुआ है. अमन-चैन, क्षेत्रीय समरसता व एकता बुरी तरह प्रभावित है. ऐसे में सब को मिल कर इस अपराध को जड़ से खत्म करना है. हम अभिभावक हैं. ऐसे में हमें समाज की मुख्य धारा से भटके लोगों को वापस लाना हमारा परम दायित्व बनता है.
वक्ताओं ने कहा कि जब तक अपराध के खात्मे के लिए जनता जागरूक नहीं होगी, परिणाम अंतत: जनता को ही भोगना पड़ेगा. ग्रामीणों से अपील की गयी कि वे उग्रवाद एवं नक्सलवाद से जुड़े लोगों को कदापि गांवों में प्रवेश करने न दें. किसी अनजान आदमी के गांव आने पर उसकी पूरी छानबीन करने का निर्णय लिया गया. कई महिला सदस्यों ने कहा कि इतिहास गवाह है कि नारियों ने अपनी शक्ति से कई सामाजिक विषमताओं को खत्म किया है. ऐसे में वे भी नक्सलवाद एवं उग्रवाद को समाप्त करने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलेंगी.
घटना से सहमी सड़क बनानेवाली कंपनियां, हमले की आशंका से अवगत कराया था विभाग को
गुमला में हुई नक्सली घटना से सड़क बनानेवाली कंपनियां सहम गयी हैं. यहां एनपीसीसी का काम चल रहा था. काम चिनारी कंस्ट्रक्शन ने लिया था. उसकी अोर से ग्रामीण कार्य विभाग के जेएसआरआरडीए को घटना की आशंका से अवगत भी कराया जा रहा था. बार-बार मौखिक रूप से यह कहा जा रहा था कि घटना की आशंका है. यह भी कहा जा रहा था कि बसिया में पहले भी सड़क बनानेवाली एक कंपनी के स्टाफ को गोली मार दी गयी थी. अन्य स्तरों पर भी इस बात को रखा गया था, पर सुरक्षा के उपाय नहीं किये गये.
70 सड़कों पर चल रहा है काम : यहां एनपीसीसी की करीब 70 सड़कों पर काम चल रहा है. नक्सली घटना की वजह से वर्षों से काम लटका हुआ है. सबसे पहले यहां का काम ग्रामीण कार्य विभाग के जेएसआरआरडीए को मिला था, पर वह काम नहीं करा सका. बाद में काम एनबीसीसी को दिया गया. फिर भी काम नहीं हुआ, तो एनपीसीसी को काम दिया गया. करीब 100 सड़क की योजनाएं उसे मिली थीं. उसमें से 30 योजनाओं का काम हो गया है. धमकियों की वजह से बार-बार काम बंद हो रहा है. कुछ माह पहले से वहां काम बंद था, पर इधर दो-तीन माह से फिर काम शुरू किया गया और घटना हुई.
फिर फसेंगी योजनाएं : इस घटना के बाद से फिर सड़क का काम फंसेगा. करीब 70 सड़कों का काम पूरा करना है. इसमें कंपनी के साथ ही ठेकेदार भी फंसे हुए हैं. तीन साल पुरानी योजनाएं भी इसमें शामिल हैं. अब तो इन योजनाअों की लागत भी काफी अधिक बढ़ गयी है.

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