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दुर्दशा: वीर बुधू भगत छात्रावास में नहीं हैं कुक, छात्र बोले, खाना बनायें या पढ़ें

रांची: परीक्षा सिर पर है, तैयारी करनी है, पर यहां तो खाना बनाना पड़ता है. छात्रावास में पांच सालों से कुक नहीं है. अधिकारी आते हैं, आश्वासन देते हैं फिर भूल जाते हैं. क्या करें, खाना बनायें या पढ़ाई करें. कुछ समझ में नहीं आता है. गरीब घर से आते हैं, पढ़ाई में काफी पैसे […]

रांची: परीक्षा सिर पर है, तैयारी करनी है, पर यहां तो खाना बनाना पड़ता है. छात्रावास में पांच सालों से कुक नहीं है. अधिकारी आते हैं, आश्वासन देते हैं फिर भूल जाते हैं. क्या करें, खाना बनायें या पढ़ाई करें. कुछ समझ में नहीं आता है. गरीब घर से आते हैं, पढ़ाई में काफी पैसे लगते हैं. पढ़ाई नहीं करेंगे, तो क्या करेंगे? यह कहना है वीर बुधू छात्रावास में रह रहे विद्यार्थियों का. छात्रावास का भवन बाहर से चकाचक लेकिन, अंदर की स्थिति काफी खराब है.

किचन के फर्श में बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं. मिट्टी का चूल्हा है, पर वो भी बेकार हो चुका है. विद्यार्थियों ने बताया कि पांच सालों से खाना बनाने वाला नहीं है. खुद से खाना बनाकर कॉलेज जाना पड़ता है. खाना बनाने के चक्कर में कई बार क्लास छूट जाती है. देर से कॉलेज पहुंचते हैं. सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. कमरों की स्थिति यह है कि एक कमरे में आठ विद्यार्थी जैसे-तैसे रहते हैं. कमरे में पंखे नहीं हैं. बहुत साल पहले दो-तीन कमरे में पंखे लगे थे, वो भी खराब हो चुके हैं. एक चापानल लगा हुआ है, उसके सहारे तीन छात्रावास के 300 विद्यार्थी हैं. कुंआ है, लेकिन उसमें पानी कम है. बाथरूम है, पर वो जाम हो चुका है.

सीएम ने दिया था छात्रावास को दुरुस्त करने का आश्वासन : दो माह पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस छात्रावास का निरीक्षण भी किया था. छात्रावास को दुरुस्त करने के लिए उन्होंने अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिये थे. हॉस्टल के बाहर चहारदीवारी बनाने का निर्देश दिया, जिसका निर्माण कार्य चल रहा है. पर छात्रावास को दुरुस्त करने की कार्रवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है. सीएम ने अधिकारियों से कहा था कि यहां सभी सुविधाएं दें. इसे मॉडल छात्रावास के तौर पर विकसित किया जायेगा. मुख्यमंत्री के आश्वासन के दो माह बीत गये पर आज तक छात्रावास के अपग्रेडेशन की कार्रवाई शुरू नहीं हुई.
सिंटेक्स की टंकी है फटी
छत पर सिंटेक्स की दो फटी टंकी लगी है. टंकी में बरसात का पानी भी भर जाता है. कभी-कभी टंकी में पानी भी नहीं चढ़ता है. इससे परेशानी होती है.
खेल का सामान भी नहीं
छात्रावास में विद्यार्थियों के लिए खेलने के सामान भी नहीं है. एक बार खेल का सामान मिला था, पर वो भी बंद हो गया. ऐसे में उनका मनोरंजन नहीं हो पाता.
लाइब्रेरी भी नहीं
छात्रावास में एक लाइब्रेरी भी नहीं है, जहां छात्र अपनी पढ़ाई कर सकें. एक हॉल है वहीं खाना खाते हैं, सामान भी रखा हुआ है.

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