रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को वंशवाद के आधार पर चाैकीदार नियुक्ति मामले में दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. कोर्ट ने सुनवाई के दाैरान उपस्थित अपर मुख्य सचिव सह गृह के प्रधान सचिव एनएन पांडेय को फटकार लगाते हुए माैखिक रूप से कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है.
चाहे जज हो या सामान्य लोग, सभी कानून के दायरे में हैं. यदि प्रधान सचिव अपने को कानून से ऊपर समक्ष रहे हैं, तो समझते रहें. कोर्ट निर्देश देता है, रिक्वेस्ट नहीं करता. कोर्ट अपने आदेश में रिक्वेस्ट शब्द जरूर लिखता है, इसका दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वह निर्देश ही होता है.
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने यह भी कहा कि कोर्ट की नाराजगी तब होती है, जब लोग यह मानने लगते हैं कि वह कानून से ऊपर है. निर्धारित समय के पहले प्रधान सचिव की अोर से शपथ पत्र दाखिल नहीं हुआ. इस कारण वह कोर्ट के रिकॉर्ड पर नहीं आ सका. इस पर खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करने में असमर्थता जतायी. कहा कि कोई सिस्टम होता है. सिस्टम बना हुआ है.
सुनवाई के 48 घंटे के पहले तक शपथ पत्र दाखिल कर देना है. इससे पूर्व सरकार के विशेष अधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ से सुनवाई करने का आग्रह किया. श्री रंजन अपनी दलील दे रहे थे, इसी बीच कोर्ट में उपस्थित अपर मुख्य सचिव खड़े होकर खंडपीठ से आग्रह करने लगे. इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जतायी. सरकारी अधिवक्ता ने खंडपीठ को बताया था कि गृह विभाग सहयोग नहीं कर रहा है.
इस कारण वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं. मालूम हो कि प्रार्थी जगदानंद महतो व अन्य की अोर से अपील याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी ने अन्य जिलों में वंशवाद के आधार पर चाैकीदार नियुक्ति के आधार पर अपनी नियुक्ति की मांग की थी. पिछली सुनवाई के दाैरान कोर्ट ने अपील याचिका को खारिज करते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
कोर्ट ने कहा
कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है. चाहे जज हो या सामान्य लोग, सभी कानून के दायरे में हैं. यदि प्रधान सचिव अपने को कानून से ऊपर समक्ष रहे हैं, तो समझते रहें. कोर्ट निर्देश देता है, रिक्वेस्ट नहीं करता. कोर्ट अपने आदेश में रिक्वेस्ट शब्द जरूर लिखता है, इसका दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वह निर्देश ही होता है.