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झारखंड: 45 हजार करोड़ का कर्ज, नौ बार बढ़ गये माननीय के वेतन

झारखंड में एक बार फिर विधायक फंड बढ़ा दिया गया है. अब विधायक फंड तीन कराेड़ के बदले चार कराेड़ का हाेगा. फंड के हिसाब से झारखंड के विधायक (दिल्ली भी) सबसे अमीर हाेंगे. यहां विधायकाें का वेतन भी हर दाे साल पर बढ़ता है, सुविधाएं बढ़ती हैं. गाैर करना हाेगा कि झारखंड में घाटे […]

झारखंड में एक बार फिर विधायक फंड बढ़ा दिया गया है. अब विधायक फंड तीन कराेड़ के बदले चार कराेड़ का हाेगा. फंड के हिसाब से झारखंड के विधायक (दिल्ली भी) सबसे अमीर हाेंगे. यहां विधायकाें का वेतन भी हर दाे साल पर बढ़ता है, सुविधाएं बढ़ती हैं. गाैर करना हाेगा कि झारखंड में घाटे का बजट है, राज्य पहले से 45 हजार कराेड़ के कर्ज में फंसा है, झारखंड के हर व्यक्ति पर 1375 रुपये का कर्ज है. झारखंड काे हर साल लगभग चार हजार कराेड़ सिर्फ सूद भरना पड़ता है.
आनंद मोहन, रांची
झारखंड सरकार ने बजट भाषण में विधायक फंड काे तीन कराेड़ से बढ़ा कर चार कराेड़ रुपये (सालाना) करने की घाेषणा कर दी है. विधायक फंड में इस वृद्धि से सरकार पर हर साल 82 करोड़ का वित्तीय बोझ बढ़ेगा. पिछले 15 वर्षों में सरकार पर पहले से ही 45223़ 36 करोड़ का कर्ज है़ यानी झारखंड के हर व्यक्ति पर 1375 रुपये का कर्ज है़, चाहे उसने कर्ज लिया है या नहीं. उत्तराखंड,ओड़िशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से झारखंड के विधायकों का वेतन-भत्ता, सुविधा और विधायक निधि की राशि दो से तीन गुना ज्यादा है़ बिहार में विधायक फंड की बाध्यता सरकार ने समाप्त कर दी है़ अब विधायकों की अनुशंसा पर कार्य कराये जाते है़ं विधायक फंड के नाम पर अलग से राशि आवंटित नहीं होती है़

झारखंड में विधायक फंड बढ़ाने की मांग कई वर्षों से विधानसभा में उठ रही थी़ पिछले शीतकालीन सत्र में विधायकों ने विधायक मद की राशि को तीन कराेड़ से पांच करोड़ रुपये करने की मांग की थी. रघुवर दास की सरकार ने उनकी मांग मान ली और विधायक मद की राशि को बढ़ा कर चार करोड़ रुपये कर दिया़ राज्य बने 15 साल हुए हैं. नौ बार विधायकों का वेतन-भत्ता और चाैथी बार विधायक फंड की राशि बढ़ी है़ राज्य गठन के समय विधायक फंड की राशि 50 लाख थी़ राज्य गठन के बाद हर दूसरे वर्ष विधायकों का वेतन बढ़ा है.
खर्च का नहीं मिलता हिसाब, 600 करोड़ की राशि का लेखा-जोखा नहीं : विधायक फंड को लेकर एजी ने कई बार आपत्ति दर्ज करायी है़ विधायक निधि की राशि के खर्च का लेखा-जोखा समय पर नहीं मिलता़ डीडीसी की ओर से वर्षों यूटिलिटी सर्टिफिकेट नहीं भेजे जाते. इसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण विधायक फंड की राशि वित्त विभाग द्वारा नहीं दी जा रही थी़ वित्तीय प्रबंधन और नियमों के मुताबिक विधायक निधि के पैसे के हिसाब के बाद ही नयी राशि विमुक्त करने का प्रावधान है़ इसको लेकर भी विधानसभा मेें समय-समय पर हो-हंगामा होता रहा है़
कब-कब बढ़े हैं विधायक फंड
राज्य गठन के समय ~50 लाख
बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में ~1 करोड़
अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में ~2 करोड़
मधु कोड़ा के कार्यकाल में ~ 3 करोड़
रघुवर दास सरकार में ~4 करोड़
दूसरे राज्यों में विधायक फंड
यूपी ~1़ 50 करोड़
ओड़िशा ~1 करोड़
उत्तराखंड ~2़ 5 करोड़
दिल्ली ~4 करोड़
बिहार: विधायक फंड की व्यवस्था समाप्त

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