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रांची विवि में खुलेगा कला-संस्कृति विभाग

रांची: रांची विश्वविद्यालय में कला-संस्कृति विभाग खुलेगा. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा दिया गया है. झारखंड की संस्कृति, कला और रचनाकारों को आयाम देना है. उक्त बातें रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कही़ वे रविवार को सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच द्वारा तीन पुस्तकों के लोकार्पण […]

रांची: रांची विश्वविद्यालय में कला-संस्कृति विभाग खुलेगा. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा दिया गया है. झारखंड की संस्कृति, कला और रचनाकारों को आयाम देना है. उक्त बातें रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कही़ वे रविवार को सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच द्वारा तीन पुस्तकों के लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.

मौके पर डॉ प्रवीण कुमार गुप्त के काव्य संग्रह भावना के सुमन व निबंध संग्रह स्फुट, डॉ जंग बहादुर पांडेय के निबंध संकलन भारत दुर्दशा-नया मूल्यांकन व डॉ हीरा नंदन प्रसाद के निबंध संकलन अंधेर नगरी-नया मूल्यांकन का लोकार्पण हुआ. डॉ जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है.

साहित्यकार सभी बातों को रचना के माध्यम से उस समय के समाज की स्थिति को वर्णित करता है. रचनाकार केवल वर्तमान ही नहीं, भविष्य को भी देखता है.पटना से आये साहित्यकार सत्यनारायण ने कहा कि आज साहित्यकारों को एक आम आदमी का जीवन जीने में काफी कठिनाई होती है. हमारी स्थिति उस फसल की तरह है जिसे कभी पाला, तो कभी सूखा मार जाता है. मंच के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव निरंकुश ने कहा कि साहित्य, सभ्यता व संस्कृति ऐसा कार्य है, जिस पर चलने से हमारी प्रगति व उन्नति होती है. परंपराएं टूट रही हैं. अब नये रचनाकार आगे बढ़ें, मंच उनका सहयोग करेगा.

साहित्यकार डॉ प्रवीण कुमार गुप्त ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को अभिव्यक्ति के लिए भाषा गढ़ने की शिक्षा दें. वह चाहते हैं कि ऐसी किताब लिखें कि वह हर धर्म के घर में पहुंचे. डॉ हीरा नंदन प्रसाद ने कहा कि भारतेंदु द्वारा वर्ष 1881 में लिखी गयी पुस्तक आज भी प्रासंगिक है. डॉ अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि किताबें अपने बारे में खुद कहती हैं. डॉ बालेंदु शेखर तिवारी ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने आस-पास की गंदगी को नजदीक से देखा था, जिसे उन्होंने भारत दुर्दशा व अंधेर नगरी में दर्शाया था. मौके पर उपाध्यक्ष आशुतोष प्रसाद, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ बालेंदु शेखर तिवारी, विश्वरंजन भट्टाचार्य,वीणा श्रीवास्तव, शिल्पी कुमारी सुमन, दूरदर्शन निदेशक प्रमोद कुमार झा, बीके श्रीवास्तव, डॉ सुस्मिता पांडेय, डॉ अरुण कुमार, कमल बोस, विजेंद्र सहित अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.

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