रांची/पलामू:प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के दस्ते ने बुधवार की शाम पलामू के छतरपुर-जपला रोड पर काला पहाड़ी गांव के पास पुलिस की गाड़ी को विस्फोट कर उड़ा दिया. इस घटना में सात पुलिसकर्मी शहीद हो गये. शहीद हाेनेवालाें में एक हवलदार, एक चाैकीदार, चार कांस्टेबल आैर वाहन चालक शामिल हैं. छह पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इनमें दो की हालत गंभीर है. नक्सलियों ने कुछ जवानों के हथियार भी लूट लिये. आइजी (अभियान) एमएस भाटिया ने घटना में पुलिसकर्मियाें के शहीद होने की पुष्टि की है. पुलिस के जिस 407 वाहन को उड़ाया गया है, उसमें ये जवान सवार थे. चालक समेत सात जवान की जान गयी. छह जवान घायल हुए. तीन का पता नहीं चला है. घायलों में शहाबुद्दीन अंसारी, सुमन कुमार, प्रवीण मिश्रा, गंगा कुमार पासवान, नीरज पासवान, अनूप कुमार मिश्रा शामिल हैं. पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता एडीजी एसएस प्रधान ने बताया कि पलामू प्रमंडल के डीआइजी साकेत सिंह और एसपी कन्हैया मयूर पटेल घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं. घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए मेदिनीनगर लाया गया. वहां से एमआइ- 17 विमान से घायलाें काे रांची लाया गया. घटना की जानकारी मिलने के बाद डीजीपी डीके पांडेय ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों से संपर्क किया.
छतरपुर घटना: लंबे समय के बाद नक्सली अपनी मंशा में हो गये सफल, शव की सूचना देकर पुिलस को फंसाया
रांची: पलामू के छत्तरपुर-जपला रोड पर काला पहाड़ी के पास माओवादी पुलिस को ट्रैप करने में सफल रहे. माओवादियों की ओर से पुलिस वाहन को उड़ाने की घटना लंबे समय के बाद घटी है. इससे पहले वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में माओवादियों ने दुमका में लैंड माइन ब्लास्ट किया था.
बुधवार को जिस स्थान पर माओवादियों ने घटना को अंजाम दिया, वहां पर पिछले तीन दिनों से भाकपा माओवादी और टीपीसी के दस्ते के बीच मुठभेड़ हो रही थी. इस मुठभेड़ में टीपीसी के कुछ उग्रवादी घायल भी हुए थे. इलाके में भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर नीतेश यादव का दस्ता सक्रिय है, जिसके बाद टीपीसी के उग्रवादी वहां से हट गये थे. नक्सली यह जानते थे कि मुठभेड़ खत्म होने के बाद पुलिस जरुर आयेगी. माओवादियों ने मुठभेड़ स्थल पर एक शव पड़े होने की बात भी फैलायी. जब पुलिस वहां पहुंची, तब पहले से घात लगाये माओवादियों ने पुलिस के 407 वैन को विस्फोट कर उड़ा दिया. ऐसा पहले भी हुआ है. पांच-छह साल पहले तक माओवादी इस तरह की कार्रवाई करते रहे हैं, जिसमें माओवादियों द्वारा रास्ते में पुलिस को ट्रैप किया गया.
विस्फोट के बाद कई फीट ऊपर उड़ गया था जवानों से भरा 407 वाहन
नक्सलियों द्वारा पुलिस वाहन को निशाना बनाने के लिए जिस लैंड माइन का इस्तेमाल किया गया था, उसमें कम से कम 40 किलो बारूद रहे होंगे. ग्रामीणों के मुताबिक विस्फोट के कारण पुलिस की 407 बस कई फीट ऊंची उड़ गयी थी. बस के परखच्चे उड़ गये. विस्फोट की आवाज करीब सात-आठ किमी दूर तक सुनी गयी. ग्रामीणों के अनुसार पुलिस जिप्सी सबसे आगे चल रही थी. उसके पीछे 407 वाहन चल रही थी. जिप्सी के पार होने के बाद 407 बस को नक्सलियों ने निशाना बनाया. चूंकि जीप में कम लोग सवार थे, इसलिए माओवादियों ने 407 वाहन को ही निशाना बनाना उचित समझा.
चार घंटे तक शहीद पुलिसकर्मियों की संख्या छिपाती रही पुलिस
रांची. पलामू के छत्तरपुर-जपला में पुलिस वैन को उड़ाने की घटना के बाद पुलिस विभाग के सीनियर अफसर करीब चार घंटे तक घटना का विस्तृत ब्योरा छिपाते रहे. सरकार भी अंधेरे में रही. पुलिस मुख्यालय के अधिकारी भी यह नहीं समझ पाये कि इतनी बड़ी घटना घटी है और सात जवानों की मौत हो गयी है.
घटना के बाद पलामू एसपी से लेकर पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता तक यही कहते रहे कि घटना में आठ जवान घायल हैं, जिनमें दो की स्थिति गंभीर है. रात करीब 7.30 बजे यह स्पष्ट हुआ कि घटना में दो पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं. इसके कुछ वक्त बाद तीन जवान के शहीद होने की बात कही गयी. रात करीब 10.30 बजे स्पष्ट किया गया कि घटना में सात जवान शहीद हुए हैं.
नक्सल क्षेत्र में 407 से गयी पुलिस
नक्सल इलाकों में बंद गाड़ी से पुलिसकर्मियों का मूवमेंट नहीं होगा, यह लंबे समय से तय है. इसके बाद भी पलामू पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया. 14 पुलिसकर्मियों को बंद 407 वाहन से भेजा गया. इसी तरह की गलती कई साल पहले हजारीबाग में हुई थी, जब सीआरपीएफ के 14 जवान मारे गये थे.
तीन जवानों को आयी है गंभीर चोट
रांची. पलामू विस्फोट में घायल जवानों को देर रात एमआइ-17 विमान से रांची लाया गया. पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रामाकांत उपाध्याय समेत अन्य पुलिसकर्मी घायलों को लेकर एयरपोर्ट से मेडिका अस्पताल पहुंचे. घायलों को सात एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया. घायलों में तीन को गंभीर चोट आयी है. एक जवान का पैर टूट गया है, जबकि एक का जबड़ा टूटा है. वहीं एक जवान के सिर में गंभीर चोट आयी है. तीन जवानों को मामूली चोट आयी है.
झारखंड में विस्फोट की बड़ी घटनाएं
वर्ष 2001
23 सितंबर : हजारीबाग के अबरोज जंगल में विस्फोट कर सीआरपीएफ के 14 जवानों की हत्या, हथियार लूटे गये.
वर्ष 2002
07 मई : कोडरमा के मीठाडीह में बारूदी सुरंग विस्फोट कर 15 पुलिसकर्मियों की हत्या.
20 नवंबर : लातेहार के बरवाडीह में विस्फोट कर पुलिस की जीप उड़ायी. सात पुलिसकर्मी मारे गये. पुलिस से स्टेनगन और पांच एसएलआर राइफल की लूट.
20 दिसंबर : चाईबासा के सारंडा जंगल में विस्फोट कर 16 पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों की हत्या. यहां उग्रवादियों ने पुलिस से 35 हथियार व 1690 कारतूस लूटे थे.
वर्ष 2004
07 अप्रैल : बलिवा में पुलिस वाहन उड़ाया, 26 पुलिसकर्मी शहीद, कई राइफलें लूटीं.
22 जून : रनिया में बारूदी सुरंग विस्फोट, छह जवानों सहित सात की मौत.
वर्ष 2005
05 जनवरी : लातेहार के सरयू-सोनवार पथ पर विस्फोट में सीआरपीएफ के दो जवान सहित तीन की मौत.
03 फरवरी : पलामू के छत्तरपुर में बारूदी सुरंग विस्फोट कर सात पुलिसकर्मियों की हत्या.
वर्ष 2006
15 सितंबर : बोकारो के ललपनिया में विस्फोट, सीआरपीएफ के दो जवान शहीद.
वर्ष 2008
30 जून 08 : तमाड़ के पुंडीदिरी में डीएसपी समेत पांच पुलिसकर्मियों की हत्या.
वर्ष 2010
15 जनवरी : बिशुनपुर के पकड़ीपाट में बारूदी सुरंग विस्फोट में पांच पुलिसकर्मी शहीद.
16 जुलाई : बरवाडीह में लैंड माइन ब्लास्ट में पांच पुलिसकर्मियों की मौत.
10 सितंबर : दुमका के काठीकुंड में मुठभेड़, जामा थाना प्रभारी सदानंद सिंह शहीद.
13 नवंबर : लातेहार के महुडांड़ में बारूदी सुरंग विस्फोट, पांच जवान घायल.
21 दिसंबर : लोहरदगा के पेसरार में माओवादियों ने हेलीकॉप्टर पर कब्जे की कोशिश की.
वर्ष 2011
28 फरवरी : टंडवा में गश्ती दल पर हमला. एक एएसआइ, एक हवलदार व एक होमगार्ड के जवान शहीद.
वर्ष 2012
21 जनवरी : गढ़वा के भंडरिया में नक्सलियों ने आइइडी विस्फोट कर पुलिस वाहन उड़ाया, 12 पुलिसकर्मी की मौत.
04 फरवरी : लातेहार के बालूमाथ में पुलिस जीप को उड़ाया, फायरिंग, दारोगा मुख्तार शुक्ला और दो सिपाही की मौत
वर्ष 2013
20 जनवरी 2013 : झुमड़ा में लैंड माइंस विस्फोट, 11 जवान घायल
01 जुलाई : दुमका के काठीकुंड में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार समेत पांच पुलिसकर्मियों की हत्या.
वर्ष 2014
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में विस्फोट कर बस को उड़ाया. दो मतदानकर्मी समेत छह पुलिसकर्मी की मौत.