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पीड़ित की सहायता के लिए समाज भी आगे आये

विक्टिम कंपनसेशन विषय पर राज्यस्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन, बोले जस्टिस अनिल आर दवे रांची : किसी भी तरह का अपराध समाज के लिए बुरा होता है. दोषी को सजा मिल जाती है. पीड़ितों की सहायता आैर उनका पुनर्वास जरूरी है. उनकी सहायता के लिए समाज को आगे आना चाहिए. समाज पीड़ित का ख्याल करे. […]

विक्टिम कंपनसेशन विषय पर राज्यस्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन, बोले जस्टिस अनिल आर दवे
रांची : किसी भी तरह का अपराध समाज के लिए बुरा होता है. दोषी को सजा मिल जाती है. पीड़ितों की सहायता आैर उनका पुनर्वास जरूरी है. उनकी सहायता के लिए समाज को आगे आना चाहिए.
समाज पीड़ित का ख्याल करे. जो पीड़ित है, जिसका कोई दोष नहीं होता है, उन्हें सहायता के रूप में समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए. झारखंड ने इस दिशा में कदम उठा कर उत्कृष्ट कार्य किया है. इसे आैर आगे बढ़ाया जाये, ताकि इसका संदेश पूरे देश में जाये. उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट के जज व नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस अनिल आर दवे ने कही. वे बताैर मुख्य अतिथि शनिवार को डोरंडा स्थित न्याय सदन सभागार में विक्टिम कंपनसेशन विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम का आयोजन झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी (झालसा) की अोर से किया गया था. झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कहा कि आपराधिक घटनाअों से प्रभावित पीड़ित का पूरा परिवार सफर करता है. पीड़ितों को सहायता देना बड़ी बात है.
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में कोर्ट मुलजिम का ख्याल जेल तक करता है, तो विक्टिम (पीड़ित) का ख्याल भी कोर्ट को करना होगा. कोर्ट को विक्टिम के लिए खड़ा होना है. उन्हें मुआवजा दिलाना कोर्ट की अनिवार्य ड्यूटी है. पीड़ितों को मुआवजा पाने का अधिकार है. कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड सरकार ने झारखंड पीड़ित कल्याण अधिकोष नियमावली 2014 लागू की है. नियमावली के तहत स्थापित विक्टिम वेलफेयर फंड से विक्टिम को मुआवजा राशि दी जाती है.
चीफ जस्टिस श्री सिंह ने कहा कि इस योजना का पूरे राज्य में व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाये. इसमें प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. कर्नाटक हाइकोर्ट के जस्टिस विनीत शरण ने कहा कि देश में कई कानून है, लेकिन उसमें विक्टिम को मुआवजा का मामला काफी महत्वपूर्ण है. विक्टिम कंपनसेशन को लेकर जन जागरूकता बहुत जरूरी है. इस स्कीम के विषय मे लोगों को कम जानकारी है. झारखंड ने नियमावली बना कर सराहनीय कार्य किया है.
इससे पूर्व झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष व झारखंड हाइकोर्ट के वरीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रवेश कराया. उन्होंने कहा कि पीड़ितों की सहायता के लिए मुआवजा का प्रावधान किया गया है. लगभग 141 केस चिह्रित किये गये हैं, जिनके बीच 32 लाख रुपये का मुआवजा भुगतान किया जायेगा. जस्टिस पटेल ने कहा कि सेनसेटाइजेशन के साथ-साथ जागरूकता की आवश्यकता है. झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न मामलों में तय मुआवजा राशि अलग-अलग है.
इसमें समानता लाने की भी जरूरत है. जस्टिस दवे सहित अन्य न्यायाधीशों ने झालसा द्वारा विक्टिम कंपनसेशन पर प्रकाशित पंपलेट व पुस्तक का विमोचन किया. कार्यक्रम के दाैरान जस्टिस दवे ने मर्डर, दुष्कर्म, पोस्को मामले के पीड़ितों को मुआवजा राशि का चेक प्रदान किया.
इस अवसर जस्टिस आरआर प्रसाद, जस्टिस प्रशांत कुमार, जस्टिस पीपी भट्ट सहित हाइकोर्ट के अन्य सभी न्यायधीशगण, महानिबंधक अनिल कुमार चाैधरी, कारा महानिरीक्षक सुमन गुप्ता, नालसा के सदस्य सचिव आलोक अग्रवाल, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला, विभिन्न जिलों के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश, उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, विभिन्न जेलों के अधीक्षक आदि उपस्थित थे. दो तकनीकी सत्र आयोजित किये गये. इसमें विभिन्न मुद्दों पर वक्ताअों ने अपने विचार रखे.
झालसा की पहल पर हुआ तीन अनाथ बच्चों का पुनर्वास : जस्टिस पटेल
झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष व झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डीएन पटेल ने बताया कि मर्डर के 21, पोस्को के 29 व दुष्कर्म के 41 मामलों को मुआवजा के लिए चिह्नित कर मुआवजा दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष गुमला में तीन बच्चों के माता-पिता की हत्या कर दी गयी थी. बच्चों को देखनेवाला कोई नहीं था. वहां के पारा लीगल वालेंटियर (पीएलवी) ने इसकी सूचना 10 जनवरी को झालसा को दी. उसके बाद तुरंत आवेदन पर कार्रवाई की गयी. जगू महली (10 वर्ष), रीना कुमारी (आठ वर्ष) व अनुज महली (आठ वर्ष) को गुमला के उपायुक्त ने दो लाख रुपये की मुआवजा राशि स्वीकृत की. सरकार द्वारा बच्चों को गोद लिया गया. उन्हें स्कूल में दाखिला कराया गया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिल आर दवे ने उक्त तीनों बच्चों को दो लाख रुपये की मुआवजा राशि का चेक प्रदान किया.
इसके अलावा मुआवजा पानेवालों में तिजन देवी (45,000 रुपये), सहचरी देव (41,000 रुपये), नोनी देवी (37,200 रुपये), गीता देवी (26,000 रुपये), सरस्वती कच्छप (24,000 रुपये), एतवारी देवी (23,000 रुपये), विलियम तिर्की (14,000 रुपये), मजीरन खातून (24,000 रुपये), सुषमा लकड़ा (11,000 रुपये), रीना कच्छप (11,000 रुपये), ललिता देवी (10,000 रुपये), मनोज मुंडा (9,000 रुपये) आदि.

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