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गांवों से 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठाने का मामला, बच्चों को बरामद करने के लिए पुलिस करे ठोस कार्रवाई : काेर्ट

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को गुमला, लोहरदगा व लातेहार के समीपवर्ती गांवों से 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठाये जाने के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की़ पुलिस को निर्देश दिया कि बच्चों को बरामद करने के लिए ठोस कार्रवाई करें. साथ ही कार्रवाई की जानकारी शपथ पत्र के […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को गुमला, लोहरदगा व लातेहार के समीपवर्ती गांवों से 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठाये जाने के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की़ पुलिस को निर्देश दिया कि बच्चों को बरामद करने के लिए ठोस कार्रवाई करें. साथ ही कार्रवाई की जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बतायें. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि निर्धारित की. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
खंडपीठ ने कहा कि पुलिस को बिना दबाव में आये, संवेदनशीलता से काम करना चाहिए. खंडपीठ ने पूछा कि अब तक कितने बच्चों को बरामद किया गया है. अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि आठ बच्चों को बरामद कर घर पहुंचा दिया गया है. शेष बच्चों को बरामद करने के लिए अभियान जारी है. लातेहार व गुमला के एसपी भी कोर्ट में सुनवाई के दाैरान उपस्थित थे. एमीकस क्यूरी अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने भी पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठाये जाने के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
क्या है शपथ पत्र में : नक्सलियों के खिलाफ पुलिस लगातार अॉपरेशन चला रही है. अगस्त 2015 से दिसंबर 2015 तक लोहरदगा में 30 अॉपरेशन, लातेहार में अप्रैल 2015 से लेकर नवंबर 2015 तक 15 अॉपरेशन, गुमला में जून 2013 से लेकर नवंबर 2015 तक 94 अॉपरेशन चलाये गये. इस दाैरान नक्सली गतिविधियों को रोकने में पुलिस को सफलता मिली है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी कैंप लगाने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं. लोहरदगा क्षेत्र में पेशरार एक्शन डेवलपमेंट प्लान, लातेहार में सरयू एक्शन प्लान व गुमला में डेवलपमेंट एक्शन प्लान चलाया जा रहा है. शपथ पत्र में कहा गया है कि कुछ ऐसी जानकारियां है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से सार्वजनिक नहीं की जा सकती़ यदि कोर्ट आदेश दे, तो वह जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी जा सकती है. सरकार के शपथ पत्र को देखने के बाद कोर्ट ने सराहा.
एडीजी को मांगनी पड़ी माफी
सुनवाई के दौरान एडीजी (ऑपरेशन) एसएन प्रधान कोर्ट में उपस्थित थे. खंडपीठ ने उनसे जानना चाहा कि आठ माह से अधिक समय गुजर गया. इसके बावजूद बच्चों की तलाश जारी है. आखिर कब तक तलाश पूरी होगी. शपथ पत्र दायर कर बताया जाये. मामले की सुनवाई के दौरान ही एडीजी एसएन प्रधान कोर्ट रूम से बाहर जाने लगे. इस पर खंडपीठ ने उन्हें बुलाया आैर कहा कि अभी सुनवाई चल रही है. आप वरीय पदाधिकारी हैं, आपको कोर्ट का सम्मान करना चाहिए. सुनवाई पूरी होने के बाद ही जाना चाहिए. ऐसी परिस्थिति में अदालत की अवमानना का मामला बन जाता है. तत्काल एडीजी ने कोर्ट से माफी मांग ली.

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