पर इसके लिए मुख्यमंत्री की सहमति अावश्यक थी. कैबिनेट से मंजूरी के बाद इस नियम में संशोधन किया गया था. यह निर्णय लिया गया था कि किसी राजपत्रित (गजटेड) पदाधिकारी को लघु दंड देने के लिए मुख्यमंत्री की स्वीकृति की अावश्यकता नहीं होगी. वहीं प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत पदाधिकारी को वहीं दंडित करने संबंधी संशोधन भी किया गया था. यानी स्वास्थ्य से श्रम विभाग में प्रतिनियुक्त चिकित्सक को श्रम विभाग ही लघु दंड दे सकता था.
पर इसके लिए विभागीय मंत्री की सहमति जरूरी थी. अब इसमें फिर से बदलाव का प्रस्ताव है. अब इस दंड के लिए संबंधित विभागीय मंत्री की स्वीकृति की भी जरूरत नहीं होगी. प्रस्ताव के अनुसार अब सचिव सीधे किसी पदाधिकारी को लघु दंड दे सकेंगे. जानकार इसके दोनों पहलू की अोर इशारा करते हैं. इस बदलाव के तहत अच्छी बात यह होगी कि भ्रष्टाचार व अन्य मामले में दोषी को दंड देने की प्रक्रिया छोटी व सरल होगी. सचिव सीधे एक्शन ले सकेंगे. इसका दूसरा पक्ष यह है कि इससे कोई पदाधिकारी सचिव के विचारों से इतर स्वतंत्र होकर कुछ लिख-सोच नहीं सकेगा.