रांची : भवन निर्माण में काम अानेवाले छड़ की कीमत माह भर पहले की तुलना में करीब 10 रुपये प्रति किलो कम चल रही है. पहले जहां इसकी कीमत करीब 43 रुपये किलो थी, वहीं अब यह गिर कर लगभग 33-35 रुपये प्रति किलो तक हो गयी है. कांटी या कील की कीमत में तो इससे भी अधिक कमी अायी है.
पूर्व में कांटी का मूल्य 55-60 रुपये प्रति किलो था, जो अभी करीब 40 रुपये प्रति किलो है. जानकारों के अनुसार अपना घर बनानेवालों के लिए यह अच्छा अवसर है. हालांकि भवन निर्माण में काम अानेवाली अन्य सामग्री जैसे सीमेंट, ईंट व गिट्टी की कीमत लगभग समान है. अब बालू भी कुछ माह पहले की तुलना में आसानी से तथा तुलनात्मक रूप से सस्ते दर पर उपलब्ध है. बालू घाट की निलामी से पहले व इसके बाद तक एक ट्रैक्टर बालू के दो हजार से लेकर 2400 रुपये तक वसूले जा रहे थे, पर अभी एक ट्रैक्टर बालू करीब 1000-1200 रुपये में उपलब्ध है. वहीं बालू व्यापारी कांची (बुंडू) का बालू के नाम पर 1600 से 1800 रुपये तक ले रहे हैं. कुल मिलाकर राहत बालू व छड़ में है.
दरअसल छड़ की कीमत में कमी का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत में लगातार हो रही गिरावट है, जो वर्ष 2003 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर है. वहीं भारत सहित अन्य देशों में चीन, जापान व कोरिया के सस्ते स्टील डंप होने से भी इस सेक्टर की हालत खराब हुई है.
देश में इस्पात उद्योग से जुड़ी कंपनियों की देनदारी में वृद्धि तथा मांग में कमी फिलहाल एक समस्या है. मीडिया की खबरों के अनुसार माना जा रहा है कि सस्ते आयात की मार झेल रहे भारतीय स्टील निर्माताअों को सरकार की निर्माण व शहरीकरण (स्मार्ट सिटी) से जुड़ी योजनाएं राहत दे सकती हैं. कुछ कंपनियां तो सरकार से कपड़ा व चीनी उद्योग की तरह सहायता की भी मांग कर रही हैं. टाटा जैसी कुछ कंपनियां अब सस्ते स्टील भी बना रही हैं.