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नुकसान: राइस मिल व शराब कारखाने पर आरोप, उद्योगों के प्रदूषित जल से 20 एकड़ खेत बरबाद

रांची: टाटीसिलवे से सटे चतरा व पुराना चतरा गांव के करीब 20 एकड़ खेत बरबाद हो गये हैं. यहां पैदावार नहीं होती. यही नहीं गांव का एकमात्र तालाब भी गंदे पानी व छाई से काला हो गया है. ग्रामीणों ने इस तालाब का उपयोग बंद कर दिया है. अभी तालाब में घास उग अायी हैं […]

रांची: टाटीसिलवे से सटे चतरा व पुराना चतरा गांव के करीब 20 एकड़ खेत बरबाद हो गये हैं. यहां पैदावार नहीं होती. यही नहीं गांव का एकमात्र तालाब भी गंदे पानी व छाई से काला हो गया है. ग्रामीणों ने इस तालाब का उपयोग बंद कर दिया है. अभी तालाब में घास उग अायी हैं तथा वहां पानी कम है.

ग्रामीणों के अनुसार तालाब इतना गंदा है कि इसमें अादमी तो दूर मवेशी भी नहीं उतरते. पानी लगने से खुजली व अन्य शिकायत होती है. दरअसल इस समस्या की जड़ टाटीसिलवे रियाडा फेज दो के कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी है. खासकर एक राइस मिल व एक शराब फैक्टरी के पानी से खेती बरबाद हो रही है. चतरा के मुखिया सोहन मुंडा व अन्य ग्रामीणों के अनुसार अौद्योगिक क्षेत्र में स्थित तुलस्यान राइस मिल तथा शराब की फैक्टरी जेमिनी बिवरेजेज से गंदा, रसायन युक्त तथा काला पानी निकलता है, जो पास के खेतों में जाता है.

वर्ष 2004 में राइस मिल खुलने के बाद से कई रैयतों की खेती चौपट हो गयी है. बार-बार के आग्रह व शिकायत के बाद भी स्थिति नहीं बदली. अब तो गांव में किसी के निधन पर तालाब में होनेवाला संस्कार भी वहां बंद हो गया है. दरअसल ग्रामीणों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तो उनके खेत बर्बाद हो गये, वहीं दूसरी अोर उन्हें एक रुपया भी मुआवजा नहीं मिला. अौद्योगिक जल की सीधे खेतों में निकासी से पहले इसे साफ (फिल्टर) नहीं किया जाता. राइस मिल व शराब फैक्टरी प्रबंधन को इससे कोई मतलब नहीं है. गौरतलब है कि पानी की निकासी खेतों के बीचोंबीच स्थित जिस कच्चे नाले से होती है, वह भी खुद किसानों की ही जमीन है. मुखिया सोहन के अनुसार इस नाले में ही किसानों की कम से कम दो एकड़ जमीन गयी है.
ग्रामीणों की शिकायत के बाद विधानसभा की प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इसी वर्ष 13 जुलाई को तुलस्यान राइस मिल का निरीक्षण किया था. समिति ने पाया था कि मिल में इंवायरमेंट ट्रिटमेंट प्लांट (इटीपी) नहीं है. वहीं मिल के बाहर मिल का कचरा लदा ट्रैक्टर खड़ा था. ग्रामीणों ने बताया था कि यह कचरा पास के उनके खेतों में डाला जाता है. इससे चतरा व पुराना चतरा बस्ती के 20-25 एकड़ खेत बंजर हो गये हैं. समिति के सभापति योगेश्वर महतो के नेतृत्व में टीम में शामिल सदस्यों गोड्डा के विधायक रघुनंदन मंडल तथा खिजरी विधायक राम कुमार पाहन ने मौके पर मौजूद नामकुम बीडीओ व सीओ को निर्देश दिया था कि वे नोटिस देकर मिल को इटीपी लगाना सुनिश्चित करें, पर यह काम अाज तक नहीं हो सका है. इधर ग्रामीणों ने मामले की शिकायत सीएम के जन संवाद केंद्र में भी की है.
जिनके खेत बरबाद हुए
रघुनाथ महली, विष्णु महली, मुखिया सोहन मुंडा, बैजनाथ महतो, चतुर महतो, शशिकांत पाहन, बबलू महतो, नरेश महतो, बलिराम महतो, कमल महतो, अघनु महतो, रविशंकर महतो, राम महतो, लच्छु महतो, कार्तिक महतो व जितेंद्र पाहन.
हमलोग चाहते हैं कि उद्योग चले, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर नहीं. अफसरों से कहा गया था कि वे नोटिस देकर ट्रीटमेंट प्लांट लगवायें, पर एेसा नहीं हुआ. अब समिति से मैं कानून सम्मत कार्रवाई का आग्रह करूंगा.
-रामकुमार पाहन, विधायक खिजरी

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