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ढुल्लू महतो को बचाने के लिए डीएसपी ने दी थी गलत रिपोर्ट
सुरजीत सिंह रांची : बाघमारा के विधायक ढ़ुल्लू महतो पर दायर मुकदमा वापसी के संबंध में एसडीपीओ बाघमारा मजरुल होदा ने गलत रिपोर्ट दी थी. एसडीपीओ की रिपोर्ट पर बोकारो जोन के आइजी ने कई सवाल खड़े किये हैं. आइजी तदाशा मिश्र ने धनबाद के एसपी राकेश बंसल को पत्र लिख कर एसडीपीओ के विरुद्ध […]
सुरजीत सिंह
रांची : बाघमारा के विधायक ढ़ुल्लू महतो पर दायर मुकदमा वापसी के संबंध में एसडीपीओ बाघमारा मजरुल होदा ने गलत रिपोर्ट दी थी. एसडीपीओ की रिपोर्ट पर बोकारो जोन के आइजी ने कई सवाल खड़े किये हैं.
आइजी तदाशा मिश्र ने धनबाद के एसपी राकेश बंसल को पत्र लिख कर एसडीपीओ के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए स्पष्टीकरण पूछने का आदेश करीब एक माह पहले दिया था. आइजी ने अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजी है. जानकारी के मुताबिक आइजी ने एसपी से पूछा है कि अभियोजन पक्ष (पुलिस और अनुसंधान) के विपरीत तर्क देने से पहले एसडीपीओ ने इस कांड के सभी अनुसंधानकर्ताओं के समक्ष साक्ष्यों एवं प्रदर्शों की समीक्षा क्यों नहीं की. विधायक ढ़ुल्लू महतो के विरुद्ध मुकदमा वापसी से लोक शांति एवं व्यवस्था पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने का जिम्मा एसडीपीओ ने व्यक्तिगत रूप से किस आधार पर लिया है. इस कांड के वादी एसआइ रैंक का पुलिसकर्मी है, जो न तो ढुल्लू महतो का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं और न ही ढुल्लू महतो से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी है, फिर एसडीपीओ ने इस तरह का निराधार तर्क क्यों दिया कि इस कांड के नामितों के विरुद्ध पॉलिटिकल एवं आपसी विद्वेष (पर्सनल वेंडेटा) के कारण कांड दर्ज कराया गया है. इस कांड के विचारण से बदली हुई परिस्थिति में लोक हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
क्या लिखा था एसडीपीओ ने अपनी रिपोर्ट में
विधायक ढुल्लू महतो के खिलाफ कतरास थाने में दर्ज मामले के कांड दैनिकी में सभी गवाहों का बयान एक ही तरह का है. केवल साक्षियों का नाम बदल दिया गया है. प्राथमिकी में जान मारने की नियत से हमला करने का उल्लेख है, लेकिन सिर्फ पुलिस रामबचन राम को जख्मी होना दिखाया गया है. जांच प्रतिवेदन में ऐसा नहीं पाया गया है कि उन पर जानलेवा हमला कर गंभीर जख्म पहुंचाया गया हो. चिकित्सक ने जख्म जांच कर अपनी रिपोर्ट में कड़े व भोथड़े हथियार को साधारण प्रकृति का बताया है.
कांड की प्राथमिकी में जिस तरह से घटना को चित्रित किया गया है, उस अवस्था में वहां पर मौजूद पदाधिकारियों और कर्मियों का जख्मी होना स्वाभाविक था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. प्राथमिकी में यह उल्लेख किया गया है कि गिरफ्तार अभियुक्त राजेश गुप्ता को जोर-जबरदस्ती छुड़ा लेने और सरकारी पिस्तौल छीनने का प्रयास किया गया, जो संदिग्ध लगता है.
ऐसा इसलिए कि जब 30-40 लोगों की भीड़ एक आदमी को छुड़ा सकता है, तो पिस्तौल भी छीन सकता था. कांड के अवलेख अवलोकन से स्पष्ट होता है कि यह कांड झारखंड विधानसभा चुनाव होने के पूर्व दर्ज हुआ है. चूंकि इस कांड के मुख्य अभियुक्त ढुल्लू महतो उस समय जेवीएम से विधायक थे और यह दल उस समय बिखराव के कगार पर था. राज्य के कई सशक्त दल उनके नेताओं को अपने दल में लेना चाहते थे. वर्तमान में कांड के प्राथमिकी अभियुक्त ढुल्लू महतो ने जमानत पर मुक्त होने के बाद विधानसभा चुनाव 2014 में भाग लिया और फिर से विधायक बने. इस दौरान इनका कार्य कलाप विधि-विरुद्ध नहीं पाया गया है.
जहां तक लोक शांति एवं व्यवस्था का प्रश्न है, तो इसके लिए प्रशासन एवं पुलिस किसी भी परिस्थिति के लिए प्रतिबद्ध है. विधायक ढुल्लू महतो की मुकदमा वापसी से लोक शांति एवं व्यवस्था पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. उपरोक्त तथ्यों के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि इस कांड के नामितों के विरुद्ध पोलिटिकल एंड पर्सनल वेंडेटा के कारण दर्ज कराया गया हो. वर्तमान में श्री ढ़ुल्लू महतो भाजपा के विधायक चुने गये हैं और इस कारण उन पर दर्ज इस केस के चलने से बदली हुई परिस्थिति में लोकहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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