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भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस : रघुवर

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर उनकी सरकार जोरी टोलरेंस की नीति पर चलेगी. भ्रष्टाचारी को बरदाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि एक वर्ष में काफी काम हुए हैं. लोगों का भरोसा बढ़ा है. झारखंड की छवि सुधरी है. विकास की गति को तेज करने का काम किया जा रहा है. […]

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर उनकी सरकार जोरी टोलरेंस की नीति पर चलेगी. भ्रष्टाचारी को बरदाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि एक वर्ष में काफी काम हुए हैं. लोगों का भरोसा बढ़ा है. झारखंड की छवि सुधरी है. विकास की गति को तेज करने का काम किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगला वर्ष कृषि पर फोकस होगा. कृषि विशेष बजट पेश किया जायेगा. उन्होंने कहा कि वह जनता के बीच रहते हैं.
अधिकारियों को भी जनता के बीच रहना होगा. अगले वर्ष से वह इसे सुनिश्चित करेंगे. रघुवर दास की सरकार का 28 िदसंबर को एक साल पूरा हो रहा है. इस अवसर पर प्रभात खबर के वरीय संवाददाता सुनील चौधरी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से बातचीत की़ बातचीत के प्रमुख अंश हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री के रूप में अपने एक वर्ष के काम से आप कितना सतुष्ट हैं?
मेरा मानना है कि मैंने अभी शुरुआत की है. अगर अपने काम से संतुष्ट हो जाऊं, तो आगे काम करने में मुझे परेशानी होगी. एक साल में मैंने सिर्फ बिगड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया है. कई काम हुए हैं. कई काम की शुरुआत की गयी है और कई अभी करने हैं.
सरकार तो एक दिन में बदल जाती है, लेकिन व्यवस्था बदलने में समय लगता है. मेरा प्रयास है कि 2019 में जब अपने काम का लेखा-जोखा जनता के सामने रखूं, तो यह गर्व के साथ कह सकूं कि मैंने उन्हें निराश नहीं किया है. मेरा जीवन खुली किताब की तरह है.
आपने भ्रष्टाचार मुक्त शासन व पारदर्शी सरकार की बात कही है. प्रयास भी कर रहे हैं. पर अभी भी कई जगहों पर भ्रष्टाचार के मामले आते हैं, क्या सिस्टम में ही कोई खामी है?
भ्रष्टाचार इस समाज में अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है. रिश्वत लेने और देनेवाले दोनों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी. मेरी नजर में भ्रष्टाचार के जो भी मामले आते हैं, उसे मैं कड़ाई से निबटने का आदेश देता हूं. मैंने निगरानी ब्यूरो को मजबूती देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में बदला है. मैनपावर की कमी को काफी हद तक दूर किया है. इस कड़ाई और सजगता का ही परिणाम है कि एक साल में लगभग 70 लोग जेल भेजे गये हैं.
मैं भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस का हिमायती हूं. कोई भी भ्रष्टाचारी मुझसे नरमी की उम्मीद न रखे. भ्रष्टाचार के मामले में बड़े और छोटे में कोई भेद नहीं हो रहा है. पिछले एक साल में एक भी ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है कि जिसमें इस तरह का आरोप लगा हो या फिर मामला मैनेज किया गया हो. मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. मेरा पूरा जीवन खुली किताब की तरह है.
इज ऑफ डूइंग बिजनेस में झारखंड को तीसरा स्थान मिला है. पर अभी भी कई उद्योग ऐसे हैं, जिन्हें जमीन नहीं मिल रही है. बड़े उद्योग लगे, इसके लिए सरकार क्या सोचती है?
निवेश के लिए हमने जो प्रयास शुरू किये हैं, उसकी सराहना वर्ल्ड बैंक ने की है. राज्य को इज ऑफ डूइंग बिजनेस में 29वां से तीसरा स्थान मिला है. मेरा मानना है कि अब तक की जो व्यवस्था रही है, उसे एक साल में ठीक कर पाना संभव नहीं है. एक साल में हमने उद्योगों और निवेशकों के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास किया है. हमें बेहतर परिणाम भी मिले हैं. उद्योग जगत में झारखंड को लेकर नकारात्मक माहौल था. एक साल के अंदर मैंने उस छवि को बदलने का काम किया है. मेरा मानना है कि किसी एक सेक्टर पर पूरी तरह से निर्भर होकर राज्य का विकास नहीं हो सकता है.
उद्योगों के साथ-साथ कृषि, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे हर क्षेत्र में हमें स्थिति सुधारने की जरूरत है, ताकि प्रदेश में रोजगार और स्वरोजगार दोनों के ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा हो सकें. जहां तक उद्योगों की बात है, तो हम सिर्फ बड़े उद्योगों पर निर्भर नहीं रह सकते. मध्यम और लघु उद्योगों को भी साथ लेकर सरकार चलना चाहती है. बड़े औद्योगिक घरानों के निवेश के प्रस्तावों पर मेरी सरकार गंभीर है और उस दिशा में तेजी से काम चल रहा है. निवेशकों को आसानी हो और उन्हें कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ें, इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है. इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. अगले माह से लैंड बैंक भी प्रभावी हो जायेगा.
सरकारी स्कूलों की स्थिति नहीं सुधर रही है. सुविधाएं नहीं हैं. शिक्षक गायब रहते हैं. दूसरी ओर उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज की भारी कमी है. इस बारे में क्या सोच है?
मैं मानता हूं कि राज्य में शिक्षकों की कमी है, इसलिए मैंने पहले साल में ‍शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज कराया. हजारों शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है. इस प्रक्रिया में और तेजी लायी जायेगी.
मैं इस बात को भी मानता हूं कि राज्य बने 15 साल हो गये, लेकिन कई सरकारी स्कूलों में अभी भी बच्चे बोरे पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. मैंने भी बोरे पर बैठ कर ही पढ़ाई की है, इसलिए इस दर्द को मैं समझता हूं. मेरी सरकार का प्रयास है कि अगले दो सालों में राज्य में कोई भी ऐसा सरकारी स्कूल न हो, जहां बच्चों को बोरे पर बैठ कर पढ़ना पड़े. निजी स्कूलों की तरह हर सरकारी स्कूल में क्वालिटी वाले बेंच-डेस्क होंगे.
जब मैं सरकार में आया, तो मुझे बताया गया कि बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं हैं. सरकार ने उसी समय तय किया कि छात्राओं के लिए हर स्कूल में शौचालय बनेगा. इस पर तेजी से काम हुआ है. राज्य के 18 हजार स्कूलों में शौचालय बनवाने का काम शुरू किया गया. हम अब लक्ष्य के करीब पहुंच चुके हैं.
उच्च शिक्षा को लेकर भी सरकार गंभीर है. हमने हाल ही में अमेटी सहित चार राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्याल के साथ करार किया है. हमारी सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध कर आइएसएम को आइआइटी का दर्जा दिलाया है. अगले साल से ट्रिपल आइटी की पढ़ाई शुरू होनेवाली है. राज्य में पहले से जो उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थान है, सरकार उन्हें मजबूती प्रदान करेगी.
पंचायत चुनाव समाप्त हो गया है. स्थानीय नीति कब तक बनेगी और इसका स्वरूप क्या होगा?
मैं पहले दिन से स्थानीय नीति को लेकर संवेदनशील रहा हूं. स्थानीय नीति को लेकर आज तक केवल राजनीति ही हुई है. मैंने इस पर सर्वदलीय बैठक भी की थी. विपक्षी दलों से भी लिखित में सुझाव मांगे, लेकिन काफी कम दलों ने इसमें रुचि दिखायी. मैं अपने वायदे पर कायम हूं. जल्द ही राज्य में नियोजन नीति लागू की जायेगी. इस पर समाज के हर तबके के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है. इस नीति में सभी की भावनाओं का समायोजन होगा.
आप लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं. इसके बावजूद लालपुर थाने में ज्यां द्रेज जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति से घूस मांगने का मामला आया. क्या पुलिस के मन में सरकार का भय नहीं है?
मेरे सामने जो भी मामले आते हैं, उस पर मैं सख्त निर्णय लेता हूं. शिकायत मिलने पर अब तक कई पुलिस वाले सस्पेंड हो चुके हैं. अर्थशास्री ज्यां द्रेज के मामले में भी आरोपी पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. ऐसा नहीं है कि मेरी सरकार केवल बड़े लोगों की शिकायतों को गंभीरता से लेती है.
एक आम आदमी की शिकायत को भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाता है. पिछले दिनों जन संवाद कार्यक्रम में मिली शिकायत के बाद राजधानी स्थित लालपुर और सदर के थानेदार को निलंबित करने का मैंने आदेश दिया. उन दोनों मामले में शिकायत करनेवाले बड़े लोग नहीं थे, आम लोग थे. सरकार घूस मांगनेवालों को बरदाश्त करने के मूड में नहीं है.
आपके आदेश के बावजूद अधिकारी गांव में नहीं जाते, मंत्रियों ने गांव जाना छोड़ दिया है. क्या वजह मानते हैं आप?
मैं लगातार जिलों का दौरा कर रहा हूं. कई जिलों में रुक चुका हूं. लोगों से सीधी बात करता हूं. मेरा मानना है कि लोगों की समस्याओं का निदान होना चाहिए, चाहे वह जिस स्वरूप में हो. मंत्री भी लगातार दौरे कर रहे हैं. पिछले एक साल से नियमित तौर पर मंत्रियों का जनता दरबार लग रहा है. लोगों की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है.
डायल 181 के जरिये लोग अपनी शिकायतें सीधे सरकार तक पहुंचा रहे हैं. अधिकारियों को भी कहा गया है कि लोगों से सीधा संवाद रखें. कहीं कुछ कमियां रह गयी होंगी, नये साल में प्रयास होगा कि कमिश्नर, डीसी, एसपी, बीडीओ और सीओ 15 दिनों में जरूर एक बार लोगों से सीधा संवाद करें और लोगों की समस्याओं का निदान करें. जनता से दूर भागनेवाले अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रहेंगे, यह तय है.
भाजपा कार्यकर्ताओं की सरकार से उम्मीद है. पिछली बार आपने जिले के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी. भाजपा के ग्रास रूट कार्यकर्ता अफसरशाही से नाराज हैं ?
सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं को ही नहीं, बल्कि राज्य की पूरी जनता को सरकार से काफी उम्मीद है. हमारी सरकार का मानना है कि शासन में जनता की जितनी भागीदारी और साझेदारी होगी, उतनी ही योजना में सफलता मिलेगी. इसलिए आनेवाले समय में हम कार्यकर्ता और जनता सबकी भागीदारी से शासन-प्रशासन को चलाने पर सहयोग लेंगे.
भाजपा कार्यकर्ताओं की यह भी शिकायत है कि मंत्री, सांसद, विधायक सुनते नहीं हैं. अफसरों की तरह व्यवहार करते हैं ?
इस तरह की शिकायतें मुझे नहीं प्राप्त हुई है. मंत्री, सांसद, विधायक या अफसर सब जनता के हित की सुन रहे हैं. सुनना भी पड़ेगा.
बोर्ड-निगम कब तक बांटेंगे. बांटेगे या नहीं ?
राजनीतिक कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षा होती है, यह स्वाभाविक भी है. सरकार में जो प्रावधान है कि पार्टी को लोगों को स्थान मिले, वह जरूर मिलेगा. मैं हर समय पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील भी करता कि उनकी राजनीति राष्ट्र के लिए है, समाज के लिए है. इसलिए हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम समाज की सेवा अधिक से अधिक कर सकें. सरकार की जो योजनाएं हैं, उसे समाज के अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुुंचाएं, समाज की जो समस्या है, उसे सरकार तक कैसे पहुंचाएं, इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं को कड़ी बन कर काम करने की जरूरत है. इस सरकार में न सिर्फ कार्यकर्ता, बल्कि आम जनता की भी सुरक्षा व मान सम्मान की जिम्मेवारी सरकार पर है. जहां तक बोर्ड-निगम की बात है, तो यह प्रक्रिया में है. जल्द ही गठन हो जायेगा.
12वें मंत्री को लेकर सत्ता के गलियारे से लेकर आम लोगों की उत्सुकता है. झामुमो तो सवाल भी उठा रहा है.सरकार कोअसंवैधानिक तक करार दिया है. आप कब तक पूरी कैबिनेट का गठन करेंगे?
हमारी सरकार पूरी तरह संवैधानिक है. संविधान यह कहता है कि आप अधिकतम 12 मंत्री रख सकते हैं. संविधान यह नहीं कहता है कि आप 12 से कम नहीं रख सकते. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. विपक्ष के साथियों से कहेंगे कि विकास को मुद्दा बनायें और सरकार के साथ चलें. लोग विकास चाहते हैं, लोग सुशासन चाहते हैं. विपक्ष इस पर ज्यादा मेहनत करे कि राज्य का विकास कैसे हो.
कृषि पर अलग बजट आप निकाल रहे हैं, यह क्या है?
आप आम बजट को देखते हैं, जो सभी विभागों का एक साथ निकाला जाता है. इसमें एक दिन फूल बजट कृषि पर ही पेश होगा. इसमें सिंचाई, कृषि, पशुपालन, ग्रामीण विकास को मिला कर एक कृषि बजट पेश किया जायेगा. यह पूरी तरह से अलग बजट होगा. पूरे देश में झारखंड दूसरा राज्य है, जो कृषि पर बजट लाने जा रहा है. इससे पहले कर्नाटक में जब भाजपा की सरकार थी, तब कृषि बजट लाया गया था.
महिलाओं के विकास को लेकर क्या योजना है?
अगर इस राज्य का विकास करना है, तो अाधी आबादी को साथ लेकर चलना होगा. महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को आर्थिक आजादी मिले, उन्हें स्वावलंबी बनायें. झारखंड की महिलाएं काफी सरल होती हैं. खासकर ट्राइबल महिलाओं में काफी गरीबी है. ट्राइबल की जिंदगी हमने देखी है.
एक फसल हुई, उसके बाद जैसे-तैसे अपना गुजारा करते हैं. इनकी जिंदगी में बदलाव आये. इसे ध्यान में रख कर हमने 5780 आदिवासी बहुल गांवों को चुना है. इनका फेजवाइज विकास करना है. इस बार एक हजार गांव लिया है. 2019 तक सभी 5780 गांवों के लिए योजना बनायी जा रही है. हर गांव की स्वयं सहायता समिति को प्रशिक्षित किया जायेगा. उन्हें एक लाख रुपये दिये जायेंगे. गांव के पढ़े लिखे लड़के और लड़कियों को रोजगार के लिए दो लाख रुपये तक दिये जायेंगे. स्वयं सहायता समूह घर-घर जाकर सरकार के लिए योजनाएं बनाकर देगा. लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जायेगा.
उसी तरह गरीब महिलाओं को दो-दो गाय दी जायेंगी, ताकि उनकी आमदनी बढ़े. ग्राम पंचायत के माध्यम से हर गांव में एक तालाब खोदा जायेगा. यदि कोई अपने खेत में तालाब बनाना चाहते हैं, तो सरकार मदद करेगी. सरकार की मंशा है कि 2016 में बरसात के पानी को बह कर नहीं जाने दिया जायेगा. इसलिए युद्ध स्तर पर तालाब, चेकडैम, डोभा आदि का निर्माण किया जायेगा.
पर्यावरण को लेकर पूरी दुनिया समेत भारत में भी बहस चल रही है. झारखंड सरकार पर्यावरण को लेकर क्या सोच रखती है?
देखिये, झारखंड आज भी पर्यावरण की दृष्टि से काफी सशक्त राज्य है. राज्य में 33 प्रतिशत जंगल है. जंगल बढ़ाने के लिए वृक्ष लगा रहे हैं. हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री वन योजना आरंभ की है. इसमें कोई भी अपनी जमीन पर वन लगाये, फलदार वृक्ष लगाये, तो आधी सब्सिडी सरकार देगी. पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के साथ-साथ स्वयं जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है. प्रदूषित होनीवाली चीजों का हम कम से कम इस्तेमाल करें. इसी को ध्यान में रख कर कोयले का भंडार होने के बावजूद हमने सौर ऊर्जा पर फोकस किया. इस वित्तीय वर्ष में हम 1220 मेगावाट सौर ऊर्जा बिजली प्लांट लगाने का काम करेंगे. एशिया का पहला कोर्ट हमने सौर ऊर्जा युक्त किया.
आप अपनी सरकार को 10 में कितने अंक देते हैं?
अंक देना मेरा काम नहीं है. अंक देने का काम जनता का है.
यदि आप एक आम नागरिक होते तो आप मुख्यमंत्री से क्या अपेक्षा करते?
मेरी अपेक्षा इतनी है कि मुख्यमंत्री ईमानदार हो. ईमानदार होगा, तो सारी समस्या अपने आप समाप्त होती जायेगी. मैं ईमानदारी से अपना काम करता हूं.
2016 आनेवाला है. अगले साल को लेकर क्या योजना है?
राजनीतिक और शासन पर खोया हुआ विश्वास हमने एक वर्ष में प्राप्त किया है. यहां 14 वर्ष में राजनीतिक अस्थिरता के कारण राजनीतिक दल और प्रशासन पर लोगों को विश्वास उठता जा रहा था. उस विश्वास को हमने स्थापित किया और 2016 के लिए झारखंड की जनता को शुभकामना. लोगों से अपील की है कि अतीत से सबक लेकर भविष्य की ओर ध्यान रखते हुए हम अपने परिवार के साथ-साथ राज्य और राष्ट्र के निर्माण में लग जाये. नयी ऊर्जा के साथ इस राज्य को अग्रणी बनाने में हम सबकी भूमिका होनी चाहिए. 2016 का वर्ष समृद्धि का वर्ष हो, यह हमारी शुभकामना है.
मंजिल नहीं होती है विकास की
रघुवर दास
मुख्यमंत्री, झारखंड : सालभर पहले झारखंड ने जो राजनैतिक करवट ली, उसका नेतृत्व करने मौका मिला़ जनता और पार्टी ने जो विश्वास जताया था, उसे लेकर एक बड़ी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी़
चिंता भी थी कि सबके भरोसे पर खरा उतरूंगा़ लेकिन मेरा पेशागत अनुभव मेरे काम आया़ टाटा स्टील में मजदूरी करने के दौरान मैंने निर्माण का बोझ उठाना सीखा़ राजनीति में आकर मैंने जनसेवा की दीक्षा ली़ भाजपा के संगठनात्मक पदों पर रह कर मैंने सीखा कि लोगों को कैसे जोड़ा जाये़
इसलिए जब मुझे मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी मिली, तो मुझे लगा कि पूर्व के सारे अनुभवों का लाभ उठाने का समय आ गया है़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद हो या पूर्व की सरकारों में मंत्री पद या किसी औद्योगिक इकाई के एक कर्मचारी का पद. एका-एक मुझे तीनों अनुभवों का तालमेल बना कर चलना था़ कई वजहों से झारखंड में अपार संभावनाएं रहने के बाद भी राज्य को सकारात्मक पहचान बनाने में कठिनाई हो रही थी़.
पूर्व में कई बार झारखंड को लेकर व्यंग्यात्मक टिप्पणी सुनने की तकलीफ भी झेल चुका था़ इसलिए राज्य की छवि बनाने की भी जिम्मेवारी थी, क्योंकि 14 साल के झारखंड की तुलना समकालीन राज्य छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के साथ ही बिहार से की जाती थी़ इसलिए हमने पहला कदम राज्य की छवि निर्माण के लिए उठाया़ सूत्र वाक्य ‘साल एक-फैसले अनेक’ को लेकर हमने राज्य में बुनियादी व्यवस्था को दुरुस्त करने की पहल की. मेरे पास लोग आते थे और कहते थे कि निवेशकों को आमंत्रित किया जाये़
लेकिन मैंने उन्हें कह दिया, जब तक मेरा होमवर्क दुरुस्त नहीं हो जायेगा, मैं किसी इंवेस्टर मीट में शामिल नहीं होऊंगा़ मुझे इस बात का गर्व है कि झारखंड और झारखंडवासियों में इस बात की कूवत है कि अगर वे ठान लें, तो कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं. हमने फैसले लिये और अमल में लाया़ छह महीने में ही विश्व बैंक के सर्वे ने हमारी कोशिशों को न केवल स्वीकारा, बल्कि इज ऑफ डूइंज बिजनेस विषय पर पूरे देश में तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया़ सालभर पहले हम सबसे नीचे के पायदान पर थे़
राज्य का यह माहौल एक तरफा नहीं था़ श्रम कानूनों को लागू करने में भी हम अव्वल रहे़ जाहिर है, विकास का यह संतुलन समृद्धि का सबसे अच्छा जरिया होता है़ और हम इस मामले में कामयाब हो रहे हैं.
जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि जन भागीदारी का मेरा सपना मैंने पार्टी में स‍ंगठनात्मक पदों पर रहने के दौरान ही देखा था़ इसलिए किसी भी योजना और नीति की सफलता के लिए जनता का जुड़ाव, जनता की सहमति और जनता की राय लेनी जरूरी थी.
इसके लिए हमने सीधी बात, जनसंवाद, बजट पूर्व जन विमर्श और तकनीकी विशेषज्ञों को आमंत्रित करने का सिलसिला चलाया. सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से हम दूरस्त लोगों तक पहुंचे. पारदर्शिता आयी और लोगों का सत्ता में भरोसा बढ़ा. जब मैं एक साल की उपलब्धियों के बारे में सोचता हूं, तो मुझे आगे की जिम्मेदारियों और चुनौतियों की भी चिंता होती है. अभी हमने विकास का एक प्लेटफार्म तैयार किया है. जल्दी ही इस पर विकास की गाड़ी भी दौड़ेगी. विकास की योजनाओं को हमने तीन हिस्सों में बांटा.
अल्पकालीन, मध्यकालीन
और दीर्घकालीन. अल्पकालीन योजनाएं जनता की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गयी. मध्यकालीन योजनाएं उस मोड़ पर है, जहां से स्टार्ट अप करना है. ये योजनाएं ही विकास के लिए जमीन तैयार करती हैं. जबकि दीर्घकालीन योजनाएं राज्य को विकास की दौड़ में अपनी क्षमता दिखाने का मौका होता है. इसलिए ‘साल एक-फैसले अनेक’ की सार्थकता अब लोगों को दिखने लगेगी.
मेरा आह्वान रहा, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस का. विकास का स्पीडब्रेकर यह भ्रष्टाचार ही है. पारदर्शी शासन का मेरा मतलब ही है भ्रष्टाचारविहीन झारखंड. सरकार के उपायों के साथ ही जनता की जिम्मेदारी के बिना इस कोढ़ से निजात पाना मुश्किल है. हमें जनता का सहयोग मिला. मेरे सहयोगियों ने भी साथ दिया. आज मैं गर्व के साथ एक ईमानदार सरकार होने का नारा जरूर दे सकता हूं. मैंने कोई मंजिल चिह्नित नहीं की है. विकास एक सतत व्यवस्था है. और कई पड़ाव जरूर आयेंगे. लेकिन रुकने की गुंजाइश कहीं नहीं
है. इसीलिए मैं राज्य के हर वर्ग से अपेक्षा रखता हूं कि राज्य के विकास के लिए अपना हरसंभव योगदान दें. प्रकृति ने हमें जितना दिया है उसकी प्रतिष्ठा हमें रखनी है. विकास यात्रा का कोई ठौर नहीं होता. हर वक्त एक नया पायदान बनता रहता है. आइये, हम सब इस राज्य की विकास यात्रा में सहभागी बने और समाज और भावी पीढ़ी के प्रति अपनी जिम्मेवारी निभायें.
बोले मुख्यमंत्री
भ्रष्टाचारी नरमी की उम्मीद न रखें
अगले दो सालों में झारखंड के किसी भी सरकारी स्कूल में बोरे पर बैठ कर बच्चे नहीं पढ़ेंगे
जनता से दूर भागनेवाले अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रहेंगे, यह तय है
अगले वर्ष से हर 15 दिनों पर अधिकारी जनता के बीच रहेंगे
पहली बार झारखंड कृषि बजट पेश करेगा
अगले माह से लैंड बैंक
प्रभावी होगा
नियोजन नीति जल्द
2019 में मैं गर्व के साथ अपना लेखा-जोखा पेश करूंगा

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