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खनन परियोजनाओं की पर्यावरण स्वीकृति पर कार्यशाला, बोले प्रधान सचिव संतोष सत्पथी देश में इतने कानून पर कोई लाभ नहीं

रांची: खान विभाग के प्रधान सचिव संतोष सत्पथी ने कहा कि भारत में दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक एक्ट और कानून है, पर इसका आउटकम क्या है? आखिर इतने कानूनों की जरूरत क्या है? यहां जटिल प्रक्रियाओं को और जटिल किया जाता है. आज यह सोचने की जरूरत है कि […]

रांची: खान विभाग के प्रधान सचिव संतोष सत्पथी ने कहा कि भारत में दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक एक्ट और कानून है, पर इसका आउटकम क्या है? आखिर इतने कानूनों की जरूरत क्या है? यहां जटिल प्रक्रियाओं को और जटिल किया जाता है.

आज यह सोचने की जरूरत है कि आखिर इतने कानूनों से देश को क्या लाभ हुआ. श्री सत्पथी डोरंडा स्थित इंजीनियर्स भवन में इनवायरमेंटल क्लीयरेंस अॉफ माइनिंग प्रोजेक्ट्स (खनन परियोजनाओं की पर्यावरण स्वीकृति) विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. कार्यशाला का आयोजन एनजीओ पर्यावरण विमर्श व द इंस्टीट्यूट अॉफ इंजीनियर्स द्वारा किया गया था.


श्री सत्पथी ने कहा कि यदि आपको एक बाल्टी बालू लेना है तो इसके लिए पहले निविदा जारी होगी, फिर खान विभाग के पास संचिका जायेगी. फिर राज्य पर्यावरण समिति के पास मंजूरी के लिए जायेगी. वहां से मंजूरी मिलने के बाद प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के कंसेट टू इस्टैबलिशमेंट व कंसेट टू अॉपरेट लेना होगा. तब आप बालू ले सकेंगे. उन्होंने कहा कि इतनी प्रक्रिया बनाना सिस्टम के साथ जोक (मजाक) है. बालू जैसे साधारण चीज के लिए पंचायत ही काफी थे, पर अब बालू घाट लेने के लिए पर्यावरण स्वीकृति जैसे ढेरों कानून लाद दिये गये हैं.
कानून हैं, तो नदियां प्रदूषित कैसे हुईं : श्री सत्पथी ने कहा कि बहुत पहले से पर्यावरण का कानून देश में लागू है. दिल्ली में विद्वान लोग बैठे हैं तो फिर यमुना प्रदूषित कैसे हुई. कानून होने के बावजूद दामोदर प्रदूषित हो गयी. यह सोचने की जरूरत है कि इन कानूनों का आउटकम क्या निकला.
लोग कॉलर पकड़ कर सर्विस लेंगे : श्री सत्पथी ने कहा कि जनता सरकार को सर्विस देने के लिए चुनती है. सरकार का काम गवर्नेंस ही नहीं सर्विस देना भी है. निजी कंपनियां 12 से 24 घंटे में सर्विस दे रही हैं. पर सरकार के पास जाओ तो कुछ न कुछ बहाना होता है. राज्य में सेवा अधिकार गारंटी अधिनियम के तहत 53 सेवा लायी गयी है. अब जो समय आ रहा है, जनता हमारा कॉलर पकड़ कर सेवा लेगी.

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वीसी डॉ गुरुदीप सिंह ने कहा कि गलतियों को ढूंढने के बजाय क्या अच्छा हो सकता है इस पर काम किया जाना चाहिए. स्टेट एक्सपर्ट अपरेजल कमेटी (एसइएसी) के अध्यक्ष एके सक्सेना ने कहा कि तीन वर्षों में 1500 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गयी है. पर्यावरण विमर्श के अध्यक्ष एसके सिंह ने कहा कि खनन क्षेत्रों में पर्यावरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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