15 नवंबर तक के आंकड़े के अनुसार भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ ने क्रमश: 18.82 व 26 प्रतिशत कम घटनाओं को अंजाम दिया. नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस को मिली सफलता की बात करें, तो इस साल 15 नवंबर तक पुलिस ने 869 विशेष अभियान चलाये. 978 एलआरपी (लांग रेंज पेट्रेलिंग) की. इन अभियानों में पुलिस ने 30 पुलिस हथियार, 13 रेगुलर हथियार, 247 देसी हथियार, 48250 डेटोनेटर, 821 लैंड माइंस, 9420 किलो विस्फोटक की बरामदगी की. पुलिस ने इस साल 31 बड़े नक्सलियों (एरिया कमांडर व इससे उपर के रैंक के) को गिरफ्तार किया. वहीं नयी सरेंडर नीति और पुलिस अभियान की वजह से इस साल 15 नवंबर तक 10 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया.
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पूरे साल नक्सलियों पर भारी रही पुलिस
रांची: वर्ष 2015 में पूरे साल झारखंड पुलिस नक्सलियों पर भारी रही. कुल नक्सली घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले 11.76 प्रतिशत की कमी आयी है. 15 साल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब नक्सली इस साल एक भी हथियार नहीं लूट सके. पुलिस पर हमला करने की घटना भी शून्य रही. नक्सलियों की […]
रांची: वर्ष 2015 में पूरे साल झारखंड पुलिस नक्सलियों पर भारी रही. कुल नक्सली घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले 11.76 प्रतिशत की कमी आयी है. 15 साल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब नक्सली इस साल एक भी हथियार नहीं लूट सके. पुलिस पर हमला करने की घटना भी शून्य रही. नक्सलियों की ओर से आम लोगों की हत्या करने की घटनाओं पर भी पुलिस ने काबू पाया है. पिछले साल के मुकाबले इस साल हत्या में 34 प्रतिशत की कमी आयी है. वहीं लूट में 86 प्रतिशत, विस्फोट में 23 प्रतिशत, हत्या के प्रयास में 69 प्रतिशत की कमी आयी है.
आंकड़े से साफ है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां-जहां पुलिस का मूवमेंट तेज हुआ है, वहां नक्सलियों-उग्रवादियों की गतिविधियों में कमी आयी है.
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