रामगढ़ के डीएफओ केके त्रिपाठी ने पत्र में लिखा है कि रामगढ़-हजारीबाग रोड पर हेसागढ़ा डायवर्सन और उसके आसपास कई जगहों पर टेंट लगाये गये हैं. वहां अवैध तरीके के निकाले गये कोयले को जमा किया गया है. कोयले के अवैध व्यापार में शामिल लोग जमा किये गये कोयले को बेचते हैं. वहीं बिक्री के बाद वहां से गुजरनेवाली छोटी बड़ी गाड़ियों से कोयले को ले जाया जाता है. इस तरह प्रशासन के नाक के नीचे अवैध कारोबार फल फूल रहा है. यह या तो प्रशासन के लिए चुनौती है या पुलिस या वन कर्मियों की संलिप्तता.
आइवॉश के रूप में अवैध कोयले के इन कारोबारियों के खिलाफ पुलिस और वन विभाग द्वारा कभी-कभी कानूनी कार्रवाई का जाती है. इसमें वाहन आदि जब्त किये जाते हैं. इस कार्रवाई को आइवॉश के सिवा और कुछ नहीं कहा जा सकता है. वन विभाग की स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने पत्र में लिखा है कि वन विभाग में वन कर्मी और वनपालों की भारी कमी है और वे निहत्थे भी हैं, लेकिन पुलिस तो इस अवैध कारोबार की रोकथाम में पूरी तरह सक्षम है. एेसी स्थिति में खुले तौर पर कोयले का कारोबार एक सवाल खड़ा करता है. कोयले के अवैध व्यापार में की गाड़ियों की जब्ती आदि की कार्रवाई अवैध खनन के बाद की कार्रवाई है. इस मामले में पहले ही कार्रवाई की जानी चाहिए. डीएफओ ने वन विभाग और पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाने का अनुरोध किया है, ताकि टेंट लगा कर चल रहे कोयले के व्यापार की जांच की जा सके और अवैध खनन को ही रोका जा सके.