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लोकायुक्त को अधिकार देने की जरूरत : जस्टिस सहाय
आपके पांच वर्षों का कार्यकाल दो जनवरी 2016 को पूरा हो जायेगा. आप अपने कार्यकाल को किस रूप में देखते हैं? तीन जनवरी 2011 को लोकायुक्त पद पर योगदान दिया था. उस वक्त तक झारखंड : में लोकायुक्त संस्था को कोई नहीं जानता था. मेरे कार्यकाल में लोगों को जागरूक करने का लगातार अभियान चलाया […]
आपके पांच वर्षों का कार्यकाल दो जनवरी 2016 को पूरा हो जायेगा. आप अपने कार्यकाल को किस रूप में देखते हैं?
तीन जनवरी 2011 को लोकायुक्त पद पर योगदान दिया था.
उस वक्त तक
झारखंड : में लोकायुक्त संस्था को कोई नहीं जानता था. मेरे कार्यकाल में लोगों को जागरूक करने का लगातार अभियान चलाया गया. मैंने भ्रष्ट लोक सेवकों व राजनेताअों के खिलाफ लोगों से आगे आने की अपील की. लोकायुक्त कानून के विषय में लोगों को बताया. अब लोग लोकायुक्त संस्था को जानने लगे हैं.
लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं. लोकायुक्त से न्याय पाना त्वरित व कम खर्चीला होता है. सेवानिवृत्त कर्मियों के अधिक मामले आ रहे हैं. उनका निबटारा भी प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है.
भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने में कहां तक सफल रहे? कितने सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार से की गयी है.
लोकायुक्त के पास भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ जो भी मामले लाये गये, उनकी जांच करायी गयी. जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है. हालांकि इसकी संख्या कम है. भ्रष्ट आचरण की शिकायतें दर्ज कराने के लिए लोगों को आगे आना होगा. अपने सीमित संसाधनों के बावजूद पद के दुरुपयोग, वित्तीय गड़बड़ी व भ्रष्ट तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति मामले में लगभग 40 लोक सेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है.
लगभग 68 लोक सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने की अनुशंसा की गयी है. पांच वर्षों में 3,361 से अधिक मामले लोकायुक्त के पास आये. 2,200 से अधिक मुकदमों का निष्पादन किया गया है. इसमें से अधिकतर मामले सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित है.
राज्य में सरकारी भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लगाया जा सकता है?
भ्रष्टाचार आज की बड़ी समस्या है. इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है. कम अवश्य किया जा सकता है. सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त होने का खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ता है. भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार के पास दृढ़ इच्छाशक्ति का होना जरूरी है, तभी सफलता मिलेगी. नियंत्रण लगानेवाली संस्थाअों को अधिकार संपन्न बनाने की भी जरूरत है.
योजनाअों के क्रियान्वयन में भी भ्रष्टाचार है. योजना का लाभ लाभुकों को नहीं मिल पा रहा है, ऐसा क्यों?
सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाअों का लाभ शत प्रतिशत लाभुकों को नहीं मिल पाता है. अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाने में भ्रष्टाचार बाधक है. इसके लिए सरकारी मशीनरी पूरी तरह से दोषी है. योजना को सही तरीके से लागू नहीं करानेवाले लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए.
भ्रष्ट आचरण पर रोक लगाने के लिए लोकायुक्त को कैसे सशक्त बनाया जा सकता है?
झारखंड में बिहार के समय का पुराना लोकायुक्त कानून लागू है. वह अधिकारविहीन है. न तो स्वतंत्र जांच एजेंसी है आैर न ही उसकी अपनी पुलिस है. छापामारी की शक्ति भी नहीं है. लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन कर नया कानून बनाना होगा. वर्ष 2012 में नया लोकायुक्त कानून का प्रारूप बना कर राज्य सरकार को भेजा गया था.
कानून सरकार को बनाना है. इसमें लोकायुक्त के अधीन स्वतंत्र जांच एजेंसी का गठन करने, पुलिस, छापेमारी की शक्ति देने की बात कही गयी है. मध्य प्रदेश, बिहार, केरल व कर्नाटक में लोकायुक्त व्यवस्था के तर्ज पर संशोधन करते हुए लोकायुक्त को अधिकार देने पर ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकेगा. इसके लिए आम जनता व जन प्रतिनिधि को भी आवाज उठानी चाहिए.
छोटे कर्मियों के खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है. उच्चाधिकारी व मंत्रियों के खिलाफ भी शिकायतें आ रही होंगी, वैसे मामलों में कितने के खिलाफ कार्रवाई की गयी है?
कुछ मामलों में बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा सरकार से की गयी है. हालांकि इसकी संख्या बहुत ही कम है. जब तक लोकायुक्त के पास स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं मिलेगी, तब तक बड़े अधिकारी अथवा राजनेताअों के खिलाफ जांच संभव नहीं है. दूसरी एजेंसी से जांच कराने पर उसमें लीपापोती की संभावना रहती है. एक-दो मामले आये, जांच भी करायी गयी, लेकिन आरोप प्रमाणित नहीं हुए. स्वतंत्र जांच एजेंसी के अभाव में लोकायुक्त हैंडीकैप्ड हैं.
लोकायुक्त संस्था भी कई समस्याअों से ग्रसित है. किन समस्याअों से आप जूझ रहे हैं?
लोकायुक्त कार्यालय में मानव संसाधन की भारी कमी है. पहले भी पद सृजित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसे अब तक स्वीकृति नहीं दी गयी है. लगभग 60 नये पद सृजित करने को कहा गया था. यहां वर्तमान में सिर्फ 37 कर्मियों के भरोसे काम हो रहा है, जबकि बिहार में लोकायुक्त कार्यालय में लगभग 300 कर्मी काम करते हैं.
पहले लोकायुक्त का कोई अपना भवन नहीं था. आड्रे हाउस के कुछ कमरों में चलता था. काफी प्रयास के बाद जेल के पीछे लोकायुक्त को भवन दिया गया. सरकार से बातचीत के बाद बरियातू रोड में लोकायुक्त का जी प्लस थ्री बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया गया है, जो शीघ्र बन कर तैयार हो जायेगा.
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