-शकील अख्तर-
रांचीःराज्य सरकार को बैंक में जमा किये गये विकास मद का पैसों का सही-सही पता लगाने के लिए एक अफसर की तलाश है. इस काम के लिए ऐसे अफसर की जरूरत है, जो महालेखाकार का कार्यालय में अकाउंटेंट के पद से सेवानिवृत्त हुआ हो. अपने सेवा काल के दौरान कभी निलंबित नहीं हुआ हो, न ही उस पर किसी तरह के आरोप लगे हों.
राज्य में हर वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में विकास योजनाओं का पैसा निकाल पर बैंक खातों में रखने जाने की परंपरा कायम हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के अंतिम दिनों में राज्य के 29 विभागों के कुल 1908.12 करोड़ रुपये की निकासी की और उसे अपने-अपने खातों में जमा किया. मई 2013 में महालेखाकार ने पांच वर्क्स डिपार्टमेंट के सिर्फ 15 कार्य प्रमंडलों की जांच के बाद 72 इंजीनियरों के पास बतौर अग्रिम वर्षो से 72 करोड़ रुपये पड़े होने की जानकारी सरकार को दी थी.
साथ ही इन पांच वर्क्स डिपार्टमेंट के सभी 146 कार्य प्रमंडलों में इंजीनियरों के पास 100 करोड़ रुपये अग्रिम होने की आशंका जतायी थी. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में अब तक की गयी निकासी की और उसके खर्च का सही-सही हिसाब सरकार के पास नहीं है. पिछले कई वर्षो से सरकार इससे संबंधित सही सही आंकड़ा जानने की कोशिश कर रही है.
पर अब तक इससे संबंधित विस्तृत आंकड़ा नहीं मिल सका है. इसके अलावा सरकार के विभिन्न विभागों ने अग्रिम के रूप से की गयी निकासी (एसी बिल) में से करीब 6000 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब (डीसी बिल) भी नहीं दिया है. महालेखाकार द्वारा एसी बिल-डीसी बिल के मामले में बार बार स्मार पत्र दिये जाने के बाद कल्याण विभाग ने एसी बिल-डीसी बिल के अलावा बैंकों में जमा राशि का पता लगाने के लिए ठोस पहल की है. इस काम के लिए विभाग ने एक महालेखाकार कार्यालय से सेवानिवृत्त अकाउंटेट को संविदा पर नियुक्त करने की पहल शुरू की है. संविदा पर नियुक्त किये जानेवाले इस अधिकारी को दिये जानेवाले कार्यो की सूची तय कर ली गयी है.