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भंते तस्सिावरो जंतर-मंतर पर देंगे धरना (आवश्यक-भंते की स्कैन तसवीर है)

भंते तिस्सावरो जंतर-मंतर पर देंगे धरना (आवश्यक-भंते की स्कैन तसवीर है)उठायी मांग, केंद्र हिंदू और बौद्ध सर्किट का मैप तैयार करेपर्यावरण संरक्षण भी होगा मुद्दावरीय संवाददाता, रांची बौद्ध धर्म गुरु भंते तिस्सावरो देश मेें हिंदू और बौद्ध सर्किट का मैप तैयार करने और पर्यावरण संरक्षण की मांग को लेकर 14 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर […]

भंते तिस्सावरो जंतर-मंतर पर देंगे धरना (आवश्यक-भंते की स्कैन तसवीर है)उठायी मांग, केंद्र हिंदू और बौद्ध सर्किट का मैप तैयार करेपर्यावरण संरक्षण भी होगा मुद्दावरीय संवाददाता, रांची बौद्ध धर्म गुरु भंते तिस्सावरो देश मेें हिंदू और बौद्ध सर्किट का मैप तैयार करने और पर्यावरण संरक्षण की मांग को लेकर 14 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देंगे़ श्री तिस्सावरो के साथ देश भर से बौद्ध भिक्षु और धर्म प्रेमी जुटेंगे़ श्री तिस्सावरो ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कहते रहे हैं कि बौद्ध सर्किट को जोड़ा जायेगा, लेकिन किसी भी सरकार के पास हिंदू और बौद्ध के धार्मिक स्थलों को जोड़नेवाला रोड मैप नहीं है़ इन धर्म स्थलों तक पहुंचने के लिए धर्म विश्वासी और पर्यटकों के लिए सरकारी बस तक नहीं है़ देश भर में बौद्ध के आठ धार्मिक स्थल है़ं बोधगया, वैशाली, कुशी नगर, लुंबनी, सरावस्ती जैसी जगहों पर जाने के लिए सुविधा नहीं है़ कोई बोधगया से वैशाली जाना चाहता हो, तो सरकारी बस की सुविधा नहीं है़ इनका रोड मैप बना कर सुविधा संपन्न करने से टूरिज्म का भी विकास होगा़ धर्म प्रेमी प्रवासी लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है़ श्री तिस्सावरो ने बताया कि इस बार कालचक्र पूजा केवल इसलिए नहीं का गयी कि लाखों की संख्या में आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था का अभाव था़ उन्होंने कहा कि उनकी मांग के साथ उनके गुरु भंते स्वागतपाल जी भी है़ं उनकी भी मांग रही है कि हिंदू और बौद्ध सर्किट को जोड़ने के लिए सरकार नीति बनाये, रोड मैप तैयार हो़ श्री तिस्सावरो ने कहा कि यूपीए के शासन काल में ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट विधेयक लाया गया था, लेकिन इस दिशा में वन विभाग ने कोई कारगर प्रयास नहीं किया़ वन संरक्षण की दिशा में काम नहीं हुआ़ पश्चिमी घाट के 200 से ज्यादा पारंपरिक देवराय नष्ट हो गये़ वन की रक्षा के लिए अभियान चलाने की जरूरत है़ वे चाहते हैं कि संसद ऐसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करे़

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