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13828 करोड़ के व्यापार पर सरकार को नहीं मिला टैक्स

‘पिंक परमिट’ के इस्तेमाल पर व्यापारिक गतिविधियों की समीक्षा शकील अख्तर रांची : राज्य में करीब 2500 अनिबंधित व्यापारियों द्वारा किये गये 13828 करोड़ रुपये के व्यापार पर सरकार को वैट का लाभ नहीं मिला. हालांकि इन व्यापारियों ने उपभोक्ताओं से टैक्स की वसूली की. इससे सरकार को 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान […]

‘पिंक परमिट’ के इस्तेमाल पर व्यापारिक गतिविधियों की समीक्षा
शकील अख्तर
रांची : राज्य में करीब 2500 अनिबंधित व्यापारियों द्वारा किये गये 13828 करोड़ रुपये के व्यापार पर सरकार को वैट का लाभ नहीं मिला. हालांकि इन व्यापारियों ने उपभोक्ताओं से टैक्स की वसूली की. इससे सरकार को 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है. वाणिज्य कर सचिव निधि खरे के निर्देश पर विभागीय अधिकारियों द्वारा ‘पिंक परमिट’ के इस्तेमाल पर हुई व्यापारिक गतिविधियों की समीक्षा के बाद यह मामला पकड़ में आया है.
सबसे ज्यादा साहेबगंज अंचल सामान बेचा : मामले की समीक्षा के दौरान पाया गया कि इस अवधि में सबसे ज्यादा साहेबगंज अंचल के अनिबंधित व्यापारियों ने 1846.05 करोड़ रुपये का सामान उपभोक्ताओं को बेचा. इस मामले में धनबाद दूसरे नंबर पर है. इस अंचल के अनिबंधित व्यापारियों ने 1459.03 करोड़ का सामान उपभोक्ताओं को बेचा. रांची स्पेशल सर्किल इस मामले में तीसरे नंबर पर है.
समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि उपभोक्ताओं को 13828 करोड़ रुपये का सामान बेचनेवाले अनिबंधित व्यापारियों का टर्न ओवर पांच लाख रुपये से अधिक है. लेकिन इन व्यापारियों ने अपना टर्न ओवर पांच लाख से कम होने का बहाना बता कर निबंधन नहीं कराया है. सचिव ने पांच लाख रुपये से अधिक के टर्न ओवरवाले व्यापारियों को दिसंबर तक निबंधन कराने का समय दिया है. निबंधन नहीं कराने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है.
क्या होता है पिंक परमिट
व्यापारिक गतिविधियों पर टैक्स पर नजर रखने के लिए ‘पिंक परमिट’ का प्रावधान किया गया है. यह एक ऐसा पत्र है, जो किसी निबंधित व्यापारी द्वारा 50 हजार या उससे अधिक का सामान बेचने पर इस्तेमाल हाेता है.
वर्ष िपंक परमिट व्यापार (करोड़ में)
2013-14 64898 2434.28
2014-15 183118 9217.59
2015-16 106305 2176.54
पिंक परमिट का इस्तेमाल व सामग्रियों का मूल्य (करोड़ में)
अंचल परमिट मूल्य
साहेबगंज 9157 1846.05
पलामू 214 4.29
रामगढ़ 21367 1260.25
गुमला 328 2.95
हजारीबाग 7489 75.57
कोडरमा 1201 17.15
लोहरदगा 1088 16.86
रांची (इस्ट) 8208 1087.48
अंचल परमिट मूल्य
रांची (साउथ) 44229 1333.45
रांची (स्पेशल) 21891 1435.18
रांची (वेस्ट) 24661 573.40
आदित्यपुर 19011 468.25
बोकारो 23748 674.91
धनबाद 35162 1459.08
धनबाद (शहरी) 23879 377.82
शेष सूची पेज 19 पर
पिंक परमिट का इस्तेमाल व सामग्रियों का मूल्य (करोड़ में)
अंचल परमिट मूल्य
गिरिडीह 25844 349.90
देवघर 13790 251.40
गोड्डा 95 1.03
जमशेदपुर 9156 383.83
जमशेदपुर (शहरी) 4009 636.22
झरिया 22590 232.81
कतरास 10548 1104.57
पाकुड़ 3917 15.51
दुमका 2828 36.44
तेनुघाट 2826 25.95
चाईबासा 2788 17.50
चिरकुंडा 14230 140.55
उपभाेक्ताआें से वसूल िलया टैक्स
वाणिज्य कर विभाग के 28 अंचलों में अक्तूबर 2015 तक इस्तेमाल किये गये ‘पिंक परमिट’ की समीक्षा हुई. पाया गया कि बड़े व्यापारियों ने 106305 पिंक परमिट का इस्तेमाल कर अनिबंधित व्यापारियों को 2176.54 करोड़ का सामान बेचा है. अनिबंधित व्यापारियों ने इसे उपभोक्ताओं को बेचा और उनसे टैक्स की वसूली की. पर, वसूली गयी टैक्स की राशि सरकार को नहीं मिली. अक्तूबर तक के इन आंकड़ों को देखने का बाद सचिव ने पिछले दो वित्तीय वर्ष के आंकड़ों का भी मिलान करने का निर्देश दिया.
इसमें पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 से अक्तूबर तक की अवधि में अनिबंधित व्यापारियों को 354321 पिंक परमिट के सहारे 13828 करोड़ रुपये के माल बेचे गये हैं. अनिबंधित व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं को बेची गयी 13828 करोड़ रुपये की सामग्रियों पर सरकार को टैक्स का लाभ नहीं मिला, जबकि सरकार को 500 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स मिलना चाहिए था.

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