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पुलिस और उग्रवादी गंठजोड़ की हो जांच
रांची : पलामू के भंडरा में जिस सुनील पांडेय की हत्या कर दी गयी, उसने पांच माह पहले हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल की थी. सुनील पांडेय ने राज्य के कई जिलों में चल रहे पुलिस व उग्रवादी संगठनों के गंठजोड़ की जांच बाहर की एजेंसी से कराने की मांग की थी. पीआइएल में कहा गया […]
रांची : पलामू के भंडरा में जिस सुनील पांडेय की हत्या कर दी गयी, उसने पांच माह पहले हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल की थी. सुनील पांडेय ने राज्य के कई जिलों में चल रहे पुलिस व उग्रवादी संगठनों के गंठजोड़ की जांच बाहर की एजेंसी से कराने की मांग की थी. पीआइएल में कहा गया था कि पुलिस के सीनियर अधिकारी टीपीसी, जेजेएमपी, जेपीसी व जेएलटी जैसे उग्रवादी संगठनों से मिले हुए हैं.
पुलिस अफसरों और उग्रवादियों में लगातार बातचीत होती है. सुनील ने पीआइएल में पलामू में एसपी रहे एक पुलिस अधिकारी और कई उग्रवादियों का मोबाइल नंबर भी दर्ज किया था. उसमें पलामू प्रमंडल के 14 पुलिस पदाधिकारियों (दारोगा से डीएसपी तक) और 11 बीडीओ के नामों का भी जिक्र किया था.
साथ ही कहा था कि अफसरों व उग्रवादी संगठन के लोग मिल कर लेवी वसूलते हैं और आपस में बांटते हैं. पीआइएल में सात जिलों पलामू, चतरा, हजारीबाग, लोहरदगा, सिमडेगा, गुमला और लातेहार जिला में पुलिस अफसरों और उग्रवादी संगठनों के बीच गंठजोड़ होने की बात कही गयी थी.
साथ ही कहा गया था कि पुलिस उग्रवादी संगठनों को हथियार व पैसा मुहैया कराती है. जिन उग्रवादियों का मोबाइल नंबर पीआइएल में दर्ज किया गया था, उनमें ब्रजेश, मुकेश गंझू, गिरेंद्र, सिकंदर, बिरसा, रामा, पंकज व विवेक का नाम शामिल था.
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